दशक भर पहले की बात है… जब कोई किस्सा-कहानी या रिपोर्ट इस तरह शुरू की जाती है तो इसका मतलब सामने वाले से यह भी कहना होता है कि तब से अब तक वक्त बहुत बदल गया.
हालांकि झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (JSSC) के लिए एक दशक पहले का वक्त आज भी वही है. वह इसलिए कि इसकी तरफ से आयोजित की जानेवाली कंबाइंड ग्रैजुएट लेवल (CGL) बहाली की परीक्षा बीते दस साल से चल ही रही है. कभी इसका पेपर लीक हो जाता है, कभी नियमावली बदल दी जाती है. कभी मामला कोर्ट में चला जाता है.
राज्य भर में कई ऐसे युवा हैं जो इस परीक्षा के होने और इसके परिणाम के इंतजार में अधिकतम उम्र सीमा को पार कर गए हैं. कई अपने कैरियर के महत्वपू्र्ण 10 साल गंवा बैठे हैं. इस परीक्षा के माध्यम से विभिन्न विभागों के टेक्निकल और नॉन-टेक्निकल पदों को भरा जाता है.
रामगढ़ जिले के रहनेवाले महेश कुमार की परीक्षा देने की उम्र मात्र दो साल बची है. वे बीते 13 साल से सरकारी नौकरी की आस में लगातार परीक्षाएं दे रहे हैं. रांची में रहने वाले महेश के किसान पिता हर महीने कुछ पैसे भेज देते हैं, बाकी जरूरतें पूरा करने के लिए वे रैपिडो चलाने के साथ-साथ स्विगी-जोमैटो के डिलिवरी बॉय का काम करते हैं. अफसोस जताते हुए महेश कहते हैं, "लगता है खुद के साथ कुछ गलत कर लिए. सब बर्बाद हो रहा है.”
रांची के ही रहनेवाले शेख मोहसिन के पास भी अब मात्र तीन साल बचे हैं. वे बच्चों को गणित पढ़ा कर खुद का खर्चा निकाल रहे हैं. बीते 10 साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर मोहसिन कहते हैं, "JSSC में जो लोग बैठे हैं, वही भ्रष्ट हैं. उनकी खुद की नियुक्ति पर ही सीबीआई जांच चल रही है. ऐसे अधिकारियों से फेयर एग्जाम की उम्मीद कैसे कर सकते हैं. ऐसी कोई परीक्षा नहीं है, जिसे JSSC ने लिया हो और उसकी जांच न चल रही हो. यहां पैसों का खेल है. पैसा दीजिये, नौकरी लीजिए.”
महेश और मोहसिन जैसे एक दो नहीं, पूरे राज्य में 6 लाख से अधिक छात्र हैं, जिन्होंने CGL की परीक्षा दी है. वो इस उम्मीद में हैं कि झारखंड सरकार बस एक बार पारदर्शी तरीके से परीक्षा आयोजित करे और समय पर परिणाम दे दे. ताकि लाख न सही, कुछ हजार छात्रों और उनके परिजनों का जीवन संवर जाए.
कब-कब क्या हुआ
इस परीक्षा के लिए पहली बार विज्ञापन साल 28 दिसंबर 2015 में प्रकाशित हुआ था. उस वक्त आवेदन भरने का शुल्क एक हजार रुपये था. ठीक एक साल बाद 21 अगस्त 2016 को इसका प्री एग्जाम हुआ और अक्टूबर में रिजल्ट प्रकाशित कर दिया गया. लेकिन मुख्य परीक्षा नहीं कराई जा सकी क्योंकि यहां टेक्निकल और नॉन टेक्निकल पदों को एक साथ जोड़ दिया गया था.
जनार्दन शर्मा नाम का एक छात्र इस मामले को लेकर हाईकोर्ट चला गया. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने छात्र के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा कि टेक्निकल और नॉन-टेक्निकल पदों का रिजल्ट अलग-अलग प्रकाशित किया जाए.
इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार डबल बेंच में चली गई. डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को रद्द कर दिया. फैसले के खिलाफ छात्र सुप्रीम कोर्ट गए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया.
एक बार फिर छात्र हाईकोर्ट पहुंचे. रंजीत कुमार ने दायर याचिका में कहा कि अगर नियमावली में गलती हुई है तो ये सरकार की गलती है, न की छात्रों की और इसलिए रिजल्ट प्रकाशित किया जाए. कोर्ट ने इस बार याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया. इन सब के बीच सरकार ने इस परीक्षा से संबंधित विज्ञापन को वापस ले लिया.
साल 2017 में फिर से आवेदन लिए गए और परीक्षा की संभावित तारीख 2018 रखी गयी. इस बार पदों की संख्या में बढ़ोतरी की गई. इसके बाद परीक्षा की संभावित तारीख में फिर बदलाव करते हुए 2019 का नवंबर-दिसंबर महीना रखा गया. लेकिन यह परीक्षा भी नहीं हो सकी. क्योंकि इस बार सरकार ने 100 प्रतिशत आरक्षण झारखंड वासियों के लिए रख दिया. यह फैसला तत्कालीन सीएम रघुबर दास ने लिया था. हालांकि कुछ दिन बाद उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया.
इसके बाद नई सरकार बनी और साल 2021 को नियुक्ति वर्ष रखा गया. नियुक्ति के लिए नई नियमावली भी बनी. लेकिन एक बार फिर साल 2022 में पूरी वैकेंसी रद्द करनी पड़ी. रमेश हांसदा वर्सेस स्टेट के नाम से चले केस में नई नियमावली को चैलेंज किया गया था. इस बार हाईकोर्ट में सरकार हार गई. इसके बाद वैकेंसी को फिर से वापस ले लिया गया.
हालांकि उसी साल फिर आवेदन एप्लीकेशन बुलाई गईं और 2022 में ही परीक्षा कराने की बात सरकार ने कही. परीक्षा साल की शुरुआत में कराई जानी थी लेकिन फिर तारीख मई तक बढ़ा दी गई. मई के बाद 21 अगस्त को तारीख तय हुई. आखिरकार इसे भी स्थगित कर दिया गया. फिर 2023 में जनवरी में परीक्षा की तारीखें आईं. लेकिन उम्मीदवारों की बुरी किस्मत ने अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ा था. परीक्षा की तारीख मई के लिए बढ़ा दी गई और आखिर में इसे टाल दिया गया.
अब आ गया साल 2024. इस साल 21 और 28 जनवरी को परीक्षा की तारीख तय हुई. इस बार परीक्षा तो ली गई लेकिन उसे रद्द कर दिया गया. दरअसल इस बार पेपर लीक का मामला सामने आया. इसके चलते पहले 28 तारीख को हुई परीक्षा को रद्द कर दिया गया. बाद में पूरा पेपर रद्द कर दिया गया.
आगे भी कहानी यही रही. अगस्त 2024 के तीसरे हफ्ते में परीक्षा की तारीख तय हुई, जिसे फिर से बढ़ा कर सितंबर 2024 के अंतिम हफ्ते में ले जाया गया. सितंबर 21 और 22 को परीक्षा हुई. लेकिन छात्रों ने आरोप लगाया कि इस बार भी पेपर लीक हो गया. साथ ही इसमें सामान्य वर्ग के लिए नियम रखा गया कि उनका मैट्रिक और इंटर झारखंड से ही होना चाहिए. जबकि आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए इस नियम में ढील दी गई. इस पर भी विवाद हुआ. फिलहाल सरकार ने लीक मामले की जांच के लिए सीआईडी जांच बिठाई है. वहीं कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया. यह परीक्षा भी अब विवादों में है. इस बीच आवेदकों की संख्या भी बढ़कर साढ़े छह लाख हो गई है. लेकिन अब तक इसे संपन्न नहीं कराया जा सका है.
छात्र नेता चंदन कुमार रजक कहते हैं, "घर से प्रेशर है, हम जैसे छात्र खुद को असफल मानने लगे हैं. मैंने तो यह परीक्षा पास कर ली थी लेकिन अभी तक बेरोजगार हूं.’’
इन सब के बीच छात्रों के लिए एकमात्र राहत की बात ये रही कि CGL का फॉर्म पहले 500 रुपए का था. जिसे हेमंत सरकार ने 100 रुपया कर दिया है.
और भी परीक्षाएं हैं सवालों-जांच के घेरे में
CGL के अलावा झारखंड पुलिस (सिपाही) की बहाली रद्द हुई है. करीब डेढ़ साल पहले इसका आवेदन मंगाया गया. अब सरकार ने कहा है कि नई नियमावली बनाकर परीक्षा ली जाएगी.
झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) की परीक्षा का फॉर्म अगस्त 2024 में भरा गया है, नियमावली बदलाव और सिलेबस गड़बड़ी की बात सामने आई. फिलहाल इसकी परीक्षा की तिथि नहीं आई है. इस परीक्षा के लिए 3.50 लाख से अधिक छात्रों ने फॉर्म भरा है.
आरटीआई एक्ट के मुताबिक जेटेट की परीक्षा हर साल आयोजित होनी है. लेकिन राज्य बनने के बाद से अब तक यह मात्र दो बार साल 2021 और 2016 में ली जा सकी है.
वहीं कुल 342 सीटों के लिए आयोजित झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन (JPSC) 11 से 13 का प्री और मेंस जून 2024 में हुआ था. इसकी भी जांच चल रही है. नियम के मुताबिक इस परीक्षा की कॉपी कोई स्थाई शिक्षक ही जांच सकता है. जबकि छात्रों का आरोप है कि अस्थाई शिक्षकों से इसकी जांच कराई गई है. पूर्व सीएम रघुबर दास मामले को लेकर राज्यपास के पास पहुंचे थे. राज्यपाल ने जांच के आदेश दिए हैं. इसका इंटरव्यू जून में होना था. अब ये भी अधर में है.
झारखंड पुलिस की दारोगा भर्ती मई में होनी था. इसमें अभ्यर्थियों की उम्र सीमा 26 साल रखी गई है. छात्रों का कहना था कि सालों के गैप के बाद इसकी परीक्षा हो रही है. ऐसे में उम्र सीमा में छूट दी जाए. वे इसे बिहार की तर्ज पर 33 साल करने की मांग कर रहे हैं.
माध्यमिक आचार्य पद पर बहाली के लिए आए विज्ञापन में कंप्यूटर टीचर की वैकेंसी के लिए कंप्यूटर में बीएड होना अनिवार्य किया गया है. जबकि हकीकत ये है कि कंप्यूटर में बीएड की पढ़ाई राज्य होती नहीं है. ये मामला भी हाईकोर्ट चला गया है. इस परीक्षा को जेटेट पास अभ्यर्थी ही दे सकते हैं.
इस बीच परीक्षाओं के इस तरह टलने पर छात्र कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. 30 सितंबर 2024 को JSSC ऑफिस के सामने CGL पेपर लीक मामले को लेकर एक प्रदर्शन हुआ था और जिसमें सबंधित छात्र नेताओं पर में FIR भी दर्ज हुई थी. इसमें शामिल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े छात्र नेता कुणाल प्रताप कहते हैं, "सभी परीक्षाएं गलत नियमावली और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है. हम सच की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन हम पर मुकदमे लादे जा रहे हैं.’’