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कास्टिंग काउच, सिनेमा माफिया...मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के कौन से राज खोले जस्टिस हेमा कमेटी ने?

करीब पांच सालों के बाद अब जाकर केरल सरकार ने जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की है. इसे मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के यौन शोषण से जुड़े मामलों की शिकायत मिलने के बाद गठित किया गया था

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 29 अगस्त , 2024

फिल्मिस्तान. ग्लैमर की दुनिया जिसे कहते हैं, बाहर से देखने पर चकाचौंध, नफासत भरी और आम दुनिया से बिलकुल अलहदा नजर आती है, लेकिन इसके भीतर भी ऐसी घिनौनी सच्चाइयां हैं, जो गाहे-बगाहे सामने आती रहती हैं. कुछ ऐसा ही हुआ जब 19 अगस्त को 295 पन्नों की जस्टिस हेमा कमीशन की रिपोर्ट सामने आई. इससे राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित मलयालम फिल्म इंडस्ट्री कई काले सच उजागर हुए हैं . 

इस कमीशन की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में चल रहे कास्टिंग काउच और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों का जिक्र है. इंडस्ट्री में काम करने वाली कई महिलाओं ने आरोप लगाया है कि काम शुरू करने से पहले ही उनके साथ 'गलत' डिमांड की जाती है. इंडस्ट्री के कुछ लोग नशे में धुत होकर अभिनेत्रियों के कमरों के दरवाजे खटखटाते हैं, और उनका यौन उत्पीड़न करते हैं.  

करीब पांच सालों के बहुप्रतीक्षित इंतजार के बाद सामने आई जस्टिस हेमा कमीशन की यह रिपोर्ट जिन चंद सख्त पंक्तियों के साथ शुरू होती है, उससे भी ये अंदाजा लग जाता है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में फरेब कैसे अपने चरम पर है, स्टार और स्टारडम की दुनिया दरअसल छलावा भी हो सकती है. 

पूर्व हाई कोर्ट जज के. हेमा, जिन्होंने यह रिपोर्ट तैयार की है
पूर्व हाई कोर्ट जज के. हेमा, जिन्होंने यह रिपोर्ट तैयार की है

जस्टिस हेमा ने लिखा है, "आसमान रहस्यों से भरा है; टिमटिमाते सितारों और खूबसूरत चांद से. लेकिन, वैज्ञानिक जांच से पता चला है कि सितारे टिमटिमाते नहीं हैं और न ही चांद सुंदर दिखता है. इसलिए स्टडी चेतावनी देती है: 'जो आप देखते हैं उस पर यकीन न करें, नमक भी चीनी जैसा दिखता है!"

जैसा कि अनुमान था, इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले चरम भेदभाव और शोषण को उजागर करते हुए कई महत्वपूर्ण खुलासे किए गए हैं. इनमें कास्टिंग काउच से लेकर सेट पर बुनियादी सुविधाओं की कमी, वेतन में असमानता और अनुचित मांगें पूरी न करने पर बहिष्कार जैसे मामले शामिल हैं.

रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि मलयालम सिनेमा में कास्टिंग काउच जैसा घटियापन प्रचलित है, जिसे आमतौर पर संबंधित फिल्म के प्रोडक्शन कंट्रोलर या फिर कास्टिंग डायरेक्टर अंजाम देते हैं. यौन उत्पीड़न का ये गंदा खेल जड़ से ही शुरू हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के साथ यौन शोषण के दो तरीके प्रमुख हैं. पहला - प्रोडक्शन कंट्रोलर या जो भी फिल्म में एक्ट्रेस को रोल निभाने का प्रस्ताव देता है, वह सबसे पहले उस लड़की या महिला से संपर्क करता है. 

दूसरा तरीका यह है कि अगर कोई लड़की या महिला फिल्मों में मौका पाने के लिए इंडस्ट्री के लोगों से संपर्क करती है तो उससे कहा जाता है कि पहले 'समझौता' या 'एडजस्टमेंट' करना होगा, तब जाकर प्रस्ताव मिलेगा. इंडस्ट्री में जो नए लोग आते हैं उनके लिए अक्सर पहले से मौजूद लोग सेक्सुअल फेवर के लिए इस तरह के हथकंडों का इस्तेमाल करते हैं. यह एक तरह से निर्देश होता है जो महिलाओं को 'सेक्स ऑन डिमांड' उपलब्ध होने के लिए बाध्य करता है.

फ्रंटलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जो महिला कलाकार समझौता करने के लिए राजी होती हैं, उन्हें कोड नाम दे दिए जाते हैं और जो समझौता करने के लिए तैयार नहीं होतीं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि इस फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग नशे में धुत होकर अभिनेत्रियों के कमरों के दरवाजे खटखटाते हैं, और यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली कई अभिनेत्रियां मारे डर के पुलिस में शिकायत दर्ज करने से हिचकिचाती हैं.

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक लड़की ने कमीशन को बताया कि कोई भी पुरुष कलाकार या क्रू सदस्य सेक्स की डिमांड कर सकता है, और एक महिला को इसके लिए किसी भी वक्त तैयार रहना चाहिए. इस तरह के उत्पीड़न को नॉर्मलाइज साबित करने के लिए महिलाओं को बरगलाया जाता है कि कुछ मशहूर और सफल अभिनेत्रियों ने इसी राह पर चलकर इज्जत और शोहरत हासिल की है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि इंडस्ट्री में कई महिलाओं को यह यकीन दिलाया जाता है कि यहां सभी महिलाएं सिर्फ इसलिए इंडस्ट्री में आती हैं या बनी रहती हैं क्योंकि वे यहां पुरुषों के साथ यौन संबंध रखती हैं.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री मुट्ठी भर मेकर्स, निर्देशकों और अभिनेताओं के नियंत्रण में है. ये सभी पुरुष कलाकार हैं. वे पूरे मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को नियंत्रित करते हैं और वहां काम करने वाले लोगों पर हावी होते हैं. इन पावरफुल लोगों के समूह को 'क्रिमिनल गैंग' या 'माफिया' कहा गया है क्योंकि वे अपने खिलाफ बोलने वालों के करियर को बर्बाद करने की ताकत रखते हैं. रिपोर्ट में कुछ बड़े अभिनेताओं के भी इस समूह में शामिल होने का दावा किया गया है.

रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि कई पुरुषों को ये लगता है कि जो महिलाएं ऑन-स्क्रीन अंतरंग सीन (इंटिमेंट सीन) करने को तैयार हैं, वे ऑफ-सेट भी ऐसा करने के लिए राजी होंगी. यह इंडस्ट्री में पुरुषों में प्रोफेशनलिज्म और शिल्प की समझ की कमी को बताता है. रिपोर्ट के मुताबिक, "इसलिए इंडस्ट्री में पुरुष बिना किसी हया के सेक्स की ओपन डिमांड करते हैं." 

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कमीशन के सामने जिन सबूतों को पेश किया गया, जिनमें कमीशन के सामने कई बड़े नाम भी आए, उनके विश्लेषण के बाद पैनल को इन दावों पर यकीन न करने की कोई वजह नहीं मिली कि महिलाओं को इंडस्ट्री के बहुत नामचीन लोगों से भी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

पांच साल लग गए रिपोर्ट जारी होने में

केरल सरकार ने 2017 में जस्टिस हेमा कमीशन के रूप में एक पैनल का गठन किया था. मलयालम अभिनेता दिलीप पर एक एक्ट्रेस के साथ कथित रेप से जुड़े 2017 के चर्चित मामले के बाद गठित इस समिति का उद्देश्य था - मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न और जेंडर इनइक्वैलिटी के मामलों का अध्ययन करना. पैनल ने अपनी रिपोर्ट 2019 में दाखिल कर दी थी, लेकिन अब जाकर यह जारी हुई है.

इसमें भी पेंच देखिए कि यह रिपोर्ट पहले इसी साल की 24 जुलाई को रिलीज होने वाली थी लेकिन एक मलयालम फिल्म प्रोड्यूसर ने किन्हीं वजहों से केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने इसके प्रकाशन को होल्ड कर दिया. हालांकि 13 अगस्त को हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया, और केरल सरकार को निर्देश दिया कि इस रिपोर्ट को एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक किया जाए.

इससे पहले कि राज्य सरकार रिपोर्ट सार्वजनिक करती, एक अभिनेत्री रंजिनी केरल हाई कोर्ट में अपनी गुहार लेकर पहुंच गईं. 16 अगस्त को दायर अपनी याचिका में रंजिनी ने कहा कि उन्होंने हेमा कमीशन के सामने इस आश्वासन पर गवाही दी थी कि बयान गोपनीय रहेंगे. संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं रिपोर्ट जारी किए जाने के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कमीशन के सामने गवाही देने वाले एक व्यक्ति के रूप में, मुझे इसके कंटेंट के बारे में जानने का अधिकार है. मैं चाहती हूं कि रिपोर्ट सामने आए, लेकिन उससे पहले मुझे यह जानने का पूरा अधिकार है कि क्या खुलासा होने वाला है. रिपोर्ट में कई लोगों की जिंदगी शामिल है और यह उस लिहाज से संवेदनशील मामला है."

बहरहाल, 19 अगस्त को केरल हाई कोर्ट ने रंजिनी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, और जस्टिस हेमा कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अनुमति दी. हाई कोर्ट के इस फैसले से रिपोर्ट के प्रकाशन में आने वाली कानूनी बाधाएं दूर हो गईं, और इसे जल्द ही जारी कर दिया गया. आरटीआई कानून के मुताबिक रिपोर्ट की एक प्रति मीडिया को भी दी गई.

क्या था 2017 का कथित यौन शोषण का मामला

साल 2017 में घटित इस चर्चित मामले ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री समेत पूरे फिल्म जगत को हिलाकर रख दिया था. तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम कर चुकीं एक एक्ट्रेस को कथित तौर पर कुछ लोगों ने 17 फरवरी, 2017 की रात को जबरन कार में घुसकर अगवा कर लिया था, और दो घंटे तक उनकी कार में उनके साथ छेड़छाड़ की. इसके बाद वे एक व्यस्त इलाके में भाग गए. उस एक्ट्रेस को ब्लैकमेल करने के लिए कुछ आरोपियों ने पूरी घटना का वीडियो भी बनाया था.

इस मामले में कुल 10 आरोपी हैं. मामले के आठवें आरोपी दिलीप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. हालांकि बाद में इस मशहूर मलयालम अभिनेता को अदालत से जमानत मिल गई थी. यह मामला अभी अदालत में लंबित है. इस घटना के बाद मलयालम सहित फिल्मी दुनिया की तमाम हस्तियों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके बाद 2017 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में फैले काले कारनामों को बाहर लाने के लिए जस्टिस हेमा कमीशन के रूप में पैनल का गठन हुआ था.

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