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बिहार : झंझारपुर लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन के लिए दूसरे पप्पू यादव बने गुलाब यादव कौन हैं?

कभी राजद में रहे गुलाब यादव इस बार झंझारपुर लोकसभा सीट से बसपा की टिकट चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें यहां मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है

गुलाब यादव का प्रचार पोस्टर
अपडेटेड 5 मई , 2024

बिहार में पप्पू यादव के बाद अब गुलाब यादव इंडिया गठबंधन की राह में मुसीबत बनते जा रहे हैं. कभी राजद में रहे गुलाब यादव इस बार झंझारपुर लोकसभा सीट से बसपा की टिकट पर खड़े हैं और जमीनी हालात बताते हैं कि वे क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ की वजह से न सिर्फ इंडिया गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवार वीआईपी के सुमन महासेठ को नुकसान पहुंचा रहे, बल्कि कई जानकारों का तो यह मानना है कि इस चुनाव में निवर्तमान सांसद एवं जदयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल से उनका ही सीधा मुकाबला है. मामला त्रिकोणीय होने के बावजूद सुमन महासेठ तीसरे नंबर पर चल रहे हैं.

झंझारपुर लोकसभा का चुनाव तीसरे चरण में सात मई को होना है. क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं. तीनों उम्मीदवार क्षेत्र में गांव-गांव घूम रहे हैं और एनडीए और इंडिया गठबंधन के पक्ष में उनके नेता लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं. 3 मई, 2024 को वीआईपी उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ के पक्ष में रैली करने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव और जदयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल के पक्ष में प्रचार करने चिराग पासवान और संजय झा पहुंचे थे. इधर गुलाब यादव अकेले ही अपना प्रचार अभियान चला रहे हैं. इसमें उनकी जिला परिषद अध्यक्ष बेटी बिंदू गुलाब यादव और विधान पार्षद पत्नी अंबिका गुलाब यादव भी जमीनी स्तर पर उनके साथ हैं.

 

अपने समर्थकों से मुलाकात करते गुलाब यादव

झंझारपुर के ठीक पास के गांव गंगापुर के रहने वाले गुलाब यादव की अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ है. इन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर पंचायत चुनाव से शुरू किया और फिर वे प्रखंड प्रमुख भी बने. इसी के बाद 2015 में राजद ने इन्हें झंझारपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद राजद ने उन्हें 2019 में झंझारपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया. हालांकि वे उस चुनाव को जीत नहीं पाए. मगर इसके बाद 2022 में उन्होंने पहले अपनी बेटी बिंदू गुलाब यादव को मधुबनी का जिला परिषद अध्यक्ष बनवाया और फिर राजद के खिलाफ जाकर अपनी पत्नी अंबिका गुलाब यादव को मधुबनी से एमएलसी के चुनाव में उतारा जिसमें उन्होंने जीत भी दर्ज की.

इसके कारण गुलाब यादव को पार्टी ने मार्च, 2022 में छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था. दरअसल गुलाब यादव ने अपनी पत्नी की एमएलसी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए कहा था कि पार्टी ने उन्हें काफी पहले इस सीट से चुनाव की तैयारी करने के लिए कहा था, मगर ऐन चुनाव के वक्त पार्टी ने किसी और उम्मीदवार को खड़ा कर दिया. ऐसे में राजद की रक्षा के लिए उन्हें अपनी पत्नी को चुनाव में उतारना पड़ रहा है. इसके बाद ही पार्टी ने उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें  निष्कासित किया था.

जदयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल

वैसे गुलाब यादव दबंग छवि के नेता हैं. उन पर दो बार रेप के आरोप लगे थे. पहला आरोप 2006 में लगा था, जब उनके ईंट भट्ठे पर दो मुशहर बच्चियों के साथ रेप का मामला सामने आया था. यह मामला बाद में खारिज हो गया. दूसरा आरोप जनवरी, 2023 में लगा जब एक महिला वकील की शिकायत पर उनके और आइएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. उन्होंने इस मामले को भी खारिज करने का आवेदन दे रखा है. इसका जिक्र उनके एफिडेबिट में है. 
गुलाब यादव की दो पत्नियां हैं. पहली अंबिका यादव जो विधान पार्षद हैं, दूसरी शादी उन्होंने पुणे में मराठी महिला माधवी से की है. माधवी गुलाब यादव के नाम से उनकी एक पैकेजिंग कंपनी पुणे में है. माधवी से उन्हें एक बेटा है.   

गुलाब यादव की राजद के आधार मुस्लिम और यादव वोट बैंक में अच्छी पकड़ है. इसके अलावा ब्राह्मणों का उन्हें अच्छा समर्थन मिल रहा है, जो जदयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल की निष्क्रियता की वजह से नाराज चल रहे हैं. रामप्रीत मंडल से भाजपा और जदयू के आधार वोटर काफी नाराज हैं. कोरोना के वक्त वे लोगों के बीच नहीं जा पाए थे.

इसके अलावा भी वे अपने क्षेत्र में न के बराबर सक्रिय रहे. अब वे इस इलाके में घूम-घूमकर लोगों से माफी मांग रहे हैं. जानकारों का कहना है कि वोटिंग के समय तक एनडीए समर्थक रामप्रीत मंडल पर मेहरबान हो सकते हैं. इसके अलावा बसपा प्रत्याशी गुलाब यादव की वजह से भी उनकी राह आसान हो रही है. रामप्रीत मंडल भी प्रमुख पद से ही राजनीति में आये हैं. 

एक जनसभा में तेजस्वी और मुकेश सहनी के साथ सुमन कुमार महासेठ

इंडिया गठबंधन की झंझारपुर में पकड़ कमजोर होने की एक और वजह यह है कि ऐन चुनाव के वक्त इस इलाके के वरिष्ठ राजद नेता देवेंद्र प्रसाद यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. पांच बार झंझारपुर सीट से सांसद रह चुके देवेंद्र यादव को उम्मीद थी कि उन्हें इस चुनाव में पार्टी टिकट देगी. मगर ऐन वक्त में पार्टी का वीआईपी से समझौता हो गया. ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की संभावना खत्म हो गयी और नाराजगी में उन्होंने अपने पुराने साथी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को लंबा पत्र लिखा और पार्टी छोड़ दी. इस बात का नुकसान भी राजद और इंडिया गठबंधन को हो रहा है.

दरअसल राजद का आधार वोट यानी मुस्लिम और यादव वीआईपी उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ पर बिल्कुल भरोसा नहीं कर पा रहा. सुमन कुमार महासेठ हाल-हाल तक भाजपा में रहे हैं. वे आरएसएस के मेंबर भी हैं. उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही आरएसएस की वर्दी में उनकी तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल होती रही. कई मुसलमान युवा सार्वजनिक रूप से कह रहे कि सुमन महासेठ को वोट देने से अच्छा है, रामप्रीत मंडल को वोट देना. 

हालांकि तेजस्वी यादव पूर्णिया की तरह ही झंझारपुर में भी लगातार जनसभाएं कर रहे हैं. उनकी जनसभाओं में भीड़ भी काफी उमड़ रही है. वे लोगों से कह रहे हैं कि असल लड़ाई एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है. किसी अन्य कैंडिडेट को लेकर भ्रमित मत होइये. मगर उनकी सभा में मौजूद भीड़ वोटरों में बदलेगी या नहीं कहना मुश्किल है. क्योंकि एक तरफ मुसलमान वीआईपी प्रत्याशी सुमन कुमार महासेठ के आरएसएस वाले बैकग्राउंड से नाराज हैं, तो दूसरी तरफ यादवों पर गुलाब यादव और देवेंद्र प्रसाद यादव का फैक्टर चलता नजर आ रहा है. इसका फायदा प्रत्यक्ष रूप से गुलाब यादव और परोक्ष रूप से रामप्रीत मंडल को मिलता नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि मुकाबला रामप्रीत मंडल और गुलाब यादव के ही बीच है.

राजनीतिक विश्लेषक एवं रेडियो मधुबनी के संचालक राज झा कहते हैं, "लगातार गैरहाजिरी की वजह से रामप्रीत मंडल को लेकर लोगों में काफी नाराजगी है. भाजपा के मतदाता इनसे जुड़ नहीं पा रहे, इसलिए पढ़े लिखों का समर्थन बसपा उम्मीदवार गुलाब यादव की तरफ जाता नजर आ रहा है. वीआईपी उम्मीदवार की पहचान और वैचारिकता इतनी भ्रमित करने वाली है कि वोटरों से उनका सीधा जुड़ाव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सीधा मुकाबला रामप्रीत मंडल और गुलाब यादव के बीच ही लग रहा है. अगर आखिर में मोदी के नाम पर मतदाताओं ने रामप्रीत मंडल को वोट दे दिया तो वे जीत सकते हैं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो गुलाब यादव भी सीट निकाल सकते हैं."

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