
रोहतास जिले के कोचस के रहने वाले सुरेंदर दुबे सुआरा एयरपोर्ट के मैदान में हो रही इंडिया गठबंधन की वोटर अधिकार रैली में मिले. कहने लगे, "हमारे यहां तो जिंदा लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कट गया है और मरलका (मृत) लोगों का नाम जोड़ दिया है. अब देखिए, हमारा छोटा भाई लालबाबू दुबे, अच्छा भला जिंदा है, गांव में रहकर खेती बाड़ी करता है, उसको मृत बताकर उसका नाम काट दिया और हमारी चाची जो पहले गुजर गई उसका नाम है."
ऐसा क्यों हुआ, इसके जवाब में उन्होंने कहा, "सब बीएलओ (बूथ स्तरीय अधिकारी) की बदमाशी है. घर से फॉर्म भरकर भेज दिया है. देखिएगा इलेक्शन में यह बड़ा मुद्दा बनेगा. यह काम तो इलेक्शन कमीशन का था. मगर वे लोग गलत कर रहे हैं." उनके साथ ही खड़े करहगर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी नेता उमाशंकर गुप्ता बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, "अभी तो हमारे सामने सबसे बड़ा मुद्दा यही है. अगर वोट नहीं रहेगा, वोट नहीं देंगे तो अपना अधिकार प्राप्त कैसे करेंगे. हमारे यहां तो ज्यादातर दलित-पिछड़ों का नाम कट गया है."
थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर मिले भाकपा-माले का झंडा लेकर रैली में आ रहे विक्रमगंज के इमरान खान की भी ऐसी ही नाराजगी थी. वे कहने लगे, "हमारी समधन हुस्नआरा बेगम का नाम वोटर लिस्ट से कट गया. मृत बता दिया है. बताइए, इसका जवाब कौन देगा." कैमूर के चांद प्रखंड से आए नारद सिंह यादव भी भीषण गर्मी में उबलते हुए नजर आए. बोले, "हमारे बूथ पर 70 लोगों का नाम कटा है. सौखरा पंचायत के पांच नंबर वार्ड में. बीएलओ और प्रखंड के बीडीओ से कहा जा रहा है, लेकिन शिकायत पर सुनवाई नहीं हो रही है."
17 अगस्त को सासाराम शहर के 14 किमी और डेहरी कस्बे से 8 किमी दूर इस बियावान इलाके में आयोजित रैली में अच्छी खासी भीड़ जुटी थी. एक तरह से यह शाहाबाद के इलाके में इंडिया गठबंधन का शक्ति प्रदर्शन भी था. खास तौर पर ऐसी परिस्थिति में जब महज 72 घंटे पहले आयोजकों को यह जगह मिली और रैली से एक दिन पहले शाम के समय दो किमी दूर हेलीपैड बनवाने की इजाजत. रात के वक्त इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने हेलीपैड बनाया. ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं कि मोटर साइकिल की लाइट जलाकर हेलीपैड बनाया गया. कार्यकर्ताओं का आरोप था कि रैली के दिन भी प्रशासन ने लोगों को आयोजन स्थल से काफी दूर रोक लिया. इसके बावजूद रैली में 60-70 हजार लोग नजर आए.
रैली में तेजस्वी, राहुल और लालू के भाषणों पर कार्यकर्ता काफी उत्तेजित दिखे और शोर मचाते नजर आए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें शोर न मचाने और काम करने की सलाह दी.

फिर यह रैली वोटर अधिकार यात्रा में बदल गई, जिसमें तेजस्वी, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी, पप्पू यादव, कन्हैया कुमार समेत इंडिया गठबंधन के कई नेता शामिल हुए. आने-वाले दिनों में इस यात्रा में प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव जैसे नेता भी शामिल होने वाले हैं. अलग-अलग जिलों से गुजरते हुए यह यात्रा खबर लिखे जाने तक कटिहार जिले में प्रवेश कर गई है.
महज एक दिन पहले भागलपुर शहर में इस यात्रा के स्वागत के लिए उमड़े जनसैलाब ने इंडिया गठबंधन के समर्थकों और खास तौर पर कांग्रेसियों को काफी उत्साहित किया है. राजनीतिक टिप्पणीकार मानते हैं कि चुनाव से पहले की यह यात्रा इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं में जान फूंकने वाली साबित हो रही है. यात्रा के दौरान इंडिया गठबंधन के अलग-अलग दलों के नेताओं के बीच एकजुटता और सामंजस्य भी खास तौर पर नजर आ रहा है. यह यात्रा 30 अगस्त तक चलने वाली है और इसका समापन एक सितंबर को पटना के गांधी मैदान में होने वाली जनसभा में हो रहा है.
जानकारों को शुरुआत में लगता था कि वोट चोरी का मुद्दा बिहार में चुनावी तौर पर शायद मतदाताओं को उत्साहित न कर पाए. इसकी एक वजह यह दिख रही थी कि मतदाता पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) के पहले ड्राफ्ट में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम कटे हैं, जो कुल मतदाताओं का एक फीसदी से भी कम है. हालांकि जगह-जगह से इसमें गड़बड़ी की खबरें आ रही थीं, मगर इसके बावजूद यह समझ आ रहा था कि इससे मतदाताओं की उतनी बड़ी संख्या प्रभावित नहीं होने जा रही, जितनी आशंका जताई जा रही थी.
यही वो वजह भी थी कि जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे से दूरी बनाए रखी. वे कहते रहे कि हालांकि एसआईआर में गड़बड़ी हुई है, फिर भी इतनी बड़ी गड़बड़ी नहीं कि एनडीए को हराया न जा सके. दूसरी बात इंडिया गठबंधन के नेता चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप तो लगाते रहे, मगर उनके कार्यकर्ता, खासकर बूथ लेवल एजेंट जमीन पर उतने सक्रिय नहीं थे कि वे इसकी बड़ी गड़बड़ियां सामने लाते.

अगर वोटर अधिकार रैली की ही बात करें तो वहां मौजूद ज्यादातर कार्यकर्ताओं की जुबान पर अपने नेताओं के भाषण की पंक्तियां थीं, उनके पास वोट चोरी के आरोप से जुड़े तथ्य बहुत कम थे. करहगर से आए राम बिहारी पाठक बोले कि उनके वार्ड में काफी लोगों का नाम कटा है. मगर जब उनसे पूछा गया कि कितने लोगों का वोट कटा तो वे कोई साफ जानकारी नहीं दे पाए. उन्होंने कहा, "यह तो घूमने से पता चलेगा." एनएसयूआई के छोटन यादव जो कैमूर जिले से आए थे, वे भी कहते हैं कि कई लोगों के नाम कटे हैं, लेकिन उनके बूथ पर ऐसे वोटरों की संख्या के बारे में साफ जानकारी नही दे पाए.
यह भी दिलचस्प है कि इन दिनों जब इंडिया गठबंधन के नेता वोटर अधिकार यात्रा पर बिहार के अलग-अलग इलाकों में घूम रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चुनाव आयोग ने बिहार के उन 65 लाख मतदाताओं की सूची सार्वजनिक कर दी है, जिन्हें एसआईआर के तहत हटाया गया है. इस सूची में उनका नाम काटे जाने के कारणों का भी उल्लेख है और सूची को हर बूथ पर लगाया गया है. मगर विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं को इस सूची की जिस तरह जांच करनी चाहिए, वह नजर नहीं आ रहा.
पटना से सटे फुलवारीशरीफ विधानसभा के धरायचक में दो बूथों पर 214 मतदाताओं के नाम कटे हैं. इनमें 33 मृत हैं, शेष के नाम स्थानातंरित और डुप्लीकेट होने की वजह से कटे हैं. बूथ पर सूची देखने वाले मतदाता बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर नाम ऐसे हैं, जो गांव में स्थायी रूप से रहते हैं और खेती करते हैं. फिर भी नाम कट गए. इस गांव से 70 से अधिक आवेदन लोगों ने किए हैं मगर उन दोनों बूथों पर विपक्षी दल के बूथ लेवल एजेंट बहुत सक्रिय नजर नहीं आते.
उसी तरह पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज के एक बूथ पर 45 वोटरों को अनुपस्थित बताकर उनके नाम काट दिए गए. मगर इसको लेकर कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आती. इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के पूर्व प्राध्यापक पुष्पेंद्र कहते हैं, "यह सच है कि विपक्ष जिस वोट चोरी के सवाल को उठा रहा है, वह बड़ा मुद्दा है. विपक्ष के नेताओं ने लगातार इस पर बातचीत कर देश भर में माहौल बना दिया है. मगर यह भी उतना ही सच है कि विपक्षी दलों के जमीनी कार्यकर्ता उतनी मेहनत नहीं कर रहे, जिसकी जरूरत थी. इस वक्त उन्हें एक-एक बूथ के मतदाताओं की सूची को खंगालना चाहिए था और अगर सचमुच वोट चोरी हो रही है तो उसे उजागर करना चाहिए था."
पुष्पेंद्र के मुताबिक जो अलग-अलग जगह से सूचनाएं आ रही हैं, उसके मुताबिक स्थानांतरित और अनुपस्थित बताकर कई लोगों के नाम कटे हैं, जबकि ये वाजिब मतदाता हैं. विपक्ष का काम सिर्फ गड़बड़ियों को सामने लाना नहीं बल्कि उन मतदाताओं का नाम सूची में जुड़वाना भी है. इस काम में विपक्ष के कार्यकर्ता बिल्कुल सक्रिय नजर नहीं आ रहे. ऐसे में नेताओं की मेहनत कितनी सफल होगी कहना मुश्किल है.
हालांकि सी-वोटर के हालिया सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई कि बिहार के 60 फीसदी मतदाता यह मनाते हैं कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर जो आरोप लगाए हैं, उनसे वे सहमत हैं. 67 फीसदी मतदाता मानते हैं कि इन आरोपों पर चुनाव आयोग को बेहतर तरीके से जवाब देना चाहिए था. इस लिहाज से यह समझ आता है कि वोट चोरी के नाम से राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन जो अभियान चला रहा है, उसका लोगों में असर हो रहा है.

मगर सवाल यह है कि विपक्ष अभी तमाम जमीनी मुद्दों जैसे रोजगार, पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य के बदले सिर्फ वोट चोरी के मुद्दे पर फोकस कर रहा है, क्या यह गलत रणनीति तो नहीं. इस पर पुष्पेंद्र कहते हैं, "नहीं, ऐसा नहीं है कि विपक्ष सभी मुद्दों को छोड़ देगा. अभी भी विपक्ष के नेता मतदाता सूची में नाम हटने के मसले को राशन कार्ड खत्म होने जैसे सवालों से जोड़ रहे हैं और मुझे लगता है आने वाले दिनों में वे दूसरे मुद्दों पर भी बात करेंगे. अभी यह मुद्दा बन रहा है तो उनका इस पर डटे रहना ठीक ही है."
पुष्पेंद्र की बात तब सच साबित होती नजर आई जब 23 अगस्त को कांग्रेस ने एक पोस्टर जारी किया. इसमें उसने 'वोट चोरी' को रोजगार, शिक्षा, इलाज, सब्सिडी, बच्चों के सपने, सम्मान, आवाज, अधिकार, संविधान और लोकतंत्र की चोरी से जोड़कर बताया. अभी यात्रा छह दिन और चलेगी. हो सकता है तब महागठबंधन के नेता वोट चोरी के नैरेटिव को बाकी मुद्दों से जोड़ने की कोशिश करें.