झारखंड में राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल को निशाने पर ले लिया है. मामला तथाकथित तौर पर धर्म परिवर्तन के आरोप का है. दरअसल 19 सितंबर की रात सरायकेला-खरसांवा और पश्चिमी सिंहभूम जिले से बालिग और नाबालिग लड़कियों का एक दल टाटानगर जा रहा था.
जिस ट्रेन में ये बच्चियां सवार थीं, उसी में VHP का एक सदस्य यात्रा कर रहा था. उसने जमशेदपुर के अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों को फोन कर बताया कि 19 लड़कियों का एक दल ईसाई मिशनरी संस्था से जुड़ी नन के साथ यात्रा कर रहा है. उसने आशंका भी जताई कि इन्हें धर्मांतरण के लिए ले जाया जा रहा है.
VHP के इस सदस्य ने ट्रेन में उस वक्त मौजूद टीटी को भी इसकी जानकारी दी. ट्रेन जब रात 10 बजे टाटानगर रेलवे स्टेशन पहुंची, तो रेल पुलिस ने इन लड़कियों को ट्रेन से उतारकर जीआरपी थाना ले गई.
इसी दौरान VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में वहां पहुंच गए और हंगामा करने लगे. उनका कहना था कि इन बच्चियों को धर्मांतरण कराने ले जाया जा रहा है. रेलवे पुलिस ने मामले को देखते हुए नन के साथ-साथ सभी बच्चियों से पूछताछ की.
घटना के गवाहों में से एक जमशेदपुर के ही फादर बीरेंद्र टेटे बताते हैं, "हम समेकित जन विकास केंद्र नाम की एक संस्था चलाते हैं. जहां इन बच्चियों को लाइफ स्किल से संबंधित प्रशिक्षण देने के लिए दो दिनी कार्यक्रम में शामिल होने बुलाया था. इन 19 लोगों के दल में 17 लड़कियां और दो लड़के थे. इनमें हिंदू, आदिवासी और ईसाई बच्चियां व बच्चे थे. ये बात सही है कि एक को छोड़ बाकि लड़कियां नाबालिग थीं. लेकिन इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इन सभी के परिजनों से अनुमति पत्र पर हस्ताक्षर ले लिए गए थे. कुछ लड़कियां अंतिम समय में शामिल हुई थीं, ऐसे में उनके परिजनों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं लिए जा सके थे.’’
वे आगे कहते हैं, "पूछताछ पूरी होने के बाद हमने पुलिस से अनुरोध किया कि इन बच्चियों को छोड़ दिया जाए. लेकिन VHP और बजरंग दल के दबाव में वो ऐसा नहीं कर रही थी. फिर हमने राज्य की चीफ सेक्रेटरी अलका तिवारी को फोन किया. इसके बावजूद भी इन बच्चियों को पूरे पांच घंटे बिठाकर रखा गया. यही नहीं इस दौरान न तो पीने के लिए पानी दिया गया, न ही उन्हें शौचालय जाने दिया गया. देर रात 3 बजे फिर पुलिस ने एस्कॉर्ट कर इन बच्चियों को हमारी संस्था के आवासीय परिसर तक छोड़ा.’’
फादर बीरेंद्र ने बताया कि, ‘’पूछताछ के दौरान सबसे डराने वाली बात ये रही कि हिंदूवादी संगठनों के लोग इन बच्चियों का लगातार फोटो वीडियो बनाते रहे. यही नहीं, उसे सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर दिया है. हमने लाख अनुरोध किया कि ये नाबालिग बच्चियां हैं, ऐसा मत कीजिये, लेकिन वो नहीं मानें. वो ये भी कह रहे थे कि देखो इनलोगों का नेटवर्क कितना मजबूत है कि थोड़ी ही देर में चर्च से जुड़े तमाम लोग पहुंच गए इन्हें बचाने के लिए.’’
बीरेंद्र टेटे यह भी जानकारी देते हैं कि तय शेड्यूल के अनुसार दो दिन (20-21 सितंबर) का ट्रेनिंग कार्यक्रम इन बच्चियों ने सफलतापूर्वक पूरा किया. इस दौरान डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, जमशेदपुर पुलिस और पत्रकारों का दल कार्यक्रम स्थल पहुंचा. इन्होंने बच्चियों से बात की. किसी ने नहीं कहा कि उन्हें धर्मांतरण के लिए यहां लाया गया है. टेटे के मुताबिक, " ट्रेनिंग पूरी होने के बाद हमने इन बच्चियों को घर पहुंचा दिया है. साथ ही उनके माता पिता से भी इसके संबंध में लिखित दस्तावेज ले लिए हैं.”
वहीं रेल पुलिस को सूचना देनेवालों में शामिल रहे VHP के एक सदस्य और जमशेदपुर इकाई के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह का कहना है, "जहां इन आदिवासियों को खाने का इंतजाम नहीं है, ये चर्च वाले लोग इनको लाइफ स्किल की ट्रेनिंग दे रहे हैं. दो दिन के ट्रेनिंग के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को ले जाया जा रहा था. ये साफ तौर पर धर्मांतरण का मामला है. इस तरह की संस्था सालों से ऐसा करती आ रही हैं. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का खेल चल रहा है.’’
आयोग ने लिया संज्ञान
अब पूरे मामले पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग के उपाध्यक्ष प्रणेश सोलोमन ने VHP और बजरंग दल द्वारा अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के इस मामले को गंभीर बताया है. उन्होंने कहा, ‘’बच्चियों को इस तरह के डिटेन करना पूरी तरह अनुचित है. हमने जमशेदपुर के जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट आयोग को सुचित करें. अभी टीम गठित कर दी गई है. जैसे ही रिपोर्ट आती है, फिर उसपर हम आगे की कार्रवाई करेंगे. आयोग ने रेलवे को भी पत्र लिखकर पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा है.’’
सोलोमन ने आगे कहा, “हमारी टीम सितंबर के अंतिम सप्ताह में जमशेदपुर (टाटानगर, पूर्वी सिंहभूम स्थित जमशेदपुर शहर का रेलवे स्टेशन है) जाएगी और संबंधित अधिकारियों व कैथोलिक संस्था के पदाधिकारियों से मिलेगी, जिसने स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया था.”
हालांकि इन सब के बीच में एक बात कम ही सही, लेकिन गौर करने लायक है कि आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्लाह खान को पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं थी. साथ ही एक और उपाध्यक्ष शमशेर आलम ने पूरे मामले से खुद को अनजान बताया. इधर जनजातीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने आरोप लगाया है कि दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने नाबालिग आदिवासियों की तस्वीरें और वीडियो उनकी अनुमति के बिना सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर प्रसारित की है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं जीआरपी की उपाधीक्षक जयंती कुजूर ने कहा कि मामले की जांच जारी है, लेकिन प्रथम दृष्टया धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है.
इन सब के बीच ये बात भी सही है कि राज्य में वर्षों से आदिवासियों सहित अन्य धर्मों के लोगों का ईसाई सहित दूसरे धर्मों में धर्मांतरण जारी है. रघुबर दास की सरकार के समय चर्च से जुड़ी संस्था मिशनरीज ऑप चैरिटी पर संस्थागत तरीके से धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया था. इस संस्था के केंद्रों पर छापेमारी की गई. बड़ी मात्रा में दस्तावेज बरामद किए गए. पूरे मामले की जांच भी हुई. लेकिन उसकी रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आ पाई है.