भूगोल की किताबों में लिखा है कि गुजरात भारत की सबसे लंबी तटरेखा वाला राज्य है. यहां तट रेखा की लंबाई करीब 1,600 किलोमीटर है, जो भारतीय समुद्र तट का करीब 24 फीसद हिस्सा कवर करती है. इस विशाल तटरेखा से अरब सागर में रोज हजारों मछुआरों की नावें मछली पकड़ने के लिए जाती हैं. इसके अलावा, यहां करीब 41 की संख्या में छोटे-बड़े बंदरगाह मौजूद हैं, जहां माल का आयात-निर्यात किया जाता है.
यहां समुद्र में किसी भी संदिग्ध गतिविधियों को संचालित होने से रोकने और अवैध तस्करी पर लगाम लगाने के लिए कई एजेंसियां कड़ी निगरानी रखती हैं. बावजूद इसके पिछले चार सालों में देखें तो गुजरात पुलिस ने विभिन्न ऑन-शोर और ऑफ-शोर ऑपरेशनों में करीब 9600 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद की है. पिछले सिर्फ एक साल की बात करें तो यहां करीब 5640 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई है. लेकिन सवाल है कि पुलिस की इतनी तत्परता के बाद भी यहां से स्मगलिंग होकर ड्रग्स देश के दूसरे राज्यों में कैसे पहुंच जा रहे हैं?
इसी अक्टूबर के पहले पखवाड़े में गुजरात के साथ-साथ दिल्ली में कई छापे मारे गए. इस अभियान में दोनों राज्यों से करीब 13,000 करोड़ रुपये की कोकीन बरामद हुई. इसकी शुरुआत गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर को हुई, जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की छापेमारी के दौरान दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर में एक गोदाम से 560 किलोग्राम से अधिक प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया. बाजार में इसकी कीमत करीब 5,620 करोड़ रुपये आंकी गई.
इसी स्पेशल सेल के एक अन्य अभियान में पश्चिमी दिल्ली की एक दुकान से 208 किलोग्राम (2,080 करोड़ रुपये की कीमत) कोकीन जब्त की गई. इधर, 12-13 अक्टूबर के दरम्यान दिल्ली और गुजरात पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गुजरात के अंकलेश्वर में एक दवा इकाई पर छापा मारा और 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत का 518 किलो कोकीन बरामद किया.
गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने जुलाई में बताया था कि राज्य पुलिस ने पिछले एक साल में विभिन्न ऑन-शोर और ऑफ-शोर ऑपरेशनों में 5,640 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की है. इसमें पिछले तीन साल और जोड़ दें तो पुलिस ने इस दौरान करीब 9,600 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की है. सांघवी ने ये भी बताया कि इस सिलसिले में अब तक 2,600 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
ध्यान दीजिए कि ये सभी गिरफ्तारियां केवल राज्य पुलिस ने की हैं. इसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), भारतीय नौसेना खुफिया और तटरक्षक बल जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई शामिल नहीं है.
दोनों राज्यों में अनेक जगह छापा मारने के बाद दिल्ली और गुजरात पुलिस ने एक संयुक्त बयान में कहा कि इस प्रतिबंधित पदार्थ को 'रिफाइन करने और खपत के वास्ते तैयार अंतिम प्रोडक्ट बनाने के लिए' लैटिन अमेरिकी (दक्षिण अमेरिकी) देशों से अंकलेश्वर लाया गया था और इसे दिल्ली भेजा जाना था. अब यहां सवाल उठ सकता है कि दिल्ली ही क्यों? तो बयान के मुताबिक, दिल्ली ही वह 'ट्रांजिट प्वॉइंट' है जहां से देश के उत्तरी हिस्सों में आगे ड्रग्स को सप्लाई के लिए भेजा जाता है.
बहरहाल, संयुक्त पुलिस की टीम ने पहले छापे में छह संदिग्धों को पकड़ा था, जिनमें दिल्ली में चार और अमृतसर और चेन्नई से एक-एक पकड़े गए. वहीं, गुजरात में मारे गए छापे में अंकलेश्वर में आवकर ड्रग्स फैक्ट्री से जुड़े पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई, जहां से कोकीन बरामद की गई थी. उन सभी लोगों को आगे की पूछताछ के लिए दिल्ली भेज दिया गया. उनमें से तीन - विजय भेसनिया, अश्विनी रमानी और बृजेश कोठिया आवकर दवा कंपनी के मालिक हैं.
हालांकि, इन अवैध मादक पदार्थों को देश में कैसे लाया गया, जांच एजेंसियां अभी इसका पता लगा रही हैं. लेकिन अधिकारियों का मानना है कि गुजरात की जो 1600 किमी. लंबी विशाल तटरेखा है, और जो मछुआरों की नावों की निरंतर आवाजाही के कारण तस्करों को एक अच्छा कवर प्रदान करती है, यहां से तस्कर आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो जा रहे हैं.
हालांकि समुद्र में किसी भी संदिग्ध गतिविधियों को रोकने के लिए कई एजेंसियां कड़ी निगरानी में लगी हुई हैं. इसके अलावा, एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) पर पूरी तरह से निर्भर रहने के बजाय पिछले पांच सालों में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थानीय पुलिस को प्रशिक्षित किया है. और तस्करी की गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी का पीछा करने और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) कानून के तहत मामले दर्ज करने में शामिल किया है.
यही नहीं पूरी तट पर, खास तौर पर सौराष्ट्र और कच्छ में तटरक्षक बल, समुद्री पुलिस और राज्य का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) भी अवैध पदार्थों की आवाजाही के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं. गुजरात पुलिस और एटीएस पिछले एक साल में ही दर्ज 317 से ज्यादा मामलों की जांच कर रहे हैं.
इन सबके अलावा, गुजरात में एक और अजीबोगरीब घटना यह है कि कच्छ और सौराष्ट्र में अक्सर लावारिस नशीली दवाओं के पैकेट बहकर आते हैं. अगस्त में राज्य विधानसभा में बोलते हुए गृह राज्य मंत्री सांघवी ने बताया था कि राज्य की एजेंसियों ने उस महीने के पहले पखवाड़े में ही 850 करोड़ रुपये मूल्य के ऐसी लावारिस नशीली दवाओं के पैकेट बरामद किए हैं.
गुजरात के इन इलाकों में 'ड्रग कार्टेल' या कहिए ड्रग्स कारोबार को संचालित करने वाले सिंडिकेट की अचानक बढ़ोत्तरी का कारण अज्ञात है, और यहां कोई भी बड़ा स्थानीय सिंडिकेट या कार्टेल नहीं पाया गया है. सचाई ये है कि ये ऑपरेटर ज्यादातर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले स्थानीय लोगों को ही माल ले जाने-पहुंचाने वाले के रूप में काम करने और जल्दी पैसा कमाने के लिए शामिल करते हैं.
हालांकि, दक्षिण अमेरिकी देशों से आयातित कोकीन की हालिया बरामदगी देश के पश्चिमी क्षेत्र में स्थानीय समर्थन के साथ-साथ सक्रिय एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट के संचालन की ओर इशारा करती है. इसने गुजरात की एजेंसियों को सतर्क कर दिया है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है.