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गुजरात : क्या है श्रमिक बसेरा योजना, जिससे मजदूरों को पांच रुपये रोजाना पर मिलेगा आवास?

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 18 जुलाई को 'श्रमिक बसेरा' योजना की शुरुआत की है

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल
अपडेटेड 19 जुलाई , 2024

कई दफा ये देखने को मिलता है कि सुबह 9 बजते-बजते एक तय ठिकानों पर हाथों में तगाड़ी और निर्माण कार्यों से जुड़े औजार लिए पचासों की संख्या में मजदूर इकट्ठा होते हैं. इनमें महिलाएं भी होती हैं. ये लोग विभिन्न राज्यों से रोजी-रोटी की तलाश में आए होते हैं. गरीब तबके के इन लोगों को अनजान शहरों में रहने-खाने जैसी बुनियादी सुविधाओं से रोज दो-दो हाथ करना पड़ता है.

बरसों से उपेक्षित मजदूरों की इन समस्याओं को अब गुजरात सरकार ने समझा है. सरकार ने 18 जुलाई को 'श्रमिक बसेरा' नाम से एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत निर्माण कार्यों से जुड़े मजदूरों के लिए एक अस्थाई घर उपलब्ध कराया जाएगा. श्रमिकों को इसके लिए पांच रुपये प्रति रोज के हिसाब से किराया चुकाना होगा. इसके अलावा उन्हें कम कीमतों पर खाना भी उपलब्ध कराया जाएगा.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एक्स पर लिखा है, "यह कितना दुखद है कि एक मजदूर दूसरों के लिए बड़ी-बड़ी इमारतें बनाता है, लेकिन अपने परिवार के लिए आवास की सुविधा नहीं रखता? इसी भावना के साथ राज्य सरकार ने 'श्रमिक बसेरा' नामक एक योजना शुरू की है. इस योजना के तहत सरकार राज्य के विभिन्न स्थानों पर मजदूरों के लिए अस्थाई आवास सुविधाएं यानी श्रमिक बसेरा बनाएगी."

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि श्रमिक बसेरा योजना को गुजरात के चार शहरों अहमदाबाद, गांधीनगर, वडोदरा और राजकोट में शुरू किया जाना है. इन चार शहरों में ऐसी 17 आवास संरचनाएं बनाई जाएंगी. 18 जुलाई को मुख्यमंत्री पटेल ने अहमदाबाद के जगतपुर में ऐसी ही एक साइट का भूमि-पूजन समारोह किया. बाकी जगहों पर उन्होंने वर्चुअली शिलान्यास किया.

इसके अलावा मुख्यमंत्री पटेल ने इस योजना के लिए एक पोर्टल भी लांच किया, जहां ये श्रमिक अपना रजिस्ट्रेशन कर पाएंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह योजना केवल निर्माण श्रमिकों के लिए ही लाई जा रही है. कार्यक्रम में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि सुविधाएं तैयार होने के बाद इस योजना से करीब 15,000 निर्माण श्रमिकों को लाभ मिलेगा. पांच रुपये रोजाना की मामूली दर पर प्रत्येक मजदूर को ये अस्थाई आवास उपलब्ध कराए जाएंगे.

मुख्यमंत्री पटेल ने बताया कि अगले तीन सालों में करीब तीन लाख निर्माण श्रमिकों के लाभ के लिए पूरे गुजरात में ऐसे और आवास केंद्र बनाए जाएंगे. इस परियोजना पर करीब 1500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इन आवासों में ये मजदूर अपने परिवार के साथ रह सकेंगे. गुजरात सरकार निर्माण श्रमिकों के लिए आवास की व्यवस्था के साथ-साथ सस्ती दरों पर भोजन और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं की भी व्यवस्था करेगी.

मजदूरों को श्रमिक अन्नपूर्णा योजना के तहत आवास के पास ही सस्ती दरों पर भोजन की व्यवस्था होगी. श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए मुफ्त में चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध होगी. उनके लिए स्वच्छ पानी, रसोई, बिजली, सीसीटीवी, शौचालय, स्ट्रीट लाइट, सुरक्षा और सफाई जैसी सुविधाएं भी मौजूद होंगी.

मुख्यमंत्री पटेल ने अपने संबोधन में कहा, "गुजरात को भारत का विकास इंजन बनाने में श्रमिकों ने एक मौलिक योगदान दिया है. सरकार भोजन, स्वास्थ्य, आवास और आय सहित सभी सुविधाएं प्रदान करके श्रमिकों के जीवन-स्तर को ऊपर उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी."

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में निर्माण क्षेत्र ने करीब सात करोड़ लोगों को रोजगार दिया. इस तरह यह देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र रहा. हालांकि श्रमिकों की इन आबादी में सिर्फ 19 फीसद कार्यबल ही कुशल है, जबकि 81 फीसद अकुशल. यानी इन अकुशल श्रमिकों में ज्यादातर मजदूर तबके के ही लोग हैं. इसी रिपोर्ट में कहा गया कि 2030 तक भारत में इन निर्माण श्रमिकों की संख्या बढ़कर 10 करोड़ हो जाएगी.

जाहिर है कि श्रमिकों की संख्या में तो लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन उनके जीवन जीने की गुणवत्ता में नहीं. ऐसे में श्रमिक बसेरा जैसी योजनाएं एक अच्छी पहल मानी जा सकती हैं.

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