बिहार में NDA की भारी जीत के पीछे कई जानकार महिला मतदाताओं की भूमिका को बेहद अहम मानते हैं. इस भरोसे के बाद अब BJP चाहती है कि वही लहर पड़ोसी उत्तर प्रदेश में भी चले. इसका आधार है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोधियों के पुराने ‘M-Y फॉर्मूले’ को नए अर्थ में पेश करना: M मतलब महिला और Y मतलब युवा.
रणनीति यह है कि दशकों से बिहार और यूपी की राजनीति को चलाने वाले ‘मुस्लिम-यादव’ वाले M-Y फॉर्मूले को हटाकर उसे ‘महिला-युवा’ पर टिकाया जाए. यूपी में BJP सरकार भी इसी के मुताबिक महिलाओं और युवाओं पर फोकस करके विपक्ष के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) आधार का जवाब तैयार कर रही है, क्योंकि 2027 के विधानसभा चुनाव दूर नहीं हैं.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) लंबे समय से मुस्लिम और यादव वोटों के M-Y समीकरण पर चलती आई है. इसी के सहारे मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में दबदबा बनाया और बाद में यही आधार उनके बेटे अखिलेश यादव को भी सहारा देता रहा. लेकिन पिछले दस साल में यह आधार कमजोर हुआ है. BJP का 2014 में राष्ट्रीय पर उभार, फिर 2017 में यूपी में उसकी बड़ी जीत और 2022 में दोबारा सत्ता में आने से राज्य की सियासी समीकरण बदल गया है.
सपा ने 2023 में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपनी रणनीति सुधारने की कोशिश की. अखिलेश यादव ने PDA का फ्रेमवर्क लॉन्च किया. उसे ऐसे समूह के तौर पर पेश किया जो “एक जैसी तकलीफें और सरकारी उपेक्षा” झेलने की वजह से समान राजनैतिक पहचान साझा करता है.
सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान में PDA की लाइन जोर से चलाई और नारा दियाः ‘ PDA हराएगा NDA’. पार्टी ने ‘ PDA पाठशाला’ चलानी शुरू कीं ताकि ट्रेनिंग और मोबिलाइजेशन होती रहे, और ‘PDA प्रहरी’ भी तैनात किए ताकि चुनाव आयोग के मतदाताओं के विशेष गहन जांच (SIR) पर नजर रखी जा सके, जिसे विपक्ष BJP का चुनाव बिगाड़ने वाला कदम बताता है.
PDA के इस दबाव को काटने के लिए BJP अब अपनी पूरी यूपी रणनीति के बीच में ‘महिला-युवा’ वाला फॉर्मूला ला रही है. इसकी शुरुआत खुद मोदी ने की, जब उन्होंने कहा कि बिहार में NDA की बड़ी जीत ने पुराने M-Y (मुस्लिम-यादव) वाले तुष्टिकरण मॉडल को खत्म कर दिया है और उसकी जगह नया M-Y (महिला-युवा) ने ले ली है.
यूपी के वरिष्ठ BJP नेता के मुताबिक पार्टी का लक्ष्य है महिलाओं और युवाओं को जाति-धर्म से ऊपर उठकर जोड़ना और चुनाव को ऐसी सोशल मैसेजिंग के रूप में पेश करना जो सिर्फ पहचान की गणित पर न टिकी हो. पार्टी का आंतरिक तर्क है कि महिला और युवा ऐसे वर्ग हैं जो अपने आप पारंपरिक राजनैतिक सीमाओं को तोड़ते हैं. BJP को उम्मीद है कि यह फ्रेमिंग सपा की कोशिश, PDA के नाम पर खास पिछड़ी जातियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को एक साथ लाने, का प्रभाव कम करेगी.
यूपी में 2022 के चुनाव से पहले करीब 52 लाख नए वोटर जुड़े थे. इनमें 28.8 लाख महिलाएं और लगभग 19.9 लाख ऐसे युवा थे जिनकी उम्र 19 साल से कम थी. राज्य में 2025 तक 7.16 करोड़ महिला वोटर हैं. मुसलमानों की आबादी करीब 18-20 फीसद और यादव की लगभग 7 फीसद मानी जाती है.
यूपी में वोटिंग पैटर्न साफ दिखाते हैं कि महिलाओं की पसंद और सरकार बनाने वाली पार्टी के बीच सीधा रिश्ता रहता है. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के डेटा से यह झलकता है. 2007 में महिला वोटर ज्यादातर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की तरफ झुकीं और मायावती सत्ता में आईं. 2012 में महिलाओं ने सपा को पसंद किया और उनकी सरकार बनी. 2017 में यह बदलाव और साफ दिखा, 41 फीसद महिला वोटर BJP के साथ गईं, जबकि BSP को 23 फीसद, सपा को 20 फीसद और कांग्रेस को सिर्फ 5 फीसद मिले.
अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि राज्य की BJP सरकार अपने पॉलिसी एजेंडा में भी ‘महिला-युवा’ वाली राजनीति को पिरोएगी. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, फरवरी 2026 में आने वाला अगला बजट कई चुनाव-केंद्रित कदमों से भरा हो सकता है. इनमें बिहार की तर्ज पर महिलाओं के लिए सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट भत्ता, बड़ा आर्थिक पैकेज और सरकारी भर्तियों पर बड़े ऐलान शामिल हो सकते हैं. BJP के भीतर सोच यह है कि महिलाओं और नौकरियां तलाश रहे युवाओं को मिलने वाले सीधे आर्थिक फायदे 2027 के लिए महिला–युवा नैरेटिव को मजबूत कर सकते हैं.
उम्मीद के मुताबिक, सपा ने BJP के इस कदम पर सवाल उठाए हैं. अखिलेश यादव का कहना है कि BJP न तो महिलाओं को लेकर गंभीर है और न युवाओं को लेकर. बिहार की महिलाओं को मिली मदद पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “BJP ने कहा कि उसे महिलाओं से ज्यादा वोट मिले. सबको पता है कि वोट 10,000 रुपए देकर खरीदे गए. BJP महिलाओं और युवाओं को नौकरी देकर सम्मानजनक जिंदगी नहीं देना चाहती.” अखिलेश का कहना है कि BJP के पास रोजगार पैदा करने की कोई ठोस योजना ही नहीं है. उन्होंने पूछा, “उत्तर प्रदेश और बिहार से सबसे ज्यादा युवा रोजगार के लिए बाहर जाते हैं. BJP के पास क्या प्लान है कि बिहार से हो रहा यह माइग्रेशन कैसे रुके?”
सपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि महिलाओं और युवाओं को एक साथ जोड़कर कहानी बनाना कोई नया आइडिया नहीं है. 2022 के यूपी चुनाव अभियान में उनकी पार्टी पहले ही “नई हवा है, नई सपा है” वाली लाइन चलाकर यह संदेश दे चुकी है कि पार्टी में नई पीढ़ी आ रही है. उस समय अखिलेश ने पार्टी के पुराने मुस्लिम–यादव फॉर्मूले को बदलकर कहा था कि M-Y अब ‘महिला और युवा’ है. सपा नेताओं का कहना है कि उनकी ‘महिला-युवा’ वाली सोच एक बड़े सामाजिक और आर्थिक एजेंडा से निकली है, जबकि BJP की कहानी महज चुनावी प्रतिक्रिया है.

