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यूपी में भाजपा के लिए कितने कारगर होंगे नायब सिंह सैनी?

सैनी पिछड़ी जाति के नेता को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने से पश्च‍िमी यूपी की कई लोकसभा सीटों पर भाजपा को मिल सकता है फायदा. पश्च‍िमी यूपी के एक दर्जन जिलों में सैनी मतदाताओं की अच्छी आबादी 

नायब सिंह सैनी ने 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
नायब सिंह सैनी ने 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
अपडेटेड 14 मार्च , 2024

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. कुरूक्षेत्र से लोकसभा सांसद नायब सैनी हरियाणा में भाजपा का ओबीसी चेहरा हैं. उन्हें पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था. 

लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में भाजपा के 'सैनी कार्ड' की धमक राज्य से सटे पश्च‍िमी यूपी पर भी दिखाई देने की उम्मीद राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं. पश्च‍िमी यूपी की जातीय संरचना में सैनी पिछड़ी जाति एक अहम स्थान रखती है. बरेली- दिल्ली हाइवे रामपुर जिले के करीब पहुंचते ही अचानक सड़क के किनारे 'सैनी' नाम वाले ढाबे या रेस्टोरेंट की संख्या बढ़ जाती है.

यहीं से पश्च‍िमी यूपी की में सैनी पिछड़ी जाति की आबादी में भी इजाफा दिखाई देने लगता है. असल में खेती पर आधारित सैनी पिछड़ी जाति मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, जैसी जातियों के नाम से पहचाने जाने वाली कोईरी बिरादरी ही है. अलग-अलग क्षेत्रों में इन्हें इनकी खेती के प्रारूप के आधार पर अलग नामों से जाना जाता है.

इनमें सैनी यूपी के सुदूर पश्च‍िम में पाई जाने वाली एक प्रमुख पिछड़ी जाति है. हरियाणा से सटे सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, नगीना, मेरठ से लेकर अमरोहा, संभल और रामपुर तक बड़ी तादाद में सैनी मतदाता है. साल 2001 में आई 'सामाजिक न्याय समिति' की रिपोर्ट में यूपी की कुल पिछड़ी आबादी 54 प्रतिशत बताई गई जिसमें सैनी का प्रतिशत 1.44 था. कुछ ही जिलों तक केंद्र‍ित रहने के कारण ये उन जगहों पर खासी संख्या में हैं. 

एक दशक पहले यूपी की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एकाधिकार से पहले सैनी समेत अन्य कोइरी जातियां मुख्यत: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रमुख वोट बैंक होती थी. लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के साथ इनका भगवा खेमे के प्रति झुकाव और बढ़ा. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्च‍िमी यूपी की सैनी बिरादरी ने भाजपा को एकतरफा समर्थन दिया. इसके बदले में भाजपा ने योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में सहारनुपर से आने वाले धर्म सिंह सैनी को आयुष विभाग का राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. 

इसके अलावा भाजपा के टिकट पर सहारनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके जसवंत सिंह सैनी को योगी सरकार के पहले कार्यकाल में पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले इन्हें पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया. पश्च‍िमी यूपी के सैनी मतदाताओं के बीच भगवा पकड़ वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कमजोर पड़ी. यह वह समय था जब तत्कालीन योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार और भाजपा से इस्तीफा दिया था. 

मौर्य के साथ पश्च‍िमी यूपी के कई सैनी नेताओं ने भी भाजपा छोड़ी जिनमें धर्म सिंह सैनी भी थे. चुनाव के दौरान ही भरपाई करते हुए भाजपा ने मार्च, 2022 में विधान परिषद (स्थानीय प्राधिकार) क्षेत्र से पूर्व सांसद सतपाल सैनी को चुनाव जिता कर उच्च सदन भेजा. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद दोबारा सत्ता में वापसी करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार ने पश्च‍िमी यूपी से सैनी जाति का प्रतिनित्व बरकरार रखा. 

सहारनपुर के आजमपुर निवासी जसवंत सिंह सैनी को औद्योगिक विकास व संसदीय राज्यमंत्री के रूप में योगी मंत्रिमंडल में जगह दी गई. उस समय सैनी किसी सदन के सदस्य नहीं थे. बाद में भाजपा ने जसवंत सैनी को विधान परिषद भेजा. जसवंत सैनी भाजपा के पुराने नेताओं में शामिल हैं तथा विधानसभा चुनाव में प्रदेश के स्टार प्रचारकों में भी शामिल थे. भाजपा ने सैनी मतदाताओं को सकारात्मक संदेश देने के लिए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद सुनील बंसल की जगह धर्मपाल सिंह को यूपी भाजपा का संगठन मंत्री बनाया. 

बिजनौर के रहने वाले धर्मपाल सिंह सैनी बिरादरी से आते हैं. भाजपा नेताओं का तर्क है कि संगठन मंत्री पद पर तैनाती के लिए जाति को प्राथमिकता नहीं दी जाती लेकिन राजनीति में जिस तरह जाति का बोलबाला बढ़ा है उसमें धर्मपाल सिंह की जाति के भी मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव बाद भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष पर पहली बार भूपेंद्र चौधरी के रूप में एक जाट नेता की तैनाती भी की. भाजपा से सैनी मतदाताओं के दूर होने का स्पष्ट संकेत दिसंबर, 2022 के खतौली विधानसभा उपचुनाव में मिला. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विक्रम सैनी ने खतौली सीट पर राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवार राजपाल सैनी को 16 हजार से अधिक मतों से हराया था. 

विक्रम सैनी की सदस्यता रद होने के बाद दिसंबर 2022 में हुए विधानसभा उपचुनाव में रालोद के मदन भैया ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी को 22 हजार से अधिक मतों से हराया. खतौली सीट से वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में लगातार भाजपा के सैनी उम्मीदवार की जीत और उपचुनाव में हार ने पश्च‍िमी यूपी की इस पिछड़ी जाति के छिटने का इशारा कर दिया. इसके बाद भगवा दल डैमेज कंट्रोल में जुटा. 

पश्च‍िमी यूपी के कई स्थानीय सैनी नेताओं को भाजपा ज्वाइन कराई गई. धर्म सिंह सैनी ने भी भाजपा का दामन थामने की इच्छा जाहिर की लेकिन मंत्री रहने के दौरान इनके कार्यकाल में हुए आयुष घोटाले ने इंट्री रोक दी. मार्च, 2023 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने अपनी कार्यकारिणी की घोषणा की. इसमें एमएलसी सत्यपाल सिंह सैनी को दोबारा प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में जगह दी गई. सैनी कार्यकारिणी में शामिल होने वाले मुरादाबाद मंडल के एकमात्र भाजपा नेता हैं. इसके बाद सितंबर 2023 में सुधीर सैनी को भाजपा ने मुजफ्फरनगर का जिलाध्यक्ष बनाया. 

हरियाणा में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने से पश्च‍िमी यूपी में भाजपा की चुनावी तैयारियों को धार मिलने की संभावना राजनीतिक विश्लेषक जुटा रहे हैं. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्याल, लखनऊ में इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और यूपी की जाति व्यवस्था पर शोध करने वाले सुशील पांडेय बताते हैं, "पहली बार सैनी बिरादरी के किसी नेता को मुख्यमंत्री जैसा पद मिला है. इससे पश्च‍िमी यूपी की सैनी बिरादरी पर एक सकारात्मक संदेश जाएगा और वे भाजपा के पक्ष में लामबंद होंगी." 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बाद अब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के यूपी में दौरे कराकर भाजपा पिछड़ी जातियों को एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. ऐसे समय में जब यूपी की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी मुख्यत: पिछड़ी जातियों पर केंद्र‍ित पीडीए नारे को जोर दे रही है, ऐसे में भाजपा का 'सैनी कार्ड' साइकिल की पैठ को मुश्क‍िल ही करेगा.

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