एक जमाने में भाजपा के फायरब्रांड हिंदूवादी नेता के नाम से पहचाने जाने वाले केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह 18 अक्टूबर, 2024 से 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' निकालने जा रहे हैं. भागलपुर से शुरू होकर सीमांचल के चार जिलों में गुजरने वाली यह वैसे तो बहुत छोटी है, मगर उस लिहाज से इसकी चर्चा काफी ज्यादा है. विपक्षी दल जाहिर तौर पर इस यात्रा के स्वरूप और इरादे पर सवाल उठा रहे हैं.
वहीं एनडीए में भाजपा की प्रमुख सहयोगी जदयू इस यात्रा से सबसे अधिक परेशान नजर आ रही है. जदयू के नेता और प्रवक्ता प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इस यात्रा का विरोध करते दिख रहे हैं. दिलचस्प है कि बिहार की भाजपा इकाई इस यात्रा के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करती नजर आ रही है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का कहना है कि उन्हें इस यात्रा के बारे में कुछ पता नहीं है.
हालांकि इस यात्रा पर एक दिलचस्प राजनैतिक टिप्पणी पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की है. वे कहते हैं, "यह नीतीश के पीठ में छुरा भोंकने की यात्रा है." गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा भागलपुर से शुरू हो रही है और 22 अक्टूबर को किशनगंज में खत्म होगी. यात्रा 19 अक्टूबर को कटिहार, 20 को पूर्णिया और 21 अक्टूबर को अररिया जिले में रहेगी.
इस यात्रा के बारे में गिरिराज सिंह ने 15 अक्टूबर को बनारस में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "उनकी (विपक्ष) तो राजनीति है, मुसलमान जोड़ो-वोट जोड़ो. हमारा तो जगाने का काम है. जिस ढंग से बगल में बांग्लादेश की घटना घटी, और पहले पाकिस्तान में हुआ. उससे हमलोगों को तो दर्द नहीं होता. यहां तो म्यांमार में घटना होती है, लेबनान में घटना होती है, तो बंबई में, यूपी-बिहार में लोगों के पेट में दर्द होने लगता है. हम यह यात्रा अपने लिए निकाल रहे हैं. बंटोगे तो कटोगे, यही हमारा कहना है." मगर यह यात्रा बिहार के मुस्लिम बहुल जिलों में ही क्यों, यह जानने के लिए इंडिया टुडे ने गिरिराज सिंह से कई दफा फोन पर संपर्क किया, मैसेज भी किया. मगर उनका जवाब नहीं मिला.
दरअसल इस यात्रा का विरोध इसी वजह से हो रहा है. बिहार के ये पांच जिले जहां से गिरिराज सिंह की यात्रा गुजरने वाली है, ये मुस्लिम आबादी वाले इलाके हैं. जहां किशनगंज जिले में मुसलमानों की आबादी 68 फीसदी है. वहीं अररिया में 43, पूर्णिया में 38, कटिहार में 45 और भागलपुर में 18 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. इन इलाकों में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिलती. इस लोकसभा चुनाव में भी यहां से दो सीटों पर कांग्रेस जीतने में सफल रही, एक निर्दलीय पप्पू यादव के खाते में गई. विपक्ष का कहना है कि इस इलाके में हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालना माहौल बिगाड़ने की साजिश है.
15 अक्टूबर को ही पत्रकारों के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, "गिरिराज सिंह केंद्रीय मंत्री हैं, मगर मोदी जी के मंत्रालय में मंत्रियों के लिए कोई काम नहीं रह गया है. सारे फैसले दो लोग ही करते हैं. ये लोग मंत्री बनकर भी बेरोजगार रहते हैं. केवल हिंसा फैलाना, लोगों को भड़काना, नफरत की राजनीति करना, यही इन लोगों का काम रह गया है. बात होनी चाहिए, शिक्षा पर, स्वास्थ्य पर, रोजगार पर. मगर ये बात करेंगे नफरत की, हिंदू-मुसलमान की. ये जा रहे हैं न हिंदुओं को जगाने, लोग इनको जगायेंगे."
कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्रा इसे माहौल बिगाड़ने की साजिश करार देते हैं. वे कहते हैं, "अगर गिरिराज को बांग्लादेश के हिंदुओं की फिक्र है तो वे वहां जाकर यात्रा निकालें या बांग्लादेश के दूतावास के सामने प्रदर्शन करें." वहीं भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य कहते हैं, "वे अमन-चैन बिगाड़ने और सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की भाजपाई राजनीति के बड़े प्रवक्ता हैं."
विपक्षी दल के साथ-साथ एनडीए की बड़ी सहयोगी पार्टी जदयू भी इस यात्रा को लेकर लगातार नाखुशी जाहिर कर रही है. जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने गिरिराज सिंह का नाम लिये बगैर कहा है, "उन्माद सुशासन का एजेंडा नहीं है. यात्रा करने का सबको अधिकार है. लेकिन बिना मांगे सलाह है. एक हाथ में यात्रा का पूरा प्रारूप और दूसरे में संविधान की शपथ लेकर यात्रा करें, जो संसद और विधान मंडल में लेते हैं. जिसमें लिखा होता है कि मैं धर्म-जाति से ऊपर उठकर संविधान की रक्षा करूंगा. संविधान की शपथ अनुकरणीय है या नहीं, यह शपथ देखकर ही जनता समझ जायेगी." जदयू के विधान पार्षद गुलाम गौस भी कहते हैं, "यात्रा निकालने का सभी को अधिकार है, मगर नीतीश कुमार के राज में माहौल खराब करने की इजाजत किसी को नहीं है."
गिरिराज सिंह की इस प्रस्तावित यात्रा से जदयू की सतर्कता और असहजता सबका ध्यान खींच रही है. इस मामले में सबसे बेबाक प्रतिक्रिया पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने दी है. उन्होंने कहा, "चुनाव का समय है, हर किसी को यात्रा निकालने का अधिकार है. मगर कोसी-सीमांचल के विकास के लिए यात्रा करें न. अगर यहां का अमन बिगाड़ने की कोशिश की गई तो मेरे लाश पर चलना होगा." इसके आगे उनका यह भी कहना है, "यह नीतीश कुमार की पीठ में खंजर भोकने की यात्रा है. नीतीश कुमार का फेस सेकुलरिज्म का है."
भले ही नीतीश कुमार भाजपा के साथ समय-समय पर गलबहियां करते रहे और इस समय भी उसके साथ हैं लेकिन नीतीश कुमार की छवि धर्मनिरपेक्ष नेता की ही है. ऐसे में गिरिराज सिंह उनकी सहयोगी पार्टी का सदस्य होने के बावजूद ऐसी यात्रा क्यों निकाल रहे हैं जिस पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है. इस सवाल पर राजनीतिक टिप्पणीकार अरुण अशेष कहते हैं, "बीजेपी इस य़ात्रा के जरिये एक बार फिर से नीतीश कुमार की सहनशीलता को चेक करने की कोशिश कर रही है. नीतीश कुमार कहते हैं, वे करप्शन, क्राइम और कम्युनलिज्म से समझौता नहीं कर सकते. जब तक वे मजबूत रहे, उन्होंने भाजपा को बिहार में हिंदुत्ववादी एजेंडा लागू करने नहीं दिया. मगर अब जब स्वास्थ्य की दृष्टि से और राजनीतिक कारणों से भी नीतीश कुमार कमजोर पड़ रहे हैं. भाजपा गिरिराज सिंह के जरिये फिर से हिंदुत्ववादी एजेंडे को बिहार में लागू करने की कोशिश कर रही है और इस एजेंडे की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सीमांचल है."
अरुण अशेष का कहना है कि इसी वजह से जदयू असहज है और अपनी तरफ से प्रतिरोध भी जता रही है. मगर उनका प्रतिरोध कितना कारगर होता है और गिरिराज अपनी कोशिश में कितने कारगर होते हैं, यह देखने वाली बात है.
इसे यात्रा को भले ही भाजपा की रणनीति बताया जा रहा हो लेकिन पार्टी इस रैली से अनिभिज्ञता जता रही है. जब बिहार भाजपा के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से इस यात्रा के बारे में पूछा जाता है तो वे कहते हैं, "मैं इस बारे में कुछ बता नहीं सकता कि कौन सी यात्रा है, कैसी यात्रा है. मगर भारतीय जनता पार्टी ऐसी पार्टी है जो सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर चलती है." दिलीप जायसवाल राजनीतिक रूप से सीमांचल के किशनगंज में ही सक्रिय रहे हैं. उनके इस बयान से ऐसी चर्चा होने लगी है कि गिरिराज सिंह यह यात्रा भाजपा को सूचित किये बगैर अपनी मर्जी से कर रहे हैं.
मगर जानकार इस कयासबाजी को गलत बताते हैं. भाजपा की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले टिप्पणीकार रमाकांत चंदन कहते हैं, "गिरिराज केंद्रीय नेतृत्व से सहमति लिये बगैर ही ऐसी यात्रा निकालें, यह मुमकिन नहीं. निश्चित तौर पर उन्हें इसके लिए इशारा मिला होगा. सीमांचल भाजपा और संघ के एजेंडे में काफी पहले से है. निशिकांत दुबे इस इलाके को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग करते रहे हैं. अभी भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने भी कहा है, इस इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठियों का साम्राज्य फैलता रहा है, केंद्र शासित प्रदेश बनाकर ही इस पर अंकुश लगाया जा सकता है. अमित शाह भी लगातार इस इलाके में सक्रिय रहे हैं. नीतीश को कमजोर होता देख, भाजपा फिर से बिहार को हिंदुत्व को प्रयोगशाला बनाने की कोशिश कर रही है. हरियाणा के सकारात्मक नतीजे में संघ की सफल भूमिका ने पार्टी को उत्साहित किया है."