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गुजरात : सूरत में कैसे चल रहा था देश का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड! पुलिस को कैसे लगी भनक?

गुजरात पुलिस के मुताबिक इस साइबर फ्रॉड में अब तक 623 बैंक खातों से 111 करोड़ रुपये के लेन-देन का पता चला है

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
अपडेटेड 15 नवंबर , 2024

सूरत पुलिस ने देश-विदेश में भी 'डिजिटल अरेस्ट' के पीड़ितों से जबरन वसूले गए पैसों को 'वाइट' करने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. 11 नवंबर को पुलिस ने चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया. तफ्तीश करने पर पता चला कि कुल 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज साइबर फ्रॉड की कम से कम 200 एफआईआर में इन चारों के नाम हैं.

अहमदाबाद पुलिस की साइबर क्राइम सेल एक साइबर फ्रॉड मामले में पैसे के लेन-देन का पता लगाने के लिए तीन महीने से जांच कर रही थी. इसी जांच के दौरान ये 4 संदिग्ध पुलिस के हाथ चढ़े. पुलिस ने पाया कि साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों के अकाउंट से लाखों की रकम पहले एक 'म्यूल अकाउंट' में जा रही थी, जो भारत के बाहर से संचालित 'रूटेड डिवाइस' पर काम कर रहा था.

'म्यूल एकाउंट्स' ऐसे बैंक खाते होते हैं जो गैरकानूनी गतिविधियों से पैसे हासिल कर उसे दूसरी जगह ट्रांसफर करते हैं और अवैध लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं. भारत में ये खाते अक्सर ऐसे लोग खोलते हैं जो पैसे के बदले अपने बैंक खाते इन साइबर फ्रॉड के गिरोहों को किराए पर देते हैं. इससे अवैध पैसों के लेनदेन को ट्रेस कर पाना मुश्किल होता है. इसके अलावा, किसी अन्य व्यक्ति के केवाईसी दस्तावेजों का उपयोग करके भी म्यूल एकाउंट्स बनाए जाते हैं.

म्यूल अकाउंट के पीड़ित अक्सर दिहाड़ी मजदूर होते हैं, जो कुछ हज़ार रुपये के लिए अपने दस्तावेज साझा करते हैं. इन म्यूल अकाउंट के डेबिट कार्ड दुबई और विदेश में अन्य स्थानों पर भेजे जाते हैं, जहां से नकद में पैसे निकाले जाते हैं. पैसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिए जाते हैं या हवाला के ज़रिए विदेश भेज दिए जाते हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रभावी नियंत्रण और अकाउंट के ट्रांज़ैक्शन की निगरानी की जाए तो बैंक इन म्यूल एकाउंट्स की पहचान कर उन्हें बंद कर सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पिछले साल साइबर अपराधों से होने वाले धन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले करीब 4.5 लाख म्यूल एकाउंट्स को फ्रीज कर दिया है. इनमें से सबसे ज्यादा एकाउंट्स भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और एयरटेल पेमेंट्स बैंक में पाए गए थे.

सूरत पुलिस का कहना है कि ताइवान की टेक्नोलॉजी पर आधारित उपकरण एक राउटर से जुड़े थे, जो इन-बिल्ट सिक्योरिटी सिस्टम को दरकिनार कर देता था और सभी ओटीपी और कॉल को किसी दूसरी डिवाइस पर भेजता था. पुलिस को शक है कि ये फ्रॉड संभवतः ताइवान या दुबई से संचालित होते थे.

तीन महीने पहले साइबर फ्रॉड का भंडाफोड़ करने के बाद साइबर क्राइम सेल ने रूटेड डिवाइस के साथ कई ठिकानों का पता लगाया, जिनका इस्तेमाल करके म्यूल एकाउंट्स संचालित किए जा रहे थे. सूरत के मोटा वराछा और सरथाना इलाकों से पुलिस ने लैपटॉप और कंप्यूटर, 198 बैंक पासबुक, 139 डेबिट कार्ड, 336 सिम कार्ड, 35 चेक बुक, 16 बैंक किट और 36 मोबाइल फोन बरामद किए.

पिछले तीन महीनों में सूरत से कुल 25 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है. 11 नवंबर को संदिग्ध अजय इटालिया, विशाल तुम्मार और जलपेश नाडियादरा को सूरत से पकड़ा गया, जबकि हिरेन बरवालिया को दुबई जाते समय मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि कुछ अन्य संदिग्ध मिलन वाघेला, जगदीश अजुदिया, केतन वेकारिया और दशरथ धंधलिया फरार हैं.

पुलिस उपायुक्त (अपराध) भावेश रोजिया ने बताया कि गिरोह के 623 बैंक खातों से 111 करोड़ रुपये के लेन-देन का पता चला है, जो शायद देश में अब तक का सबसे बड़ा साइबर अपराध है. इन 623 खातों में से 370 खातों में डिजिटल गिरफ्तारियों, सट्टेबाजी घोटालों, निवेश घोटालों और वसूली धोखाधड़ी के पीड़ितों की तरफ से लगातार पैसे भेजे जा रहे थे.

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