ओडिशा की मोहन चरण माझी सरकार ने स्कूलों में बच्चों के आईडी कार्ड का रंग बदलने का निर्णय लिया है. अब इसे भगवा रंग कर दिया गया है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि आईडी कार्ड नीति प्रशासन को व्यवस्थित करने और छात्रों की निगरानी बेहतर करने के लिए लाई जा रही है.
इसके साथ ही इसका मकसद सुरक्षा बढ़ाना और स्कूल परिसर में बाहरी लोगों की एंट्री रोकना" है. सभी छात्रों को स्कूल समय के दौरान यह कार्ड पहनना अनिवार्य होगा. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही बसों के रंग को भगवा रंग से रंगा गया था.
फैसले के मुताबिक शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्राथमिक स्कूल के छात्रों को भगवा रंग के पहचान पत्र दिए जाएंगे. ओडिशा स्कूल शिक्षा कार्यक्रम प्राधिकरण (OSEPA) द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए निर्देश के तहत कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए भगवा रंग के आईडी कार्ड लागू किए जा रहे हैं.
इन कार्ड्स पर छात्र का नाम, जन्मतिथि, कक्षा, रोल नंबर, संपर्क विवरण और प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर होंगे. नई यूनिफॉर्म और आईडी कार्ड की खरीद और वितरण की प्रक्रिया 2025 के नए सत्र से पहले शुरू हो जाएगी.
यह पहल सरकार के व्यापक विज़ुअल ब्रांडिंग अभियान का हिस्सा है, जो "विद्यावंत विद्यार्थी, विकसित ओडिशा" नारे के तहत चल रही है. इसका मकसद 2036 यानी ओडिशा की स्थापना के 100 साल पूरे होने तक राज्य को विकसित दिखाना है. इस अभियान के तहत छात्रों को एक नई किट भी मिलेगी, जिसमें जूते, ट्रैक पैंट, टी-शर्ट और टोपी शामिल होगी, जिस पर यही नारा छपा होगा.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब माझी सरकार ने किसी चीज का रंग बदला हो. इससे पहले माझी ने सत्ता में आने के बाद कई बदलाव किए हैं. शहरी बस सेवा के तहत चलाई जा रही बसों को हरे से सफेद और भगवा रंग में रंगा गया और ‘मो बस’ सेवा का नाम बदलकर ‘आम बस’ रखा गया. वहीं कुछ जगहों पर स्कूल भवनों को भी भगवा रंग से रंगा गया है.
आईकार्ड का रंग भगवा होने पर शिक्षा मंत्री नित्यानंद गोंड का कहना है, "अभी इस तरह का कोई सर्कुलेशन जारी नहीं किया गया है.’’ हालांकि उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने जा रहा है.
वैचारिक एजेंडा नहीं, गुणवत्ता पर ध्यान दे सरकार
विपक्षी पार्टी बीजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट सहित अन्य दल इसे राजनीतिक मंशा से प्रेरित कदम मानते हैं. वे इसे सुरक्षा से ज्यादा प्रतीकात्मकता से जुड़ा कदम बता रहे हैं. उनका आरोप है कि ये सारे बदलाव एक बड़े वैचारिक एजेंडे (बीजेपी की हिंदूत्व की विचारधारा) का हिस्सा हैं, जबकि शिक्षा की गुणवत्ता, स्टाफ की कमी और छात्रों की सुरक्षा जैसे असली मुद्दों पर कोई प्रगति नहीं हुई है.
बीजेडी के विधायक गौतम बुद्ध दास कहते हैं, "सब कुछ का भगवाकरण करना ही इस सरकार का एजेंडा है. आईकार्ड को लेकर अभी भले ही सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई ऑर्डर जारी नहीं किया है, लेकिन ये प्रोसेस में है. इससे पहले सरकारी संपत्तियों के आगे जो बोर्ड लगा था, या फिर जिन कामों को नवीन पटनायक ने करवाया था, वहां उनकी तस्वीर लगी बोर्ड को हटाकर नरेंद्र मोदी और मोहन माझी की तस्वीर लगा दी गई है और बोर्ड को भी भगवा रंग में रंग दिया गया है.’’
दिलचस्प बात है कि इसके अलावा सरकारी डेयरी ओमफेड का दूध का पैकेट भी भगवा रंग का कर दिया गया है. दास आगे कहते हैं, "ये यहीं नहीं रुके, 30 से 40 योजनाओं का नाम बदल दिया गया है. इस सरकार में परिवर्तन के नाम पर सिर्फ रंग बदला जा रहा है. लोगों को समझ आ गया है कि सरकार के पास कोई विजन नहीं है, सिर्फ रंग बदल रहा है.’’
सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव रामकृष्ण पांडा का कहना है कि माझी सरकार शिक्षा का भगवाकरण और बाजारीकरण कर रही है. वे कहते हैं, ‘’सिर्फ कार्ड ही नहीं, पूरे सिलेबेस का भगवाकरण किया जा रहा है. ताकि बच्चों का साइंटिफिक टेंपरामेंट खत्म किया जा सके. आगे चल कर जब इन बच्चों को सुविधाएं व नौकरी नहीं मिलेगी, तो ये सरकार और व्यवस्था पर सवाल उठाने के बजाय सोचेंगे कि यही हमारी किस्मत में लिखा था.’’
वे आगे कहते हैं, ‘’स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के बजाय उन्हें बंद किया जा रहा है. इससे ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में वही बच्चे शिक्षा ले पाएंगे जिनके परिजनों के पास पैसा होगा, गरीब बच्चे शिक्षा से हर दिन दूर होते जा रहे हैं.’’
विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी के प्रवक्ता जतिन मोहंती कहते हैं, "मेरी बात शिक्षा मंत्री से हुई है. फिलहाल आईकार्ड को लेकर कोई सर्कुलेशन जारी नहीं किया गया है. जहां तक बात बसों के रंग बदलने की है, तो यह बीजेडी सरकार से पहले व्हाइट और ऑरेंज ही थीं. नवीन पटनायक सरकार ने इसे ग्रीन कर दिया था. यहां तक कि एंबुलेंस को भी व्हाइट और ग्रीन कर दिया गया था. ऐसा करनेवाला दुनिया का पहला राज्य होगा ये.’’
क्या है ओडिशा की स्कूली शिक्षा का स्तर
हाल ही में केंद्र की ओर से जारी किए गए स्कूलों की रैंक के मुताबिक ओडिशा ने स्कूल शिक्षा की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार करते हुए 2023- 24 के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2.0 में राष्ट्रीय स्तर पर 5वां स्थान प्राप्त किया, जबकि 2019 में यह 14वें स्थान पर था. हालांकि इसका क्रेडिट नवीन पटनायक सरकार को दिया जाना चाहिए. क्योंकि उनकी सरकार में ही साल 2019 में एक योजना बनाकर राज्यभर के 7000 स्कूलों का कायाकल्प किया गया.
वहीं दूसरी तरफ एसटी-एससी स्कूलों के हालात बेहद खराब हैं. बीते 7 मार्च को विधानसभा में शिक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब के मुताबिक साल 2024 मार्च से 2025 फरवरी तक एसटी-एससी विद्यालयों में कुल 26 बच्चों की मौत डायरिया, मलेरिया से हो गई थी.
एसटी और एससी विकास विभाग के अंतर्गत 1,746 आवासीय स्कूल संचालित होते हैं, जो प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा प्रदान करते हैं. विभाग द्वारा लगभग 6,700 छात्रावास भी चलाए जा रहे हैं, जो 5.7 लाख छात्रों को आवासीय सुविधा मुहैया कराता है. स्कूल और जन शिक्षा (एसएमई) विभाग के तहत आने वाले आदिवासी छात्रों के छात्रावासों का प्रबंधन भी एसटी और एससी विकास विभाग द्वारा ही किया जाता है.