
ताज महल के लिए पहचाने जाने वाले आगरा के बाहरी हिस्से में स्थित दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) का यह परिसर बाहर से देखने पर किसी सामान्य प्रशिक्षण संस्थान जैसा लगता है, लेकिन भीतर कदम रखते ही साफ हो जाता है कि यहां कुछ अलग और देश में पहली बार होने वाला प्रयोग किया गया है. DVVNL ने यहां देश का पहला विद्युत म्यूजियम एवं प्रशिक्षण केंद्र तैयार किया है, जो सिर्फ देखने की जगह नहीं बल्कि सीखने, समझने और सुरक्षित तरीके से काम करने की सोच को मजबूत करता है. यह म्यूजियम दरअसल बिजली व्यवस्था की पूरी यात्रा को बेहद सरल, व्यावहारिक और दृश्य रूप में सामने रखता है. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि फील्ड में काम करने वाला कर्मचारी भी जटिल तकनीकी अवधारणाओं को आसानी से समझ सके और इंजीनियरों के लिए यह एक रिफ्रेशर क्लास की तरह काम करे.

इस म्यूजियम में आम लोग भी जा सकते हैं, हालांकि एक खास हिस्सा सिर्फ बिजली विभाग के कर्मचारियों के लिए है. म्यूजियम का सबसे आकर्षक हिस्सा है 33/11 केवी उपकेंद्र का फुल साइज, कार्यशील मॉडल. इसमें स्विचयार्ड से लेकर कंट्रोल रूम तक हर चीज वास्तविक रूप में दिखाई गई है. सिर्फ मॉडल ही नहीं, बल्कि हर उपकरण के साथ उसका काम, उपयोग और सुरक्षा पहलू भी समझाया गया है. यह ऐसा है जैसे कोई कर्मचारी पहली बार उपकेंद्र में जाने से पहले यहां पूरी प्रैक्टिस कर ले.

बिजली व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पावर ट्रांसफॉर्मरों की सुरक्षा को यहां खास तौर पर उभारा गया है. रिले, वीसीबी, सीटी, लाइटनिंग अरेस्टर और आइसोलेटर जैसे उपकरणों को सिर्फ नाम के लिए नहीं, बल्कि उनके असली उपयोग और काम करने के तरीके के साथ प्रदर्शित किया गया है. सूचनात्मक डिस्प्ले, डायग्राम और असली उपकरण मिलकर इसे एक जीवंत क्लासरूम बना देते हैं.
ट्रांसफॉर्मर की सेहत कैसे जांची जाती है, यह सवाल यहां तस्वीरों और उपकरणों के जरिए जवाब देता है. बुकहोल्ज रिले, वाइंडिंग टेम्परेचर इंडिकेटर (WTI) और ऑयल टेम्परेचर इंडिकेटर (OTI) जैसे महत्वपूर्ण संकेतकों को विस्तार से समझाया गया है. यह जानकारी फील्ड में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि यही संकेत समय रहते बड़े हादसों को रोक सकते हैं. म्यूजियम में एक कार्यशील वितरण ट्रांसफॉर्मर (DT) भी लगाया गया है, जिसमें उसकी पूरी सुरक्षा प्रणाली दिखाई गई है. डीओ फ्यूज सेट, टेललेस यूनिट, आइसोलेटर और अन्य सहायक उपकरणों को इस तरह रखा गया है कि कर्मचारी उन्हें छूकर, देखकर और समझकर सीख सकें. ट्रांसफॉर्मर के अंदरूनी हिस्से जैसे कोर, प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग्स तथा ऑयल को भी अलग-अलग प्रदर्शित किया गया है.

बिजली की दुनिया में इंसुलेशन का महत्व बहुत बड़ा होता है, लेकिन अक्सर यह चर्चा से बाहर रहता है. इस म्यूजियम में लेदराइज्ड पेपर, कॉर्क शीट्स, बेकलाइट ट्यूब्स, ग्लास स्लीव्स जैसी इंसुलेटिंग सामग्री को अलग सेक्शन में दिखाया गया है. यहां यह समझाया जाता है कि सही इंसुलेशन कैसे उपकरणों की उम्र और सुरक्षा दोनों बढ़ाता है. फील्ड में छोटी-छोटी गलतियां बड़े नुकसान का कारण बन सकती हैं. इसी वजह से वितरण ट्रांसफॉर्मरों के रखरखाव से जुड़े जरूरी डूज़ एंड डोन्ट्स को विजुअल फॉर्म में दिखाया गया है. यह सेक्शन अनुभव से निकले सबक जैसा लगता है, जो नए और पुराने दोनों कर्मचारियों के लिए उपयोगी है.

म्यूजियम का एक बड़ा हिस्सा फील्ड कर्मचारियों की सुरक्षा को समर्पित है. यहां इन-बिल्ट टॉर्च और लाइव वायर डिटेक्शन सुविधा वाले सेफ्टी हेलमेट, सेफ्टी जैकेट, सेफ्टी शूज़, सेफ्टी हार्नेस, 33 केवी और 11 केवी सेफ्टी ग्लव्स तथा मानक टूलकिट्स प्रदर्शित हैं. संदेश साफ है, बिजली से काम तभी सुरक्षित है जब सुरक्षा उपकरण सही हों और सही तरीके से इस्तेमाल किए जाएं.
इलेक्ट्रोमैकेनिकल मीटरों से लेकर आज के स्मार्ट मीटरों तक का सफर इस म्यूजियम में साफ दिखाई देता है. यह सेक्शन तकनीक के विकास को समझाने के साथ यह भी बताता है कि कैसे मीटरिंग व्यवस्था में बदलाव से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है. रिले, लग्स, जॉइंटिंग किट्स, केबल्स, कंडक्टर्स और इंसुलेटर्स जैसे उपकरणों को यहां अलग से प्रदर्शित किया गया है. ये वही चीजें हैं जो रोजमर्रा के काम में इस्तेमाल होती हैं, लेकिन अक्सर उनकी सही जानकारी नहीं होती. म्यूजियम इन्हें समझने का मौका देता है.
DVVNL ने सिर्फ म्यूजियम ही नहीं बनाया, बल्कि उसी परिसर में एक आधुनिक आईटी प्रशिक्षण केंद्र भी विकसित किया है. यहां 26 प्रशिक्षार्थियों के लिए आवासीय सुविधा, आधुनिक बंक बेड्स और गुणवत्तापूर्ण भोजन की व्यवस्था है. उद्देश्य साफ है, ऐसा माहौल देना जहां प्रशिक्षार्थी बिना किसी परेशानी के सीखने पर ध्यान दे सकें. पिछले छह महीनों में यहां 724 जूनियर इंजीनियर, 2,100 तकनीकी ग्रेड-2 कर्मचारी, 180 अकाउंटेंट और 387 असिस्टेंट इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया गया है. यह दिखाता है कि यह म्यूजियम सिर्फ दिखावे की चीज नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से सिस्टम को मजबूत कर रहा है. DVVNL के प्रबंध निदेशक नितीश कुमार का कहना है कि बिजली कर्मियों के लिए प्रशिक्षण कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि जरूरत है. उनके मुताबिक यह विद्युत म्यूजियम फील्ड कर्मचारियों को मानकीकृत और व्यावहारिक प्रशिक्षण देने की दिशा में एक अहम कदम है.
आगरा का यह विद्युत म्यूजियम बिजली व्यवस्था को किताबों और फाइलों से निकालकर जमीन पर उतारता है. यह दिखाता है कि अगर प्रशिक्षण को गंभीरता से लिया जाए तो न सिर्फ दक्षता बढ़ती है, बल्कि सुरक्षा, विश्वसनीयता और सेवा की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. देश में पहली बार बना यह विद्युत म्यूजियम आने वाले समय में दूसरे राज्यों और बिजली वितरण कंपनियों के लिए एक मजबूत मॉडल बन सकता है.

