30 नवंबर को दिल्ली नगर निगम (MCD) की 12 वॉर्डों में उपचुनाव होने हैं. सतही तौर पर यह छोटा-सा चुनाव लगता है. कुल 250 सदस्यों वाले सदन में सिर्फ 12 सीटें! सत्तारुढ़ BJP के पास पहले से 116 पार्षद हैं. जबकि मुख्य विपक्षी दल AAP (AAP) के पार्षदों की संख्या 98 है. कांग्रेस के 9 पार्षद और निर्दलीय समेत अन्य पार्षदों की संख्या 15 है.
संख्या के इस समीकरण को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इन 12 सीटों का परिणाम चाहे जो भी हो, दिल्ली नगर निगम में BJP का बहुमत बना रहेगा. फिर भी जिस तरह से BJP और AAP नेता जोर लगाते दिख रहे हैं, उससे साफ है कि यह उपचुनाव दिल्ली की राजनीति में बड़ा संदेश देने वाला साबित हो सकता है.
दरअसल, पिछले तीन लोकसभा चुनावों से BJP ने दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें जीतने का सिलसिला बरकरार रखा है. इसके बावजूद पहले 2015 में और फिर 2020 में AAP दिल्ली प्रदेश की सत्ता में भारी बहुमत से आने में कामयाब रही. हालांकि इस साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में BJP ने बहुमत हासिल करके AAP को करारा झटका दिया था. उसके बाद से AAP लगातार रक्षात्मक मुद्रा में है.
प्रदेश की सत्ता में BJP की 27 सालों बाद हुई वापसी के बाद MCD में हुए मेयर चुनाव में भी BJP ने अपना मेयर बना लिया. इसके बाद से पार्टी लगातार 'ट्रिपल इंजन सरकार' का नारा बुलंद कर रही है. BJP जब ट्रिपल इंजन सरकार की बात कहती है तो उसका मतलब केंद्र, राज्य और निगम, तीनों स्तर पर एक ही पार्टी की सरकार से होता है.
AAP के नेताओं से बात करने पर पता चलता है कि विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत के मामले में उनके और BJP के बीच अंतर बहुत बड़ा नहीं था. ऐसे में अगर इन सीटों में से अधिकांश पर AAP के प्रत्याशी कामयाब रहते हैं तो इससे पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भरने में मदद मिल सकती है. पार्टी अपने कार्यकर्ताओं में यह विश्वास जगाने में कामयाब हो सकती है कि प्रदेश में उसकी वापसी संभव है.
दरअसल, BJP और AAP दोनों मुख्य पार्टियों की तरफ से पूरा जोर इसलिए भी लगाया जा रहा है क्योंकि अब अगले निगम चुनाव में डेढ़ साल से भी कम का वक्त बचा है. 2027 के शुरुआती महीनों में MCD के चुनाव होंगे. इस नाते दोनों पार्टियों को लग रहा है कि दर्जन भर सीटों पर अगर उनका प्रदर्शन ठीक रहता है तो 2027 के निगम चुनाव को लेकर माहौल बनाने में उन्हें मदद मिलेगी.
यही वजह है कि BJP ने अपनी पूरी मशीनरी को चुनाव प्रचार और चुनाव प्रबंधन में लगा दिया है. प्रदेश की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता खुद अलग-अलग वॉर्ड में जाकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. उम्मीदवारों के चयन में भी BJP ने इस बात का ध्यान रखा है कि वैसे पुराने चेहरों को मैदान में उतारा जाए जिनकी स्थानीय स्तर पर अपनी भी एक पहचान है. इस बारे में दिल्ली प्रदेश BJP के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं, ''हमने यह सुनिश्चित किया है कि उम्मीदवारों का चयन उनकी मेरिट और जीतने की क्षमता के आधार पर हो. केंद्र, राज्य और निगम के स्तर पर हमने जिस तरह से काम किया है, उसे देखते हुए हमें पूरी उम्मीद है कि इस उपचुनाव में भी हमें बड़ी जीत मिलेगी.''
BJP ने इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है. प्रदेश की मुख्यमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और हरदीप सिंह पुरी समेत दिल्ली के सातों सांसद, सभी विधायक और स्थानीय नेता भी मिलकर प्रचार कर रहे हैं. सचदेवा कहते हैं, ''दिल्ली की जनता ने केंद्र में मोदी जी को, लोकसभा में BJP को और अब निगम में भी ट्रिपल इंजन सरकार को स्वीकार कर लिया है. ये 12 सीटें उसी स्वीकृति पर मुहर लगाएंगी.''
जिन 12 वॉर्डों में चुनाव हो रहे हैं उनमें से अधिकांश सीटें फरवरी 2025 में हुए विधानसभा चुनाव के वक्त से खाली हैं क्योंकि कई पार्षदों को उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उतारा और वे जीत गए. शालीमार बाग सीट खुद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की रही है. इसी सीट से वे 2022 का निगम चुनाव जीती थीं. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सीट खाली है. इन सीटों में से एक सीट द्वारका-बी की भी है. यहां से कमलजीत सहरावत पार्षद थीं. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP उम्मीदवार के तौर पर जीतकर वे सांसद हो गईं. यानी पिछले डेढ़ साल से यह सीट खाली है.
AAP के लिए यह उपचुनाव 'करो या मरो' की स्थिति जैसी है. इस साल विधानसभा चुनाव हारने के बाद से पार्टी लगातार बचाव की मुद्रा में है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आतिशी बार-बार कह रहे हैं कि दिल्ली की जनता BJP से त्रस्त है और अगले विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएगी. ऐसे में निगम उपचुनाव इनके दावे का पहला टेस्ट है. AAP के वरिष्ठ नेता गोपाल राय कहते हैं, ''पिछले आठ महीने से निगम में BJP सत्ताधारी पार्टी है लेकिन उन्होंने झूठे वादों के अलावा और कुछ नहीं किया है. जिस तरह से पिछले आठ महीने में दिल्ली में झुग्गियां तोड़ी गईं, उससे साफ है कि BJP बुलडोजर राजनीति कर रही है.''
इस टेस्ट को पास करने के लिए AAP ने भी पूरी ताकत लगा दी है. केजरीवाल खुद कई रैलियां कर रहे हैं. पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता आतिशी, संजय सिंह, गोपाल राय और सौरभ भारद्वाज वॉर्ड स्तर पर जाकर प्रचार में जुटे हैं. पार्टी मुख्य तौर पर इस बात को लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश कर रही है कि BJP ने केंद्र, राज्य और निगम के स्तर पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. AAP के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी को उम्मीद है कि इन 12 में से 6-7 सीटों पर वह मजबूत स्थिति में है.
लंबे समय तक दिल्ली प्रदेश की सत्ता में रही कांग्रेस ने भी सभी 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. पार्टी के दिल्ली प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव प्रचार में जुटे हैं. अनौपचारिक बातचीत में पार्टी नेता यह स्वीकार करते हैं कि अगर एक-दो सीटों पर भी कामयाबी मिल गई तो यह उनके लिए उपलब्धि होगी.

