उत्तर प्रदेश के लिए 15 जून 2025 एक खास मायने में बड़ा ही ऐतिहासिक दिन था. उस दिन केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में लखनऊ में आयोजित एक भव्य समारोह में 60,244 नवनियुक्त पुलिस कार्मिकों को नियुक्तिपत्र वितरित किए गए. उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार पुलिस विभाग में इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को एक साथ नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं.
इस ऐतिहासिक आयोजन में अपने संबोधन में अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पारदर्शी और समावेशी भर्ती प्रक्रिया के लिए जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पुलिस ने न केवल भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और योग्यता आधारित बनाया, बल्कि हर जाति, जिले और तहसील के युवाओं को अवसर प्रदान कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. शाह ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि इन नियुक्तियों में ‘न खर्च, न पर्ची, न सिफारिश और न ही जाति’ के आधार पर कोई भेदभाव हुआ, बल्कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और योग्यता के आधार पर संपन्न हुई.
दरअसल पिछले साल फरवरी में हुई सिपाही भर्ती परीक्षा में 42 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. लोकसभा चुनाव के पहले गरमाते राजनीतिक माहौल के बीच परीक्षा लीक की खबर प्रदेश भर में आग की तरह फैली. नाराज अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए. प्रदेश के कई जिलों में धरना प्रदर्शन शुरू हो गए. यूपी में “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” निकाल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुददे को जमकर उठाया. सपा समेत दूसरी विरोधी पार्टियां भी अभ्यर्थियों के समर्थन में आ खड़ी हुईं.
डैमेज कंट्रोल करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 फरवरी, 2024 को गृह विभाग को तत्काल इस पुलिस भर्ती परीक्षा को निरस्त करने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने गड़बड़ियों की जांच एसटीएफ को सौंपते हुए छह महीने के भीतर इस पुलिस भर्ती परीक्षा को दोबारा कराने का आदेश दिया. “उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड” की तत्कालीन अध्यक्ष रेणुका मिश्रा को हटाकर मुख्यमंत्री योगी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजीव कृष्ण(वर्तमान में पुलिस महानिदेशक) को जिम्मेदारी सौपी. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं लोकसभा चुनाव में जिस तरह यूपी में बीजेपी को विपक्षी “इंडिया” गठबंधन से मुंह की खानी पड़ी उसके पीछे पेपर लीक से युवाओं का सरकार से गुस्सा को भी जिम्मेदार माना गया.
हालांकि सिपाही भर्ती परीक्षा में सेंध लगाने वाले आरोपियों की जिस तेजी से धड़पकड़ की गई उसकी भी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है. सिपाही भर्ती परीक्षा में पेपर लीक कराने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्रा, रवि अत्री, विक्रम पहल समेत कई आरोपियों को जेल भेजा गया. राजीव कृष्ण ने अगस्त, 2024 में पुलिस भर्ती की सबसे बड़ी परीक्षा को सकुशल संपन्न कराया और मार्च में नतीजा घोषित हुआ. मुख्यमंत्री योगी ने पुलिस भर्ती परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने का ईनाम राजीव कृष्ण को यूपी के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर तैनात करके दिया.
60,244 कांस्टेबलों की भर्ती के साथ, उत्तर प्रदेश पुलिस बल की कुल ताकत अब लगभग चार लाख कर्मियों तक पहुंच गई है, जिसमें लगभग 36,000 महिला कर्मी शामिल हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक कि यह ताकत पुलिस के विभिन्न विंगों में सभी अराजपत्रित रैंकों को कवर करती है, जिसमें होमगार्ड शामिल नहीं हैं, और पुलिस बल के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
डीजीपी मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, 2017 से, राज्य सरकार ने पुलिस में विभिन्न रैंकों में 2,18,262 कर्मियों की भर्ती की है. यह आंकड़ा पिछली भर्ती अभियानों को छोटा कर देता है, खासकर जब 2012 और 2017 के बीच की गई 48,000 नियुक्तियों की तुलना में. अधिकारी ने इस तेज बढ़ोतरी का श्रेय पुलिसिंग के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों में सुधार की दिशा में सरकार के निरंतर प्रयासों को दिया. यूपी में पुलिस भर्ती का एक बड़ा मील का पत्थर 2020 में आया, जब 49,568 पुलिस कर्मियों को बल में शामिल किया गया. इसमें 31,360 सिविल पुलिस कांस्टेबल और 18,208 पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी) कर्मी शामिल थे. इनमें 5,966 महिला भर्ती थीं, जो पुलिसिंग में लैंगिक विविधता को बढ़ावा देने के प्रशासन के प्रयासों को दर्शाती हैं.
2024 में, भर्ती अभियान 8,362 उप-निरीक्षकों और समकक्ष रैंक की नियुक्ति के साथ जारी रहा, जिसमें 1,618 महिला उप-निरीक्षक शामिल थीं, जिससे यह बल के इतिहास में सबसे अधिक लिंग समावेशी बैचों में से एक बन गया. उसी वर्ष, यूपी पुलिस ने खेल कोटे के तहत अब तक की सबसे बड़ी भर्ती करके एक और उपलब्धि हासिल की. कुल 439 खिलाड़ियों ने कांस्टेबल के रूप में अपना प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया. भर्ती की गति को आगे बढ़ाते हुए, राज्य सरकार अब यूपी पुलिस में और अधिक रिक्तियों के लिए एक नया भर्ती अभियान शुरू करने की तैयारी कर रही है.
कुल 4,543 सब-इंस्पेक्टर और समकक्ष पदों के लिए विज्ञापन दिया जाएगा, जिसमें 4,242 सिविल पुलिस एस-आई, 135 प्लाटून कमांडर (पीएसी), 60 प्लाटून कमांडर (विशेष बल) और 106 महिला प्लाटून कमांडर शामिल हैं, जिन्हें बदायूं, लखनऊ और गोरखपुर जैसे जिलों में तैनात किया जाएगा. कांस्टेबल स्तर पर और भी अधिक भर्ती होगी, जिसमें 22,053 पद भरे जाएंगे. इसमें पीएसी, विशेष बल और महिला पीएसी के लिए 15,904 कांस्टेबल, 3,245 सिविल पुलिस कांस्टेबल, 71 घुड़सवार पुलिस कांस्टेबल और 2,833 जेल वार्डन शामिल हैं. इन नियुक्तियों से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में फील्ड-लेवल पुलिसिंग को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
राजनीतिक विश्लेषक और बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सुशील पांडेय बताते हैं, “पुलिस भर्ती शुरुआत से यूपी में एक राजनीतिक और भावनात्मक मुद्दा रहा है. नियुक्ति पत्र वितरण के लिए अभूतपूर्व विशाल कार्यक्रम का आयोजन करना यह दिखाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अब तक के कार्यकाल में यह सबसे बड़ी उपलब्धि है. 60 हजार से अधिक कांस्टेबलों को एक साथ नियुक्ति पत्र वितरित करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में अपने मिशन-2027 की शुरुआत की है.” पांडेय के मुताबिक लखनऊ में नवनियुक्त पुलिस कार्मिकों को नियुक्तिपत्र वितरण के समारोह के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के उन आरोपों का जवाब देने का प्रयास किया है जो बेरोजगारी और नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर लगाए जा रहे हैं.
इसके अलावा 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी ने युवाओं को भी एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है. हालांकि लखनऊ में 60,000 से अधिक नए भर्ती हुए पुलिस कांस्टेबलों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी के भी राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. कुछ ही दिन पहले जब 9 जून को दिल्ली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अमित शाह से मुलाकात ने चर्चा बटोरी थी. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे 'शिष्टाचार भेंट' कहा गया, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी की अमित शाह से मुलाकात गृह मंत्री को 15 जून को 60,000 पुलिस कांस्टेबलों को नौकरी के पत्र वितरित करने के लिए आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि बनने का निमंत्रण देना मात्र ही नहीं था. जानकार बताते हैं कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी और अमित शाह ने यूपी में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के संभावित नामों पर भी चर्चा की थी.
इस मुलाकात को योगी और अमित शाह के बीच रिश्तों को लेकर चल रही अटकलों को भी विराम देने के रूप में देखा जा रहा है. सुशील पांडेय के मुताबिक, "योगी सरकार के इस कार्यक्रम में शाह की मौजूदगी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने राज्य में पहले ऐसे किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया है." योगी के नेतृत्व वाली सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने दो बड़े कार्यक्रमों में भाग लिया- फॉरेंसिक संस्थान का शिलान्यास और डीजीपी की बैठक, लेकिन दोनों ही कार्यक्रम मुख्य रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय के थे. हालांकि लखनऊ का स्थानीय सांसद होने के नाते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के लिए चुना जा सकता था, या योगी खुद भारत की सबसे बड़ी पुलिस भर्ती और प्रशिक्षण प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद सुर्खियां बटोरने के लिए ऐसा कर सकते थे लेकिन समारोह के लिए शाह को आमंत्रित करना एक चतुरई भरा राजनीतिक कदम माना जा रहा है.
दोनों नेताओं ने पिछले साल 28 दिसंबर से अबतक तीन बार मुलाकात की है, जब योगी ने महाकुंभ के लिए निमंत्रण दिया था. योगी ने शाह से महाकुंभ यात्रा के दौरान और एक अन्य कार्यक्रम के दौरान मुलाकात की थी. नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के जरिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच रिश्तों में नई गरमाहट वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कैसा ‘अनुकूल’ माहौल तैयार करती है, यह देखना दिलचस्प होगा.