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कमल हासन की राज्यसभा में एंट्री उनके राजनीतिक भविष्य को कैसे बदलने जा रही है?

कमल हासन ने हमेशा सिनेमा और राजनीति के बीच की रेखा को धुंधला रखा है. अब DMK की ओर से उन्हें राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से उनके अगले राजनीतिक फैसले पर लोगों की नजर है

कमल हासन और एम.के. स्टालिन (फाइल फोटो)
कमल हासन और एम.के. स्टालिन (फाइल फोटो)
अपडेटेड 2 जून , 2025

अभिनेता कमल हासन के लिए सुर्खियों में बने रहना या विवादों से दूर रहना कोई नई बात नहीं है. हाल ही में उन्होंने अपनी नई तमिल फिल्म ‘ठग लाइफ’ का ऑडियो लॉन्च किया है. 1987 की पॉपुलर फिल्म ‘नायकन’ के बाद निर्देशक मणि रत्नम के साथ यह उनकी पहली साझेदारी है. 

इस फिल्म के रिलीज होने से पहले ही कमल हासन विवादों में आ गए हैं. दरअसल, उन्होंने कुछ दिनों पहले कहा था कि कन्नड़ भाषा तमिल से जन्मी है. उनके इस बयान से कन्नड़ समूह नाराज हो गए और उन्होंने कर्नाटक में ‘ठग लाइफ’ फिल्म की रिलीज रोकने की धमकी दे दी.

अभी यह विवाद थमता इससे पहले ही द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी DMK ने कमल हासन को अपना राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया. कहा जा रहा है कि पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान कमल हासन ने DMK और कांग्रेस के समर्थन में जो चुनाव प्रचार किए थे, यह उसी का परिणाम है. 

यह हासन की राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है. उनके लिए राज्यसभा में पहुंचना इसलिए भी खास है क्योंकि वे DMK की ओर से सीनियर एडवोकेट पी. विल्सन और लेखिका रोकाया मलिक उर्फ सलमा के साथ उच्च सदन में शामिल होंगे.

एक तरह से देखा जाए तो 19 जून 2025 को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए DMK ने कानून, संस्कृति और साहित्य क्षेत्र से जुड़े लोगों को एक साथ नामित किया है. 

2018 में ‘मक्कल निधि मैयम’ (MNM) नाम से एक नई पार्टी शुरू करने वाले कमल हासन को दो चुनावों में कुछ खास सफलता नहीं मिली. 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कमल हासन की पार्टी ने DMK के साथ गठबंधन किया और पूरे तमिलनाडु में प्रचार किया.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार ए.एस. पन्नीरसेल्वन कहते हैं, "2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में MNM ने कई विधानसभा सीटों पर वोट काटने का काम किया था. पिछले चुनाव में MNM की वजह से वोटों का बंटवारा हुआ था. यही वजह है कि DMK ने कमल हासन को एक सीट तक सीमित रखने के बजाय उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में पेश करने में अधिक दिलचस्पी दिखाई है."

एक ओर तमिल अभिनेता विजय ने फिल्म की दुनिया छोड़ पूरी तरह राजनीति में एंट्री करने की घोषणा की है. वहीं, दूसरी तरफ कमल हासन राजनीति के साथ ही साथ फिल्म की दुनिया में भी आगे बढ़ रहे हैं. 

राज्यसभा में अगर उनकी एंट्री होती है, जैसा कि तय माना जा रहा है, तो उन्हें फिल्म उद्योग में सक्रिय रहते हुए एक राष्ट्रीय राजनीतिक मंच प्राप्त होगा. संसद में प्रवेश करने के बाद वे सिनेमा को अलविदा कहेंगे या नहीं, यह देखना अभी बाकी है.

DMK गठबंधन में शामिल होने के बाद उनसे 2026 के विधानसभा चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि लेखिका सलमा का नामांकन समावेशी प्रतिनिधित्व के लिए DMK के प्रयासों को भी दर्शाता है.

एक मुस्लिम महिला और प्रसिद्ध तमिल लेखिका के रूप में वे संसद में लैंगिक और अल्पसंख्यक मुद्दों पर आवाजें उठाएंगी.

राजनीतिक टिप्पणीकार ए.एस. पन्नीरसेल्वन कहते हैं, "डीएमके ने नियमित रूप से पार्टी के भीतर और विधानसभा तथा संसद में महिलाओं की उपस्थिति सुनिश्चित की है. 2004 में सुब्बुलक्ष्मी जगदीसन और राधिका सेल्वी को न केवल सांसद बनाया गया, बल्कि केंद्र में मंत्री भी बनाया गया. पार्टी ने एक महिला के लिए उप महासचिव का पद आरक्षित किया है."

एडवोकेट पी. विल्सन को दोबारा राज्यसभा भेजना DMK सरकार में बतौर सरकारी वकील उनके बेहतरीन काम को पुरस्कृत करने के तौर पर देखा जा रहा है. विशेष रूप से एनईईटी (राष्ट्रीय चिकित्सा प्रवेश) और संघीय अधिकारों जैसे मुद्दों पर. 

वहीं विपक्षी AIADMK (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) खेमे के भीतर बड़ा टकराव देखने को मिल रहा है. AIADMK को मिलने वाली दो राज्यसभा सीटों के लिए मुकाबला गरमा गया है, क्योंकि कई दावेदार नामांकन के लिए होड़ में हैं. 

DMDK (देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम) महासचिव प्रेमलता विजयकांत ने हाल ही में दावा किया कि AIADMK ने उनकी पार्टी को एक सीट देने का वादा किया था. इस दावे को AIADMK महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने नकार दिया. 

सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, AIADMK और भाजपा के साथ गठबंधन होने के बाद भगवा दल आगामी राज्यसभा चुनाव में AIADMK पर एक राज्यसभा सीट आवंटित करने के लिए दबाव डाल सकती है.

कथित तौर पर भाजपा का एक वर्ग अपने पूर्व तमिलनाडु प्रमुख के. अन्नामलाई को राज्यसभा में भेजने के पक्ष में है. हालांकि, अन्नामलाई और AIADMK के साथ जैसे खराब रिश्ते रहे हैं. उसे देखकर ऐसा लगता है कि अगर भाजपा इस तरह का कोई दबाव बनाती है तो यह कदम दोनों दलों के बीच तनाव को बढ़ा सकता है. 

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