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'सारथी' से लेकर 'डीएमअजगर' तक, RLD को नई पहचान देने के लिए जयंत क्या जुगत लगा रहे हैं?

राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने युवाओं और नए वोटबैंक को जोड़ने के लिए बड़ी ही दिलचस्प पहल शुरू की हैं

जयंत चौधरी
अपडेटेड 30 अप्रैल , 2025

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपनी पार्टी को एक नई पहचान देने के लिए पिछले वर्ष दिसंबर में एक अनोखे “इं‍टर्नशि‍प प्रोग्राम” की शुरुआत की थी जिसका नाम “सारथी” रखा गया था. 

देश में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा शुरू किए गए इस अनोखे “इं‍टर्नशि‍प प्रोग्राम” का उद्देश्य युवाओं को राजनीति की बारीकियों का प्रशिक्षण देना था जिससे वे भविष्य में एक काबिल नेता या जनप्रतिनिधि के रूप में पहचान बना सकें.

दिसंबर में पार्टी ने सोशल मीडिया व अन्य कई माध्यमों में तीन माह के “सारथी आरएलडी इंटर्नशि‍प प्रोग्राम” का विज्ञापन जारी किया. इसमें स्नातक उपाधि धारण करने वाला देश का हर वो युवा आवेदन कर सकता था जिसकी उम्र 18 से 25 साल की हो. करीब एक महीने के भीतर 500 से अधिक आवेदन जयंत चौधरी के नई दिल्ली स्थ‍ित आरएलडी दफ्तर को मिले. 

आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव और “सारथी इं‍टर्नशिप प्रोग्राम” का संचालन कर रहे अनुपम मिश्र बताते हैं, “जनवरी में पार्टी के सांसदों, विधायकों व वरिष्ठ नेताओं की कई टीमों ने आवेदन करने वाले युवाओं का साक्षात्कार लिया और करीब दो हफ्ते की कवायद के बाद पांच युवाओं का चयन “सारथी इं‍टर्नशिप प्रोग्राम” के लिए हुआ.” इनमें से दो युवा व्यक्त‍िगत वजहों से इंटनर्श‍िप प्रोग्राम बीच में ही छोड़कर चले गए. बचे तीन शामली के अश्वनी कुमारा, बागपत के विश्वेंद्र सिंह और बुलंदशहर के ईदुलखान ने तीन महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया जो अप्रैल में पूरा हुआ. 

इस दौरान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को यूपी विधानसभा में पार्टी के विधायकों और मंत्री के साथ काम करने का मौका दिया गया. इस दौरान इन्हें विधानसभा की कार्यवाही के हर पहलुओं की जानकारी दी गई. साथ ही लोकसभा में बजट सत्र के दौरान आरएलडी के सांसदों चंदन चौहान और राजकुमार सांगवान के साथ युवाओं को जोड़कर बजट बनने, विधेयक पेश होने और सत्र के दौरान सांसदों के प्रश्न पूछने जैसे कई गतिविधियों की जानकारी दी गई. अनुपम मिश्र बताते हैं “प्रशिक्षण की अवधि‍ के दौरान सभी तीनों युवाओं के रहने-खाने की व्यवस्था के अलावा इन्हें 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि‍ भी दी गई.” प्रशिक्षण पूरा होने के बाद तीनों युवाओं ने आरएलडी में शामिल होकर राजनीति करने की इच्छा जाहिर की जिसके बाद पार्टी ने तीनों को उनके इलाकों में सदस्यता अभियान से जोड़ा है. 

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक राष्ट्रीय लोकदल ने इस बार 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर अपने राष्ट्रीय स्तर के सक्रिय सदस्यता अभियान की शुरुआत की. जयंत चौधरी ने पार्टी नेताओं को 15 अक्टूबर तक एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है. इसके बाद 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक संगठन के चुनाव होंगे. संगठन के चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. 

आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन त्रिलोक त्यागी बताते हैं, “जो कार्यकर्ता अधिक से अधिक सक्रिय सदस्य बनाएंगे, उनको अगले साल प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लड़ने का मौका दिया जाए‌गा. सदस्यता अभियान के दौरान पार्टी कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर भीमराव आंबेडकर और चौधरी चरण सिंह की नीतियों का प्रसार करेंगे.” 

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली आरएलडी ने जाट-मुस्ल‍िम समीकरण के चलते पश्च‍िमी यूपी की 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए योगी मंत्रिमंडल विस्तार में पुरकारी से दलित विधायक अनिल कुमार को शामिल कराकर जयंत चौधरी ने जाट-दलित गठजोड़ की ओर कदम बढ़ाए थे. इसके बाद पिछले वर्ष दिसंबर में गृहमंत्री अमित शाह के बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर विपक्ष घेरेबंदी पर जुटा था तो उसी दौरान 24 से 31 दिसंबर के बीच आरएलडी की ओर से सद्भावना सप्ताह का आयोजन किया गया. इस दौरान खासकर पश्च‍िमी यूपी में गांव-गांव सभाएं करके आंबेडकर, संविधान और किसानों से जुड़े मुद्दों पर लोगों को जागरूक किया गया. 

आरएलडी की नीतियों में बदलाव उस वक्त भी दिखा जब पार्टी ने वफ्फ संशोधन विधेयक पर भाजपा सरकार का समर्थन किया. इसके बाद पश्च‍िमी यूपी के आरएलडी नेता शाहजेब रिजवी पार्टी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी के वक्फ विधेयक का समर्थन करने के फैसले के विरोध में इस्तीफा देने वाले पहले मुस्लिम चेहरे बन गए. लेकिन आरएलडी नेतृत्व के इस आश्वासन के बावजूद कि वक्फ विधेयक से मुसलमानों को लाभ होगा, अल्पसंख्यक समुदाय के कई पार्टी नेताओं ने निर्णय से असहमति जाहिर की थी. 

सपा का साथ छोड़ भाजपा के साथ आने पर आरएलडी को पश्च‍िमी यूपी में मुसलमानों को नाराज़ करने की संभावना का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उसे यह भी पता है कि चूंकि वह एनडीए का हिस्सा है, इसलिए वह पश्चिमी यूपी में बीजेपी के वोट पाकर मुस्लिम समर्थन के संभावित नुकसान की भरपाई कर सकता है. मेरठ के एक जाट आरएलडी नेता बताते हैं, "चूंकि हम एनडीए के साथ हैं, इसलिए हमें उन समुदायों से वोट मिलने की संभावना है जो बीजेपी का समर्थन करते हैं. बीजेपी को वोट देने वाले उच्च जाति के लोग हमारे उम्मीदवारों को वोट देंगे."
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में दो सीट पर चुनाव लड़कर शतप्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ दोनों सीटें जीतने वाली आरएलडी अब पूर्वी यूपी में भी पांव पसारने की तैयारी कर रही है. पार्टी की योजनाओं के बारे में बात करते हुए, आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्र कहते हैं, “पार्टी का विस्तार हमारे नेता जयंत चौधरी के नेतृत्व में किया जा रहा है. हमने इसे ‘लुक ईस्ट’ नीति का नाम दिया है. हमने इस विस्तार को ध्यान में रखते हुए पहले ही कुछ नेताओं को शामिल कर लिया है.” 

मिश्र के मुताबिक बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, देवरिया, गोरखपुर, बलिया, गाजीपुर और फैजाबाद - वे पहले जिले हैं जिन्हें पार्टी अपनी योजना के तहत लक्षित कर रही है. आरएलडी ने इसके विशिष्ट जाति समूहों पर फोकस किया है. पार्टी के संस्थापक चौधरी चरण सिंह द्वारा परिकल्पित “अजगर” (अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) फॉर्मूले को थोड़े संशोधन के साथ पुनर्जीवित किया जा रहा है. आरएलडी अब डीएमअजगर (दलित, मुस्लिम, अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) फॉर्मूले पर काम करने जा रहा है. मिश्र के मुताबिक इस अवधारणा में और अधिक जातियां शामिल होंगी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सबका साथ-सबका विकास” की अवधारणा को मजबूत करते हुए पार्टी के पूर्वी यूपी में विस्तार को सुलभ बनाएंगी. 

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