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क्या सपा ने आजम खां का साथ छोड़ दिया है?

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खां इस समय सीतापुर जेल में बंद हैं जहां 26 जून को उनकी पत्नी तंजीन ने उनसे मुलाकात की थी. इसके बाद आए तंजीन के एक बयान से कई तरह की सियासी अटकलों को हवा दे दी है

आजम खां (फाइल फोटो)
अपडेटेड 30 जून , 2025

सीतापुर के जिला जेल में बंद समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और मुस्ल‍िम चेहरे आजम खां से उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अदीब की मुलाकात ने यूपी में सियासी हलचल बढ़ा दी है. इसकी वजह तंजीन फातिमा के उस बयान को माना जा रहा है जो उन्होंने सीतापुर जेल में आजम खां से मिलकर आने के बाद दिया था.

जेल में अपने पति से मिलने के बाद भावुक तजीन ने संवाददाताओं से कहा था, “हमें किसी से भी उम्मीद नहीं है…अगर उम्मीद है तो सिर्फ अल्लाह से." उन्होंने कहा था कि आजम खां (76) कई बीमारियों से पीड़ित हैं और उन्हें जेल में बेहतर चिकित्सा देखभाल की जरूरत है. उनके इस बयान को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति उनकी नाराजगी से भी जोड़कर देखा जा रहा है. 

अगले दिन 27 जून को लखनऊ में सपा मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अखिलेश यादव से जब तंजीन के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी तो वे भी कमोबेश लाचार ही दिखे. अखिलेश ने कहा कि जेल में बंद पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के पास न्याय पाने के लिए केवल तीन विकल्प हैं - यूपी में सरकार बदलना, कानून की अदालत और ईश्वरीय दखल. सपा नेता ने आगे कहा कि 2027 के विधानसभा चुनावों के बाद अगर पार्टी की सरकार बनती है तो स्थिति बदल जाएगी. नवंबर 2022 में अपने रामपुर दौरे के समय अखिलेश ने घोषणा की थी कि सपा सरकार बनने पर आज़म खां के खिलाफ़ सभी झूठे मामले वापस ले लिए जाएंगे.

समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और तीन दशकों से इसके प्रमुख मुस्लिम चेहरे आज़म खां का रामपुर की सियासत में लंबे समय तक दबदबा रहा है. वे शहर से 10 बार विधायक चुने गए. राज्यसभा और लोकसभा सदस्य भी रहे हैं. प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी बने और चार बार सपा सरकार में कई विभागों में मंत्री रहे. उनकी पत्नी तंजीन फातिमा भी राज्यसभा सदस्य रहने के साथ ही शहर से विधायक चुनीं गई थीं. बेटे अब्दुल्ला आजम दो बार स्वार-टांडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे, लेकिन दोनों बार उनकी विधायकी कोर्ट के आदेश से चली गई. पहली बार कम उम्र में चुनाव लड़ने तो दूसरी बार मुकदमे में सजा के कारण विधायकी गई. 

आजम खां अक्टूबर 2023 से जेल में हैं और उनके खिलाफ़ 89 से अधिक आपराधिक मामले लंबित हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब आज़म जेल में हैं. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी लेकिन उसके पहले वे 27 महीने जेल में बिता चुके थे. आज़म के खिलाफ़ लंबित 89 आपराधिक मामलों में से अधिकांश 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के पहले दो वर्षों के दौरान दर्ज किए गए थे. 

तंजीन फातिमा और उनके बेटे - अयोग्य घोषित सपा विधायक अब्दुल्ला आज़म - भी कुछ मामलों में जेल में रहे थे और अभी ज़मानत पर बाहर हैं. सपा पिछले लंबे समय से यह दोहराती रही है कि योगी सरकार ने आज़म खां को झूठे मामलों में फंसाया है, लेकिन पार्टी पर यह आरोप भी लगता रहा है कि जितनी मजबूती के साथ उसे आज़म खां के साथ खड़ा होना चाहिए, उतनी मजबूती से वह उनके साथ नहीं थी.  

2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान, सीएम योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि अखिलेश यादव नहीं चाहते थे कि आज़म खान जेल से बाहर आएं क्योंकि इससे सपा प्रमुख की स्थिति खतरे में पड़ जाएगी. सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी अभी हाल में कहा था कि आज़म खान की परेशानियों के लिए केवल सपा ही जिम्मेदार है. दूसरी ओर, सपा इस बात पर जोर देती है कि वह हमेशा आज़म के परिवार के साथ खड़ी है. मुरादाबाद से सपा सांसद रुचिवीरा कहती हैं, “आजम खां पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं. उन्होंने रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी का निर्माण कराया. इसके अलावा विकास के अन्य कार्य किए, जिसको जनता याद करती है. जेल में बंद आजम खां से मिलने के बाद उनकी पत्नी तंजीन फातिमा ने पत्रकारों को बयान दिया कि अब अल्लाह से उम्मीद है, इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे पार्टी से नाराज हैं.” 

पार्टी के पदाधिकारी आजम खां के साथ सपा के जुड़ाव को दिखाने के लिए 12 मार्च, 2021 को रामपुर में अखिलेश यादव के नेतृत्व में साइकिल रैली, जेल में बंद आज़म से अखिलेश और शिवपाल यादव की मुलाकात और पार्टी पदाधिकारियों द्वारा यूपी के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने, विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने का हवाला दे रहे हैं. वरिष्ठ पदाधिकारियों का दावा है कि मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने आज़म खान की पैरवी की थी और इस मामले में उनको लाने में पार्टी नेतृत्व की अहम भूमिका थी. तब सिब्बल ने कुछ मजबूत दलीलें दी थीं और सुप्रीम कोर्ट ने आज़म को ज़मानत दे दी थी. मई 2022 में सिब्बल ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा का चुनाव लड़ा था. उन्हें सपा का समर्थन मिला और वे जीत गए. नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान सिब्बल के साथ अखिलेश यादव और पार्टी के प्रधान महासचिव राम गोपाल यादव भी थे.

वहीं पार्टी पदाधिकारियों की राय से उलट आजम खां के करीबी और रामपुर में सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल कहते हैं, “अखिलेश यादव ने आजम खां के बचाव में कोई काम नहीं किया. न तो कोई आंदोलन किया और न ही कराया. वे पार्टी के अध्यक्ष हैं, फिर भी मुसीबत में फंसे पार्टी के नेताओं का साथ नहीं देते. केवल बयानबाजी करते हैं, जबकि मुलायम सिंह यादव सड़क पर उतरकर अपने लोगों का साथ देते थे.” 

आजम खां के परिवार की आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद से भी नजदीकियां बढ़ रहीं हैं. चंद्रशेखर कई बार जेल में बंद आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और तंजीन फातिमा से मुलाकात कर चुके हैं. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में नगीना सीट पर चंद्रशेखर को आजम खां की नजदीकियों का लाभ मुस्ल‍िम वोटों की उनके पक्ष में लांमबंदी के रूप में भी मिला था. 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चंद्रशेखर आजम खां के पक्ष में सपा नेताओं की तुलना में ज्यादा खुलकर बोल रहे हैं. इससे इस बात के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि वर्ष 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान आजम खां और चंद्रशेखर मिलकर नया मोर्चा बना सकते हैं. इससे रामपुर और पश्च‍िमी यूपी के कई इलाकों में दलित और मुस्लिम गठजोड़ को मजबूती मिलेगी. ऐसा हुआ तो यह सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए चुनौती होगी कि वे कम से कम मुरादाबाद मंडल में मुस्लिमों को कैसे पार्टी से जोड़े रखते हैं.

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