बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने पिछले हफ्ते ट्विटर पर भिंडरावाले और सिखों के खिलाफ कंगना रनौत के गैरजरूरी बयान की आलोचना की थी. इसी बयान में, उन्होंने भिंडरावाले को 'संत जरनैल सिंह' कहकर संबोधित किया, जैसा कि सिख कट्टरपंथी और चरमपंथी करते हैं.
अभी तक पंजाब में बीजेपी भिंडरावाले पर बयानबाजी करने से बचती आई है, ताकि कोई विवाद खड़ा न हो. हालांकि, पार्टी में शामिल अकाली दल के कई लोग खालिस्तानी नेता को ‘संत’ कहकर संबोधित किया करते हैं. अब सोम प्रकाश के ट्वीट के बाद भिंडरावाले का साया फिर से पंजाब की राजनीति पर मंडराने लगा है.
Kangana Ranaut must restrain from making unnecessary comments against sant Jarnail singh and sikh community. Such remarks hurt the feelings of Sikh community. She must remain in discipline
— Som Parkash ਸੋਮ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ (@SomParkashBJP) September 18, 2024
No body should be allowed to disturb peace in Punjab.
कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' में कथित तौर पर भिंडरावाले को आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है. इससे पंजाब में कट्टरपंथी तत्वों और पंथिक सिखों में नाराजगी है. यह फिल्म सेंसर बोर्ड की वजह से अभी तक रिलीज़ नहीं हो सकी है.
हालांकि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कई नेता, जो पंजाब की राजनीति से अच्छी तरह वाकिफ हैं, ने इंडिया टुडे को बताया कि भिंडरावाले पर पार्टी के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान अलगाववादियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लू स्टार नाम से एक सुरक्षा अभियान चलाया गया था और जून 1984 में भिंडरावाले को मार दिया गया था. इसी घटना के कुछ महीने बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी.
क्या है भिंडरावाले की कहानी?
1977 में जैल सिंह (कांग्रेस) ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटने के तुरंत बाद, राज्य में नई अकाली सरकार का मुकाबला करने के लिए जरनैल सिंह भिंडरावाले को आगे बढ़ाया. भिंडरावाले ने संसद और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के चुनावों में अकाली उम्मीदवारों का विरोध किया. उसने 1980 के आम चुनाव में अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार आरएल भाटिया का समर्थन किया. उसी साल पंजाब में कांग्रेस सत्ता में लौटी, दरबारा सिंह मुख्यमंत्री बने और केंद्र में जैल सिंह केंद्रीय गृह मंत्री बने.
भिंडरावाले पंजाब का दौरा करता और बड़ी संख्या में सिखों की सभाओं में धार्मिक प्रवचन देता था. उसके जत्थे, दमदमी टकसाल के सदस्य हथियार रखते थे, जैसा कि 18वीं शताब्दी में इस संप्रदाय की स्थापना के समय से ही था. जत्थेदार-प्रमुख के रूप में अपने पूर्ववर्ती करतार सिंह की तरह भिंडरावाले ने भी अपने आसपास हथियारबंद लोगों को रखा. एक अन्य सिख संप्रदाय, निहंग, आज भी हथियार रखते हैं.
1970 के दशक के अंत और 80 के दशक की शुरुआत में, रूढ़िवादी सिख संगठन दमदमी टकसाल के अखंड कीर्तनी जत्थे के सिख उपदेशक भिंडरावाले की ओर से दिए गए भड़काऊ भाषणों ने कई सिखों को कट्टरपंथी बना दिया था. उनके कई करीबी सहयोगियों पर भाजपा और आरएसएस के नेताओं सहित हिंदू नेताओं को निशाना बनाने और उनकी हत्या करने का आरोप लगाया गया था.
भिंडरावाले के नाम पर राजनीति
सिख कट्टरपंथियों ने खालिस्तान राज्य की मांग के साथ केंद्र सरकार को चुनौती देने के लिए भिंडरावाले को नायक मान लिया था और कांग्रेस और भाजपा जैसी मुख्यधारा की पार्टियों को इस मुद्दे के विरोधी के रूप में देखने लगे थे. केंद्र में इंदिरा गांधी सरकार के ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान, भिंडरावाले और उसके हथियारबंद साथी स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर छिपे पाए गए थे जहां सेना ने उसे मार गिराया. लेकिन केंद्र सरकार के रुख में बदलाव करते हुए, अगस्त 2023 में संसद में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाया.
इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार अनिलेश महाजन अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, "इस से पहले तक बीजेपी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की आलोचना की थी, लेकिन इसे सिख धर्म के धार्मिक अधिकार के केंद्र अकाल तख्त पर हमला नहीं कहा था. 2000 में, तत्कालीन आरएसएस सरसंघचालक के.सी. सुदर्शन ने पंजाब के तलवंडी साबो में दमदमी टकसाल के मुख्यालय का दौरा किया था और भिंडरावाले के उत्तराधिकारी बाबा ठाकुर सिंह के साथ अन्य टकसाल नेताओं से मुलाकात की थी. इस यात्रा को पंजाब में सिखों और हिंदुओं के बीच कड़वाहट को कम करने की पहल के रूप में देखा गया था. हालांकि, भिंडरावाले पर आधिकारिक स्थिति नहीं बदली."
हालांकि सोम प्रकाश का भिंडरावाले को 'संत' कहना बीजेपी नेतृत्व को शर्मिंदा करने वाला माना जा रहा है. भिंडरावाले पर प्रकाश का विवादित बयान ऐसे समय में आया है जब बीजेपी हिंदू वोटों के सहारे पंजाब में अपना आधार बनाने की कोशिश कर रही है. इस साल लोकसभा चुनावों में पार्टी को 18.5 प्रतिशत वोट मिले और 25 से ज़्यादा विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी. इनमें से ज़्यादातर वोट हिंदू बहुल इलाकों से आए थे.
भिंडरावाले के नाम पर हमेशा से ही पंजाब में मतभेद देखने को मिला है लेकिन बीजेपी और आरएसएस नेताओं के लिए उसके विरोध में एक निजी तत्व भी रहा है. दरअसल 2 अप्रैल, 1984 को भिंडरावाले के सहयोगियों सुरिंदर सोढ़ी और लाभ सिंह ने तत्कालीन बीजेपी विधायक और इसके अमृतसर जिला प्रमुख हरबंस लाल खन्ना की हत्या कर दी थी. इसके बाद बीजेपी के अमृतसर जिला मुख्यालय का नाम भी हरबंस लाल खन्ना के नाम पर रखा गया है.
भिंडरावाले हिंसा और हत्याओं को विचार का जामा पहनाने के लिए बदनाम था. सिख कट्टरपंथी दावा कर सकते हैं कि उसने कभी सिखों के लिए अलग राज्य की मांग नहीं की, लेकिन कई लोग ऐसा आरोप लगते हैं कि उसने हिंदुओं पर हत्याओं और हमलों को उचित ठहराया था. इस पृष्ठभूमि में देखा जाए तो प्रकाश की टिप्पणी ना चाहते हुए भी बीजेपी के लिए एक विवाद बनकर उभरी है. ऐसे में अब सबकी नजरें बीजेपी और आरएसएस पर हैं कि वे इस मुद्दे पर अपना रुख कब स्पष्ट करते हैं.