scorecardresearch

यूपी के गांवों में कैसे छाया ड्रोन्स का आतंक; क्या कह रहे हैं लोग और सरकार?

उत्तर प्रदेश के गांवों में रात की ड्रोन उड़ानों ने डर और अफवाहों का माहौल पैदा कर दिया है. प्रशासन सतर्क है, लेकिन ग्रामीणों का अविश्वास और मॉब लिंचिंग की आशंकाओं ने सुरक्षा को लेकर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं

Yogi AYogi Adityanath warns against use of dronesdityanath warns against use of drones
योगी सरकार ने बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने वालों के खिलाफ NSA के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है
अपडेटेड 6 सितंबर , 2025

रात का सन्नाटा, आसमान से आती रहस्यमयी भनभनाहट और फिर एक चमकती रोशनी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में कुछ महीने पहले यह नज़ारा आम हो गया था. अमरोहा, मुरादाबाद, बिजनौर और रामपुर जैसे ज़िलों में ग्रामीणों ने दावा किया था कि उन्होंने रात के अंधेरे में कई बार ड्रोन मंडराते देखे. लाठी-डंडे लेकर गश्त लगाते लोग, छतों पर जागते परिवार और महिलाओं का घर के बाहर पहरा देना-गांवों की तस्वीर अचानक बदल गई थी. डर इस क़दर गहरा गया कि कई जगह मासूम राहगीरों को भी चोर समझकर पीट दिया गया.

पुलिस ने तब इन घटनाओं को अफवाह और शरारती तत्वों की हरकत करार दिया. कुछ मामलों में बच्चों के ड्रोन मिले, कुछ जगह सरकारी सर्वे टीम निकली. लेकिन सच जो भी रहा हो, दहशत ने ग्रामीण जीवन की लय बिगाड़ दी. इस बीच सरकार हरकत में आई, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने वालों के खिलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) तक की कार्रवाई का ऐलान किया. स्थानीय पुलिस ने मीटिंग बुलाकर ड्रोन मालिकों को दिशा-निर्देश दिए और रात की गश्त बढ़ा दी.

अब पूर्वांचल में दोहराई तस्वीर

पश्चिमी यूपी की वह बेचैनी थमी ही थी कि हाल के हफ़्तों में वही डर पूर्वांचल और तराई बेल्ट तक पहुंच गया. बस्ती, बलरामपुर और गोंडा ज़िलों के ग्रामीणों ने रात के अंधेरे में उड़ते ड्रोन की शिकायतें दर्ज कराईं. बस्ती ज़िले के हर्रैया, दुबौलिया, बभना और टिनिच क्षेत्र के ग्रामीण बताते हैं कि रात 9 से 11 बजे के बीच आसमान में चमकती रोशनियों वाले ड्रोन मंडराते देखे गए. टिनिच के नौगढ़ और अजगैवा जंगल जैसे इलाक़ों में भी लोगों ने यही दावा किया. नौगढ़ के रहने वाले अजय दुबे बताते हैं, “हमने ऊपर एक चमकती चीज़ को उड़ते देखा. जैसे ही हमने टॉर्च मारी, वह और ऊपर चला गया. अब तो हर रात हमें डर रहता है कि पता नहीं किस मक़सद से उड़ाया जा रहा है.” 

बलरामपुर, जो नेपाल की सीमा से सटा है, वहां तो हालात और भी संवेदनशील हैं. यहां के कई गांवों के लोग दावा करते हैं कि लगातार तीन रात तक ठीक 2 बजे के आसपास ड्रोन मंडराता दिखा. स्थानीय निवासी सलीम ख़ान कहते हैं, “हमारे गांव के ऊपर जब रोशनी घूमी तो लगा जैसे कोई हमारी जासूसी कर रहा हो. यहां बॉर्डर है, इसलिए और डर लगता है.”

गोंडा ज़िले के रामापुर गांव में भी बुज़ुर्ग किसान रामसुमेर का कहना है कि उन्होंने खेत में पानी लगाने के दौरान ऊपर से उड़ती अजीब आवाज़ सुनी, “हम तो पहले समझे कि हवाई जहाज़ होगा, लेकिन जब वह नीचे मंडराने लगा तो साफ़ हुआ कि कुछ और ही है. रात भर नींद नहीं आई.”

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया

3 सितंबर की रात आठ से नौ बजे के बीच बलरामपुर पुलिस को अलग-अलग थाना क्षेत्रों से ड्रोन देखे जाने की सूचनाएं मिलीं. एसपी विकास कुमार ने कहा, “हमारी टीम तुरंत मौके पर पहुंची लेकिन किसी भी जगह कोई ड्रोन नहीं मिला. कुछ लोगों ने इसे देखने की पुष्टि की है. जांच जारी है. बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने वालों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी.” बस्ती के अतिरिक्त एसपी ओपी सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहें न फैलाएं. उनका कहना है, “ड्रोन तकनीक का उपयोग केवल अनुमति और नियमों के तहत ही हो सकता है. किसी ने गैरक़ानूनी तौर पर उड़ाया तो सख़्ती से निपटा जाएगा.” सरकारी स्तर पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी ज़िलों को सतर्क कर दिया है. निर्देश है कि ड्रोन देखने की किसी भी शिकायत पर तत्काल मौके पर टीम पहुँचे. संवेदनशील बॉर्डर इलाक़ों में सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) और स्थानीय पुलिस की संयुक्त गश्त तेज़ कर दी गई है.

अफवाह, डर और मॉब लिंचिंग (भीड़ हिंसा)

ड्रोन देखने की शिकायतें जितनी तेज़ी से फैलीं, उतनी ही तेज़ी से अफवाहें भी फैलने लगीं. पश्चिम यूपी में पहले भीड़ हिंसा के मामले सामने आ चुके हैं. अमरोहा में तीन युवकों को ग्रामीणों ने चोर समझकर पीट दिया था, जबकि वे केवल रास्ता भटककर आए थे. मेरठ के किठौर में कपड़े बेचने वाले एक फेरीवाले की पिटाई कर दी गई. अब पूर्वांचल के गांवों में भी यही डर है कि कहीं अफवाहें अनजाने लोगों पर हमला न करा दें. बस्ती के नौगढ़ गांव की मंजिया देवी कहती हैं, “हम तो अब किसी अजनबी को देखकर ही शक करने लगते हैं. पुलिस कहती है कि डरने की ज़रूरत नहीं, लेकिन रात में जब आसमान में रोशनी उड़ती है तो कौन समझाए.” बरेली जिले के भोझीपुरा इलाके में पिछले महीने एक 50 वर्षीय भिखारी, जिसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी, को ग्रामीणों ने “ड्रोन चोर” समझकर पीटना शुरू कर दिया. अंततः उसकी मौत हो गई, सिर पर गंभीर चोटों के चलते. यह घटना ड्रोन-आधारित अफवाहों के चलते हुई पहली रिपोर्टेड मौत मानी गई है. पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया और कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया.

एक्सपर्ट किन खतरों की तरफ इशारा कर रहे हैं

सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि छोटे ड्रोन अब आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हो जाते हैं. इनका इस्तेमाल फोटोग्राफी, सर्वे या शौक के लिए होता है, लेकिन इन्हीं का दुरुपयोग निगरानी, तस्करी और अपराध की योजना बनाने में हो सकता है. पंजाब और जम्मू-कश्मीर में पहले भी सीमा पार से ड्रोन के ज़रिए हथियार और नशा पहुंचाने के मामले सामने आए हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभाग के प्रोफेसर ए.के. मिश्रा कहते हैं, “अगर नेपाल बॉर्डर पर ड्रोन दिखने की शिकायतें आ रही हैं तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. यह जांच होनी चाहिए कि कहीं इनका इस्तेमाल किसी सीमा पार नेटवर्क द्वारा तो नहीं किया जा रहा.” 

यूपी-नेपाल सीमा पर ड्रोन से जुड़ा खतरा पश्चिमी यूपी वाले ड्रोन आतंक से कहीं अधिक संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि यहां मामला केवल चोरी या अफवाह का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और तस्करी का है. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार नेपाल सीमा से आए दिन नशीले पदार्थ, हथियार और सोना की तस्करी होती रही है. अब ड्रोन तकनीक इस तस्करी को और आसान बना सकती है. रात में सीमा पार से छोटे ड्रोन उड़ाकर माल आसानी से गिराया जा सकता है, जिससे पकड़ना मुश्किल हो जाता है. ड्रोन का उपयोग सिर्फ़ स्मगलिंग तक सीमित नहीं है. खुफ़िया एजेंसियों को आशंका है कि ड्रोन का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों की रेकी करने और सीमा पर विस्फोटक या हथियार पहुंचाने के लिए भी हो सकता है.

सरकार के लिए चुनौतियां

सरकार का दावा है कि वह ड्रोन की दहशत से निपटने के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपना रही है. गृह विभाग के एक अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया कि पुलिस को निर्देश है कि वे गांवों में चौपाल लगाकर लोगों को अफवाहों से बचाएं. बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने वालों पर सख़्त कार्रवाई हो. और ज़रूरत पड़ने पर एंटी-ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल भी किया जाएगा. लेकिन चुनौती यह है कि गांवों में डर का माहौल इतना गहरा है कि लोग अब किसी भी अजनबी पर भरोसा नहीं करते. 

कई इलाक़ों में महिलाएं तक घर के बाहर बैठकर पहरा देती हैं. बच्चे रातभर सो नहीं पाते. यूपी के गांवों में ड्रोन का यह सिलसिला एक नया सामाजिक और सुरक्षा संकट बन चुका है. किसान यूनियन के अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं, “बड़ा सवाल है कि क्या यह केवल शरारत और अफवाहों का खेल है? या फिर सीमा पार से कोई सुनियोजित साज़िश चल रही है? ड्रोन तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार को एक कड़ी नीति लानी चहिए ताकि ग्रामीण इलाक़ों में बढ़ते अविश्वास और भीड़ हिंसा को कैसे रोका जा सके.”  

Advertisement
Advertisement