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झारखंड : पूर्व बीजेपी नेता का एनकाउंटर! सोरेन सरकार पर क्या आरोप लग रहे?

झारखंड पुलिस ने बीते 10 अगस्त को सूर्यनारायण हांसदा उर्फ सूर्या हांसदा का एनकाउंटर किया है. वे बीजेपी के साथ और भी पार्टियों से चुनाव लड़ चुके थे और उनके ऊपर दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज थे

पुलिस की गाड़ी में शव ले जाने का विरोध करती सूर्या हांसदा की मां नीलमणि मुर्मू 
पुलिस की गाड़ी में शव ले जाने का विरोध करती सूर्या हांसदा की मां नीलमणि मुर्मू 
अपडेटेड 14 अगस्त , 2025

झारखंड पुलिस ने बीते 10 अगस्त को सूर्यनारायण हांसदा उर्फ सूर्या हांसदा का एनकाउंटर कर दिया. वे एक बार बीजेपी, दो बार बाबूलाल मरांडी की पूर्व पार्टी जेवीएम और एक बार नवोदित पार्टी झारखंड जनक्रांति लोकतांत्रिक मोर्चा (जेएलकेएम) के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके थे. पुलिस के मुताबिक गोड्डा और साहेबगंज जिले में उसके ऊपर अवैध वसूली, रंगदारी से संबंधित कुल 25 मामले दर्ज थे. 

गोड्डा एसपी मुकेश कुमार के मुताबिक सूर्या हांसदा के ऊपर बीते 28 मई को गोड्डा जिले के ही ललमटिया खदान क्षेत्र में फायरिंग कर दहशत फैलाने का मामला दर्ज था. इसी मामले में गिरफ्तारी के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया था. इसके बाद गुप्त सूचना के आधार पर 10 अगस्त को पुलिस ने उसे देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड के नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया था.

इस घटना के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है. बीजेपी के नेताओं ने जहां इसे बर्बतापूर्ण कार्रवाई करार दिया है. वहीं मृतक के परिजनों ने सीएम हेमंत सोरेन के करीबी पंकज मिश्रा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. 

क्या है पूरा मामला 

एसपी मुकेश कुमार ने बताया कि, पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को अपने दस्ते के 10-15 लोगों के छिपने और वहां हथियार होने की बात बताई. उसकी निशानदेही पर हथियार बरामदगी के लिए पुलिस उसे रहड़बड़िया पहाड़ ले जा रही थी. तभी वह पुलिस से इंसास राइफल छीनकर भागने लगा. 

एसपी मुकेश कुमार ने यह भी बताया कि जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने फायरिंग की और मुठभेड़ में वह मारा गया. उसके पास से देसी कट्टा, पिस्तौल के साथ कारतूस व खोखा भी बरामद किया है. वहीं पूरे घटनाक्रम में पुलिस का कोई जवान घायल नहीं हुआ है. पुलिस के मुताबिक वह हांसदा के मामले में पहले से सतर्कता बरत रही थी.  

सूर्या हांसदा ने साल 2019 में बोरियो विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी  के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहे. पार्टी ने पूर्व अध्यक्ष ताला मरांडी का टिकट काटकर सूर्या हांसदा को अपना उम्मीदवार बनाया था. इससे पहले वो दो बार बार बाबूलाल मरांडी की पूर्व पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके थे. वहीं साल 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट न मिलने पर जेएलकेएम के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 

सूर्या के परिजनों का कहना है कि सीएम हेमंत सोरेन के सबसे करीबी पंकज मिश्रा के इशारे पर पुलिस ने एनकाउंटर किया है. मृतक की पत्नी सुशीला मुर्मू का कहना है कि उनके पति बीमार थे. वो इलाज कराने वेल्लोर गए थे. वहां से लौटने के बाद देवघर अपने मौसी के घर चले गए थे. पुलिस ने वहीं से गिरफ्तार किया.

मुर्मू कहती हैं, “जो पहले से बीमार हो, सार्वजनिक जीवन में हो, वो भला कैसे पुलिस की गिरफ्त से भाग सकता था. मैंने पुलिस से कहा था कि मैं अपने पति से बात कर रही हूं, उनको सरेंडर करने को तैयार कर रही हूं. मैंने अपने पति से पूछा भी था, तो उन्होंने कहा था कि अभी तबीयत खराब है, ठीक होने पर सरेंडर कर दूंगा’’  

मां नीलमणि मुर्मू पहले जिला परिषद की सदस्य रह चुकी हैं. वो कहती हैं, “सूर्या की दुश्मनी सीएम के करीबी पंकज मिश्रा से रही है. वो पंकज मिश्रा की अवैध वसूली का विरोध करता था इसलिए उसका एनकाउंटर करवा दिया गया है.’’ उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उनके बेटे को बिजली का करंट लगाकर मारा गया है, फिर उसे एनकाउंटर का रूप दिया गया है. 

मां ने यह भी बताया कि सूर्या ‘चांद भैरव विद्यालय’ नाम से स्कूल भी चलाता थे. जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर, अनाथ बच्चे-बच्चियों को हॉस्टल में रखकर निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी. 

आदिवासी की जगह अंसारी होता क्या मार पाती पुलिसः बीजेपी 

राज्य के पूर्व सीएम और भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने पुलिस की कार्रवाई पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “वक्त ने एक आदिवासी को बनाया अपराधी, लोकतंत्र ने दिया मंच, पर पुलिस ने छीन ली आखिरी सांस. आदिवासी नेता सूर्या हांसदा का एनकाउंटर कई सवाल खड़े करता है. जब वे चार बार चुनाव लड़ चुके थे, तो इसका मतलब साफ था कि वे मुख्यधारा से जुड़कर काम करना चाहते थे. लेकिन पुलिस द्वारा जिस हिसाब से कार्रवाई की गईं है, वह कई तरह के संदेह खड़ी करती है.’’ 

गोड्डा से बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रवक्ता अमित मंडल ने भी झारखंड सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा, “वर्तमान सरकार पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की तर्ज पर हर उस आवाज को शांत करा देती है, जो उसके विरुद्ध उठती है. मतलब साफ है कि अगर सरकार को आपकी आवाज पसंद नहीं आई तो पुलिस आपका एनकाउंटर करेगी या फिर जेल में बंद कर देगी.’’  

वे आगे कहते हैं, “यदि सूर्या हांसदा का नाम सूर्या अंसारी होता तो क्या पुलिस और सरकार ऐसी कार्रवाई करती. इसलिए सरकार इस पूरे मामले पर स्थिति स्पष्ट करे.’’ 

वहीं नवोदित पार्टी जेएलकेएम के मुखिया और पार्टी के एकमात्र विधायक जयराम महतो ने भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं. उनके मुताबिक, “जिन आदिवासियों के पूर्वजों ने झारखंड राज्य लड़ कर लिया, उन्हें आज एनकाउंटर का सामना करना पड़ रहा है.’’ 

कौन हैं पंकज मिश्रा, जिन पर परिजन लगा रहे हैं आरोप 

पंकज मिश्रा खुद भी ईडी के निशाने पर रहे और डेढ़ साल से अधिक समय तक जेल में रहे हैं. वे हेमंत सेरोन के विधायक प्रतिनिधि भी रहे हैं. 

जुलाई 2022 में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. उन पर साहिबगंज और आसपास के क्षेत्रों में पत्थर क्रशर, इनलैंड फेरी सेवा और निविदा प्रक्रियाओं पर नियंत्रण का आरोप है. संथाल परगना क्षेत्र में अपने प्रभाव के कारण स्थानीय राजनीतिक हलकों में उन्हें “संथाल का सीएम” कहा जाता है. फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं. 

इस घटना से दो महीने पहले गोड्डा में ही एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि गोड्डा में किसी अपराधी के लिए कोई जगह नहीं है. या तो वो जिला छोड़ दें, या फिर पुलिस उन्हें मार गिराएगी. 

राज्य में क्राइम की स्थिति 

पुलिस एनकाउंटर का यह कोई पहला मामला नहीं है जिस पर सवाल उठे हों. इससे पहले बीते 11 मार्च को राज्य के कुख्यात अपराधी अमन साव को छत्तीसगढ़ जेल से झारखंड लाते समय रास्ते में एनकाउंटर कर दिया गया था. पुलिस का कहना था कि पुलिस की गिरफ्त से भागने के क्रम में उनका एनकाउंटर किया गया. 

पुलिस ने उस वक्त भी कहा था कि अमन साव को छुड़ाने के लिए उसके साथियों ने पुलिस गाड़ी पर हमला किया. लेकिन उस घटना में भी अमन साव के अलावा उसके किसी अन्य साथी को न तो गिरफ्तार किया जा सका, न ही किसी के गोली लगने की पुष्टि हुई थी. 

इस घटना में भी सूर्या हांसदा के अलावा कथित तौर पर उसके किसी  अन्य साथी को गोली लगने या गिरफ्तार करने की बात पुलिस स्वीकार नहीं कर रही है. 

वहीं झारखंड में क्राइम के ग्राफ को देखें तो भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. राज्य पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक साल 2025 में जनवरी से जून तक पूरे राज्य में क्राइम की कुल 32,218 घटनाएं दर्ज की गई है. जिसमें अलग-अलग मामले 23,307, चोरी के 4342, बलात्कार के 922 मामले दर्ज किए गए हैं. 

इसके अलावा नक्सल मर्डर के 5, जनरल मर्डर के 781, रोड डकैती के 51, हाउस डकैती के 23, रोड रॉबरी के 136, हाउस रॉबरी के 20, चोरी के इरादे से घर घुसने के 942,  दंगा के 559, अपहरण के 683, फिरौती के लिए अपहरण के 15,  आर्म्स एक्ट के 246, एक्सप्लोसिव एक्ट के 59, नक्सल केस के 124, और डायन हत्या के 3 मामले दर्ज किए गए हैं.  

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