यह गुजरात में नवरात्रि के उत्सवों की संजीदा शुरुआत थी. लेकिन इसी दौरान सांप्रदायिक दंगों के काले इतिहास से दागदार वडोदरा और गोधरा शहरों में 19-20 सितंबर को एक के बाद एक झड़पें होती देखी गईं. ये सभी सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट की वजह से शुरू हुई थीं.
पिछले महीने गणेश चतुर्थी पर मचे उपद्रव की तर्ज पर हुई ये घटनाएं इस खतरे की तरफ ध्यान दिलाती हैं कि डिजिटल अफवाहें किस तरह त्योहारों के दौरान नाजुक सौहार्द को बिगाड़ सकती हैं.
वडोदरा में 19 सितंबर को देर शाम मक्का-मदीना के पवित्र शहरों का मखौल उड़ाने वाली AI से बनी तस्वीर वॉट्सएप और इंस्टाग्राम सरीखे प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गईं. इसे किसी अज्ञात व्यक्ति ने बनाया और पोस्ट किया था. इसने देखते ही देखते आक्रोश की चिंगारी सुलगा दी.
शहर के जूनीगढ़ी और पानीगेट में पुलिस थानों के बाहर भीड़ ने विरोध प्रदर्शन करके FIR दर्ज करने की मांग की. तनाव चरम पर पहुंचने के साथ पथराव शुरू हो गया. भीड़ ने नवरात्रि के पंडाल में तोड़-फोड़ की और वाहनों को नुक्सान पहुंचाया. कई पुलिस अधिकारी घायल हुए. कोई मौत तो नहीं हुई, लेकिन त्योहार की तैयारियों पर हमले के पीछे धार्मिक बेअदबी के ज्यादा गहरे डर झांक रहे थे.
इस बीच गोधरा में एक समानांतर आग भड़क उठी. पुलिस ने सांप्रदायिक भावना भड़काने वाली रील के बारे में चेतावनी देने के मकसद से एक मुसलमान सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर को बी-डिविजन थाने पर बुलाया. उसकी गिरफ्तारी की अफवाहें फैल गईं. भीड़ जमा हो गई और उसने थाने, पुलिस के वाहन और अफसरों पर पत्थर बरसाए, जिसमें कम से कम दो अफसर घायल हुए. उन्होंने नारे लगाए, फर्नीचर तोड़ा और नजदीकी चौकी पर दस्तावेजों को आग के हवाले कर दिया.
समुदाय की तरफ से तेज और ध्रुवीकृत प्रतिक्रिया हुई. वडोदरा में मुसलमान प्रदर्शनकारियों ने अपनी आहत भावनाएं व्यक्त कीं. पहले तो वे शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा हुए, लेकिन तितर-बितर होते समय हिंसक हो गए. गोधरा में इन्फ्लूएंसर के समर्थकों ने पुलिस के बुलावे को पक्षपातपूर्ण बताया, जिससे भीड़ का गुस्सा भड़क गया और पुराने जख्मों की यादें ताजा हो गईं. दोनों घटनाओं में साझा बात यह थी कि सोशल मीडिया पर फूट को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया, जहां वायरल वीडियो ने हजारों व्यू बटोरे.
वडोदरा में जॉइंट कमीश्नर ऑफ पुलिस लीना पाटील ने भीड़ को संबोधित किया और कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया. दो FIR दर्ज की गईं. एक दंगे के लिए और दूसरी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए IT कानून के तहत. पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल करके और डिजिटल निशानों का पीछा करते हुए उसके स्रोत का पता लगाकर तस्वीर बनाने वाले को गिरफ्तार कर लिया. गोधरा में आंसू गैस और लाठियों का इस्तेमाल कर स्थिति पर काबू पाया गया और तलाशी अभियान चलाकर दंगाइयों की पहचान की गई. पकड़े गए लोगों में रील बनाने वाला भी था.
वडोदरा में 54 गिरफ्तारियां की गईं, जबकि गोधरा में 17-25 लोगों को गिरफ्तार किया गया. फिलहाल ड्रोन की निगरानी, चौबीस घंटों गश्त और शांति समितियों की अपीलों के तले शांति कायम है, जिससे गरबा की रातें अमन-चैन से हो पा रही हैं. जांच जारी है.
अशांति का पैटर्न पिछले महीने वडोदरा में गणेश चतुर्थी पर हुई उस अशांति से मिलता-जुलता है, जब विसर्जन के दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा पर अंडे फेंके गए, जिससे पत्थरबाजी और झड़पें शुरू हो गई थीं. पुलिस ने कोई नुक्सान होने से पहले दो बालिगों को गिरफ्तार करके, एक नाबालिग को हिरासत में लेकर, और FIR दर्ज करके तेजी से शांति बहाल की.
विधानसभा और लोकसभा के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2018 से 156 सांप्रदायिक दंगे हुए. ये साल में औसतन 20 से ज्यादा दंगे हैं, लेकिन फिर भी 1969 (578 घटनाएं) या 2002 (200 से ज्यादा घटनाएं) सरीखे ऐतिहासिक शिखरों से काफी कम हैं. विधानसभा में सरकार की तरफ से दिए गए 2023 के जवाब से पता चला कि कुल 1,478 से ज्यादा गिरफ्तारियां की गईं, लेकिन सबूतों की कमी के कारण एक के भी खिलाफ आरोप साबित नहीं हुआ.