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जांच में निर्दोष पाए गए झारखंडी चूहे; 800 बोतल शराब पीने का लगा था आरोप!

झारखंड में धनबाद जिले की कुछ दुकानों में जांच के दौरान 802 बोतल शराब स्टॉक से कम मिलीं. इनके कर्मचारियों ने दावा किया था कि यह शराब चूहे पी गए

सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 18 जुलाई , 2025

झारखंड में एक नया शराब घोटाला सामने आया है. धनबाद जिले में 802 बोतल शराब पीने का आरोप चूहों पर लगाया गया. आरोप लगाने वालों ने कहा कि चूहों ने पहले बोतल के ढक्कन को कुतरा, फिर उसमें पूंछ डुबाई और अपनी पूंछ को चाट कर शराब गटक गए. 

दरअसल राज्य में साल 2022 में नई उत्पाद नीति लागू की गई थी. जिसके मुताबिक शराब की थोक और खुदरा बिक्री सरकार खुद कर रही थी. झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से सरकार ऐसा कर रही थी. खुदरा दुकानों के संचालन के लिए मैन पावर सप्लाई का ठेका कई कंपनियों को दिया गया था. उन्हें यह ठेका 31 जून 2025 तक का ही मिला था. 

बीती 1 जुलाई से जब जेएसबीसीएल ने प्लेसमेंट एजेंसियों से शराब दुकानों को टेकओवर करना शुरू किया, उसी दौरान यह खुलासा हुआ. अधिकारियों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी के दौरान धनबाद जिले के बलियापुर और प्रधानखंडा की दुकानों में 802 बोतल शराब स्टॉक से कम मिले. उन बोतलों के ढक्कनों में छेद थे और शराब गायब थी. 

जब वजह पूछी गई तो दुकानदारों ने कहा कि शराब चूहे पी गए. अजीब सा तर्क देते हुए दुकानदारों ने बताया कि चूहों ने पहले बोतलों के ढक्कन कुतरे, फिर अपनी पूंछ को ढक्कर के भीतर डाला और उसे चाट गए. 

मीडिया में मामला आने पर राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया. आनन-फानन में विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने जांच का आदेश दिया. उन्होंने कहा, "कई पूर्ववर्ती सरकारों में भी चूहों की भूमिका सामने आई है. लेकिन इस बार उन चूहों की शिनाख्त जरूर होकर रहेगी. यह देखना है कि दो पांव वाले चूहे हैं या जमीन पर रेंगने वाले चूहे हैं. जांच होगी और कार्रवाई भी होगी. उन्होंने कहा कि झारखंड में हेमंत सरकार पार्ट टू चल रही है. यह सरकार जीरो टॉलरेंस पर चलती है."  

मंत्री के आदेश के बाद जांच हुई. इस दौरान पाया कि आरके एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के पास इन दुकानों में मैनपावर सप्लाई का ठेका था. उसी ने यह घोटाला किया है. इस तरह विभागीय जांच में चूहे निर्दोष साबित हो गए हैं. अब कंपनी पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है. 

धनबाद के उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त रामलीला रवानी बताते हैं,  ‘’एक टीम बनाकर शराब दुकान की जांच की गई. जिसमें 802 शराब की बोतल में कमियां मिली हैं. उसकी भरपाई एजेंसी को करनी पड़ेगी. विभाग की ओर से फ्रेश माल दिया गया था. वापस विभाग को फ्रेश माल चाहिए. एजेंसी को नोटिस भेजकर रकम की मांग की जाएगी.’’  

वहीं पूरे मामले में आरोपी कंपनी आरके एंड कंपनी प्राइवेट लिमिट के अधिकारी नवीन सिंह दावा करते हैं, "जब हम किसी दुकान तक शराब पहुंचाते हैं तो रास्ते में शराब की पेटी का टूटना कोई बड़ी बात नहीं है. साथ ही कभी शराब अगर बिकी नहीं, तो स्टॉक में रखे बोतल के ढक्कन को चूहे कुतर देते हैं. चूंकि उसमें स्पिरिट होता है, ऐसे में बोतल से शराब निकल जाती है." 

नवीन के मुताबिक धनबाद के जिस दुकान में स्टॉक मिलान हो रहा था, वहां कंपनी के किसी सेल्समैन ने कह दिया कि चूहे ढक्कन कुतर दिया. इसी बात को लोगों ने यह बताकर प्रचारित कर दिया कि चूहे शराब पी गए. वे आगे यह भी कहते हैं, "नियम के तहत है कि नुकसान की भरपाई प्लेसमेंट एजेंसी ही करती है. वे भी करेंगे." 

झारखंड में 1 सितंबर से नई उत्पाद नीति लागू हो जाएगी, जिसके बाद राज्य में शराब दुकानों का संचालन निजी हाथों में चला जाएगा. उत्पाद विभाग ने दुकानों की बंदोबस्ती निजी शराब कारोबारियों को करने के लिए समय-सीमा निर्धारित कर दी है. इसके अनुसार 26 जुलाई से 8 अगस्त तक ऑनलाइन लॉटरी आवेदन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. 12 अगस्त को ई-लॉटरी के परिणाम का प्रकाशन किया जाएगा. इसके बाद 20 अगस्त तक खुदरा उत्पाद दुकानों को लाइसेंस जारी कर दिए जाएंगे. 

इस नई नीति से राज्य सरकार ने एक सितंबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक यानी कुल सात महीने में 2402 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा है. इसके तहत चालू वित्तीय वर्ष में पहले से घोषित राजस्व लक्ष्य जहां 2985 करोड़ रुपए था, उस लक्ष्य को संशोधित करते हुए विभाग ने उसे 3585 करोड़ रुपए कर दिया है. 

चूहों पर ये कोई पहली बार आरोप नहीं लगा है. इससे पहले अप्रैल 2024 में धनबाद में एक ऐसा ही मामला सामने आया था. जिसमें राजगंज थाना में जमा 10 किलोग्राम भांग और 9 किलोग्राम गांजे के नष्ट होने के पीछे चूहों को जिम्मेदार ठहराया गया था. 

शराब घोटाले में आईएएस अधिकारी जेल में 

शराब बिक्री और उसकी ठेकेदारी देने में भारी गबन के आरोप में राज्य के पूर्व उत्पाद सचिव और हेमंत सोरेन के निजी सचिव रहे विनय चौबे जेल में हैं. इस मामले में बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारी हुई है. पूरे मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक इकाई (एसीबी) कर रही है. 

इसके अलावा बीते 17 जून को पूर्व आईएएस अधिकारी और उत्पाद कमिश्नर रहे अमित प्रकाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उन पर आरोप है कि साल 2022 में बनी नई शराब नीति में हेरफेर कर राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व का नुकसान पहुंचाया. इसी मामले में गुजरात और महाराष्ट्र के सात आरोपियों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. वहीं कुल 16 लोगों को फिलहाल आरोपी बनाया गया है. 

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि ये मात्र 38 करोड़ का  घोटाला नहीं है. उनका आरोप है कि यह 600-700 करोड़ रुपए का घोटाला है और सीएम हेमंत सोरेन ने खुद को बचाने के लिए आईएस अधिकारी को जेल भेजा है. 

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