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‘क्लाउड सीडिंग’ के बाद भी दिल्ली में बारिश क्यों नहीं हुई?

28 अक्टूबर को दिल्ली में बारिश के लिए IIT कानपुर ने क्लाउड सीडिंग कराई थी

Cloud seeding operation was launched in Delhi in response to hazardous smog. (AI generated image for representation)
प्रतीकात्मक तस्वीर
अपडेटेड 29 अक्टूबर , 2025

दीपावली के बाद से इस बात की बड़ी चर्चा थी कि बढ़ते प्रदूषण पर काबू पाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. 28 अक्टूबर को इसकी तारीख तय हुई और तय कार्यक्रम के मुताबिक दिल्ली के आसमान में ‘क्लाउड सीडिंग’ भी कराई गई लेकिन बारिश नहीं हो पाई.

दोपहर को 2 से 4 बजे तक आसमान में बादल थे और धूप पूरी तरह गायब थी. लेकिन शाम के पांच बजते-बजते वे भी दूर हो गए और आसमान में मद्धम-मद्धम सूरज भी दिखने लगा. ऐसा में सवाल उठ रहा है कि इतनी कोशिश और दिल्ली सरकार के तमाम दावों के बाद भी आखिर राजधानी में बारिश क्यों नहीं हो पाई. 

इसकी वजह बताते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि बादलों में पर्याप्त नमी या आर्द्रता नहीं थी इसलिए बारिश नहीं हुई. इंडिया टुडे से बात करते हुए सिरसा ने कहा, “बादल अनिवार्य हैं. कृत्रिम बारिश के लिए हमें 50 फीसदी से ऊपर नमी की जरूरत होती है. हमने यह देखने के लिए क्लाउड सीडिंग का ट्रायल कराया था कि क्या 10-15 फीसदी नमी की स्थिति में भी बारिश हो सकती है या नहीं. इसको लेकर IIT कानपुर को भरोसा था इसलिए हमने इसकी अनुमति दी.” 

दिल्ली सरकार ने इसी साल सितंबर के आखिरी हफ्ते में IIT कानपुर के साथ राजधानी में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए एक MoU पर दस्तखत किए थे. इसके तहत यह ट्रायल किया गया था.   

IIT कानपुर ने इस मामले में 28 अक्टूबर की शाम को अपनी रिपोर्ट जमा कर दी. इसके मुताबिक कानपुर और मेरठ के बीच एयरक्राफ्ट ने दो बार उड़ान भरी और हर बार 3-4 किलोग्राम तक क्लाउड सीडिंग मटेरियल का छिड़काव किया. 

क्लाउड सीडिंग के लिए आठ फ्लेयर्स इस्तेमाल किए गए थे. फ्लेयर एक मोटे पाइप की तरह होते हैं जिनमें मुख्यरूप से सिल्वर आयोडाइड और कुछ दूसरे मटेरियल का मिश्रण होता है. जब एयरक्राफ्ट बादलों की परत के नीचे होता है तो इन्हें जलाया जाता है और इसी से यह मिश्रण आसमान में फैलता है.

यह मिश्रण बादलों में पानी की बूंदों के साथ रिएक्शन करता है और उन्हें भारी बना देता है. इस प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहते हैं और इसी से फिर कृत्रिम वर्षा होती है.  

सिरसा के मुताबिक IIT कानपुर का कहना था कि फ्लेयर जलाए जाने के 15 मिनट से लेकर चार घंटे के भीतर कभी भी बारिश हो सकती है. दिल्ली सरकार के मंत्री के मुताबिक आने वाले दिनों में उत्तरी दिल्ली और दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में ऐसे 9-10 ट्रायल और किए जाने की योजना है.

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