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आजम खान की परेशानी का सबब क्यों बना जौहर ट्रस्ट?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान और उनके करीबियों के ठिकाने पर 13 सितंबर को आयकर विभाग ने छापामारी की है

विवादों में हैं जौहर ट्रस्ट की कई संपत्तियां
विवादों में हैं जौहर ट्रस्ट की कई संपत्तियां
अपडेटेड 14 सितंबर , 2023

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और रामपुर के पूर्व सांसद आजम खान और उनके करीबियों के करीब 30 ठिकानों पर 13 सितंबर को अचानक आयकर अधिकारियों की चहलकदमी शुरू हो गई थी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ, सीतापुर, रामपुर, मेरठ, गाजियाबाद और सहारनपुर के साथ-साथ मध्य प्रदेश के विदिशा में मौजूद इन ठिकानों पर आयकर अधिकारियों के दस्ते छापेमारी की गरज से पहुंच गए थे.

आजम खान की सरपरस्ती वाले मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट से जुड़े कई लोगों के ठिकानों को भी खंगाला गया. आयकर विभाग ने आजम खान और उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम की ओर से विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे की जांच में गड़बड़ी पाई थी. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्त‍ि को लेकर जांच चल रही थी.

जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग की जांच में मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट में हुई आर्थ‍िक अनियमितता भी शामिल है. जौहर ट्रस्ट की जांच प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम को सौंपी थी. ईडी भी इस मामले की जांच कर रहा है. राजनीतिक घमासान मचाने वाली छापामारी 13 सितंबर की देर रात तक जारी रही और राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के मुस्लिम चेहरे आजम खान के लिए नई मुसीबत खड़ी होने का संकेत दिया. 2019 में रामपुर सदर से विधायक भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने आजम खान पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने और टैक्स भुगतान में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था. उन्होंने जांच की अपनी मांग के समर्थन में केंद्रीय गृह मंत्रालय को दस्तावेज भी सौंपे थे. आजम खान के ठिकाने पर छापामारी से राजनीतिक तापमान गर्म हो गया है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही इस तरह की छापेमारी बढ़ जाएगी. उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया, ''विपक्षी नेताओं पर ये छापे उसी तीव्रता से बढ़ेंगे जिस तीव्रता से सरकार कमजोर होगी.''

जौहर ट्रस्ट के जिन लोंगों के खिलाफ आयकर विभाग में शिकायतें दर्ज हैं उनमें मोहम्मद आजम खान संस्थापक अध्यक्ष, मुश्ताक अहमद सिद्दीकी, लखनऊ उपाध्यक्ष, डॉ. तजीन फातिमा, सचिव, नसीर अहमद खान, संयुक्त सचिव, निकहत अखलाक, कोषाध्यक्ष, मोहम्मद अदीब, आजम, मुन्नवर सलीम, मोहम्मद अब्दुल्ला आजम और सलीम कासिम बतौर सदस्य शामिल हैं. जौहर ट्रस्ट के सभी सदस्य फिलहाल कोर्ट से जमानत पर चल रहे हैं. इन सदस्यों पर जमीन कब्जा करने के साथ ही शत्रु संपत्ति कब्जाने के 12-12 मुकदमे दर्ज हैं. ये सभी सदस्य फिलहाल जमानत पर चल रहे हैं, जिनका ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है.

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद रामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी (वर्तमान में मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर) आन्जनेय कुमार सिंह ने आकाश सक्सेना और अन्य किसानों की शिकायत पर आधा दर्जन से अधिक प्रशासनिक टीमें गठित कर रामपुर में आजम खान की अध्यक्षता वाले मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की संपत्त‍ियों की जांच कराई थी. जांच में आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीनों पर अवैध कब्जे समेत कई अन्य संपत्त‍ियों को गलत ढंग से हथियाने के सबूत मिले थे. इसके बाद आन्जनेय कुमार सिंह ने आजम खान का नाम भूमाफिया पोर्टल पर दर्ज कराया था. इतना ही नहीं आजम के परिवार के सदस्यों समेत इनके आधा दर्जन सहयोगियों पर भी मुकदमा दर्ज हुआ था. रामपुर में सपा के निवर्तमान जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल बताते हैं, "आजम खान पर दर्ज मुकदमों में 90 फीसदी से अधि‍क 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद दर्ज हुए हैं. इससे स्पष्ट है कि रामपुर प्रशासन योगी सरकार के इशारे पर ही काम कर रहा था."
 
आजम खान का मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट से भावनात्मक रिश्ता है. वर्ष 1995 में आजम खान ने इस ट्रस्ट की स्थापना की थी. मौलाना मोहम्मद अली जौहर का जन्म वर्ष 1878 में तत्कालीन रामपुर रियासत में हुआ था. जब जौहर पांच वर्ष के थे तभी इनके पिता अब्दुल अली खान का निधन हो गया था. अपने पिता की मृत्यु के बावजूद, जौहर ने दारुल उलूम, देवबंद और अलीगढ़ मुस्ल‍िम विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. इन्होंने वर्ष 1898 में, लिंकन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में आधुनिक इतिहास का अध्ययन किया. भारत लौटने पर, उन्होंने रामपुर राज्य के शिक्षा निदेशक के रूप में कार्य किया. इन्हीं के नाम पर आजम खान ने अपने ट्रस्ट का नामकरण किया. आजम खान ने 'मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट' के झंडे तले अपने ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर विश्वविद्यालय रामपुर की स्थापना की कार्यवाही शुरू की.

साढ़े तीन सौ एकड़ से अधिक जमीन पर फैले इस विश्वविद्यालय की स्थापना 2006 में यूपी में मुलायम सिंह सरकार के दौरान हुई थी. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि उनके संस्थान में फैशन डिजाइनिंग, मेडिकल, इंजीनियरिंग, मास कम्युनिकेशन समेत कुल 33 पाठ्यक्रम चल रहे हैं.  जिनमें तकरीबन 3000 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. विश्वविद्यालय से जुड़े विवादों ने तूल तब पकड़ा जब आजम खान ने इसे अल्पसंख्यक दर्जा दिलाने का प्रयास शुरू किया. इसी को लेकर पूर्व राज्यपाल टी. वी. राजेश्वर और इसके बाद बी. एल. जोशी से आजम खान की जमकर तकरार हुई.

आजम को सफलता 2014 को तब मिली जब इनके करीबी और उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी को उत्तर प्रदेश का भी कार्यभार दिया गया. कुरैशी ने जुलाई, 2014 में जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी. हालांकि अपनी स्थापना से ही विश्वविद्यालय पर किसानों की जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप लगते रहे हैं. जौहर विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीन को बिना रुपए दिए भुगतान करने के आरोप लगे और 27 मुकदमे दर्ज हुए जो कोर्ट में विचाराधीन हैं. इसके अलावा शत्रु संपत्ति पर कब्जा करके विश्वविद्यालय में शामिल करने से लेकर तमाम आरोप लगते रहे हैं.

जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना में खर्च की गई राशि आयकर विभाग के निशाने पर है. दरअसल विभाग को जौहर विश्वविद्यालय बनाने में पांच हजार करोड़ रुपए खर्च होने की जानकारी मिली है. इतनी बड़ी रकम कहां से आई? इसका जवाब तलाशने के लिए आजम खान और इनके करीबियों पर छापामारी की गई है. रामपुर में आजम खान की सियासी हैसियत की तरह ही जौहर ट्रस्ट से जुड़ी संपत्त‍ियां भी अपनी रंगत खो चुकी हैं.

मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के भीतर बना मदर टेरेसा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, मोहम्मद आजम खान म्यूजियम, आर्ट एंड गैलरी, समेत एक दर्जन इमारतें बदहाल हो चुकी हैं. योगी सरकार ने जौहर ट्रस्ट को नियम विरुद्ध आवंटित मौलाना मुहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान वापस ले लिया है. फि‍लहाल पिछले चार दशकों में यह पहली बार है कि आजम खान या इनके परिवार का कोई सदस्य किसी भी सदन का निर्वाचित या मनोनीत प्रतिनिधि नहीं है. अब तक के अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे आजम खान के लिए आयकर विभाग की कार्यवाही और भी परेशानी का सबब बन सकती है.

जौहर ट्रस्ट की विवादित संपत्तियां

यतीमखाना: रामपुर से स्वार रोड पर मोहल्ला घोसियान में अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए नवाब ने यतीमखाना का निर्माण कराया था. सपा सरकार में इसे जौहर ट्रस्ट को सौंप दिया गया. यहां रामपुर पब्ल‍िक स्कूल का निर्माण 2016 में शुरू हुआ. नियमविरुद्ध निर्माण होने पर जिला प्रशासन ने इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया. मामला कोर्ट में विचाराधीन है.

मदरसा आलिया: रामपुर किले के पूर्वी गेट पर मदरसा आलिया-ओरिएंटल कॉलेज अरबी-फारसी शिक्षा का एक प्रतिष्ठित संस्थान था. 2014 में इसे नियम विरुद्ध जौहर ट्रस्ट को लीज पर दे दिया गया. यहां पर रामपुर पब्ल‍िक स्कूल (किड्स जोन) खोला गया. इसी परिसर में चल रहा पुराना यूनानी दवाखाना बंद कर दिया गया. प्रशासन ने यूनानी अस्पताल को दोबारा खुलवाया है.

राजकीय मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय: यह रामपुर का सबसे पुराना स्कूल था. इसके एक हिस्से में डिस्ट्र‍िक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल (डीआईओएस) और बेसिक शिक्षा अधि‍कारी (बीएसए) का दफ्तर था. फरवरी, 2007 में इसे जौहर ट्रस्ट को लीज पर दिया गया. इसमें समाजवादी पार्टी का कार्यालय खोला गया. प्रशासन ने विद्यालय की लीज समाप्त करने के लिए शासन को पत्र लिखा है.

यूनिवर्सिटी मुख्य द्वार: रामपुर के सींगनखेड़ा गांव से कोसी नदी बांध तक करीब ढाई किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग (पीडब्लयूडी) ने कराया था. बाद में इसी सडक पर जौहर विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार बनाकर इसे आम जन के लिए बंद कर दिया गया. 2019 में एसडीएम कोर्ट ने गेट को अवैध ठहराते हुए इसे तोड़ने के आदेश दिए. मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है.

पंडाल: सांस्कृतिक विभाग ने वर्ष 2015 में जौहर विश्वविद्यालय परिसर के भीतर 12 करोड़ रुपए की लागत से एक भव्य पंडाल का निर्माण कराया था. संस्कृति विभाग के इस पंडाल का उपयोग सभी सरकारी कार्यक्रमों में नि:शुल्क किया जाना था. प्रदेश सरकार इस पंडाल को विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपे जाने की जांच करा रही है.

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