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दिल्ली : आप का 'मिडिल क्लास' मैनिफेस्टो कैसे बीजेपी के लिए बन सकती है राजनीतिक गुगली?

22 जनवरी को आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने आगामी केंद्रीय बजट से पहले 'मिडिल क्लास' मैनिफेस्टो जारी किया. इसमें केंद्र से सात मांगें की गई हैं

(बाएं से) सौरभ भारद्वाज, अरविंद केजरीवाल और आतिशी
(बाएं से) सौरभ भारद्वाज, अरविंद केजरीवाल और आतिशी
अपडेटेड 24 जनवरी , 2025

शतरंज के 64 खानों के खेल में बाजी वही मारता है जो अपने प्रतिद्वन्द्वी से हमेशा एक कदम आगे की चाल सोचे. राजनीति में भी कमोबेश यही मामला है. दिल्ली के मौजूदा राजनीतिक हालात देखें तो बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की जबरदस्त होड़ दिखाई पड़ रही है. दिल्ली की आठवीं विधानसभा के लिए पांच फरवरी को वोट डाले जाएंगे.

'शह और मात' के इस खेल में 'आप' के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने 22 जनवरी को एक नई चाल चली. विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने मध्य वर्ग पर केंद्रित एक 'मिडिल क्लास' मैनिफेस्टो जारी किया. इसमें केंद्र की बीजेपी सरकार से सात मांगें की गई हैं. आप की ये मांगें ऐसे समय में आई हैं जब दिल्ली चुनावों से ऐन पहले केंद्रीय बजट पेश किया जाना है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह एक राजनीतिक गुगली साबित हो सकती है.

आप का यह 'मिडिल क्लास' मैनिफेस्टो दिल्ली में बीजेपी के कोर वोटरों को अपने पाले में खींचने का प्रयास भी है. पिछले साल जून में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने इसी मतदाता वर्ग के सहयोग से दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.

इधर, केजरीवाल की पार्टी पिछले 12 सालों से प्रदेश की सत्ता में है. इस दौरान आप की राजनीति गरीबों पर केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है. लेकिन अब पार्टी वापस उसी मिडिल क्लास को साधने की पूरी तैयारी में है जिसने एक समय में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना भरपूर समर्थन देकर आप को उसका राजनीतिक आधार दिया था.

देश में संभवत: यह पहली बार है जब किसी प्रमुख राजनीतिक दल ने मिडिल क्लास को ध्यान में रखकर मैनिफेस्टो जारी किया है. आप के इस मैनिफेस्टो में ये सात मांगें उठाई गई हैं: 

1. केंद्रीय बजट में शिक्षा के लिए आवंटित राशि को 2 से बढ़ाकर 10 फीसद किया जाए. यहां एक तथ्य यह भी है कि दिल्ली की आप सरकार देश में शिक्षा के लिए सबसे अधिक बजट आवंटित करने वाली सरकारों में से एक है.

2. निजी स्कूलों की फीस पर सीमा तय की जाए, और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और छात्रवृत्ति प्रदान की जाए. दिल्ली में लंबे समय से यह मांग रही है कि निजी स्कूलों की फीस पर सीमा तय की जाए.

3. स्वास्थ्य बजट को बढ़ाकर 10 फीसद किया जाए और हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स हटाया जाए. शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आप सरकार दिल्ली में बेहतर काम करने का दावा करती रही है.

4. आयकर छूट सीमा को मौजूदा सात लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाए.

5. जरूरी वस्तुओं पर जीएसटी को खत्म किया जाए. प्रदेश में महंगाई एक ज्वलंत मुद्दा है.

6. वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक व्यापक रिटायरमेंट प्लान बनाया जाए और उन्हें देश भर में मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाए.

7. रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली छूट को वापस बहाल किया जाए. यह एक लोकप्रिय प्रावधान रहा था, जिसे अब अमल में नहीं लाया जाता.

22 जनवरी को मैनिफेस्टो लांचिंग के मौके पर अपने एक वीडियो संदेश में केजरीवाल ने कहा, "हां, यह सच है कि आपके (मध्य वर्ग) टैक्स का पैसा वंचितों को मुफ्त पानी, बिजली और बस की सवारी उपलब्ध कराकर उनकी मदद करता है. आप सोच रहे होंगे कि आपका पैसा गरीबों की मदद के लिए क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन मेरा मानना ​​है कि आपके माता-पिता मुझसे बेहतर इसका जवाब दे सकते हैं."

वीडिया में उन्होंने आगे कहा, "आज छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाले मध्य वर्ग के कई लोगों के माता-पिता कभी गरीब थे. उन्होंने गरीबी से बाहर निकलने, मध्य वर्ग बनने और अपने बच्चों को बेहतर जीवन देने के लिए कड़ी मेहनत की. अगर उन्हें उस समय सरकार से थोड़ा भी समर्थन मिला होता, जैसा कि हम आज दे रहे हैं, तो वे और अधिक बचत करते और आपके लिए और भी बेहतर करते. आपके माता-पिता आपको बताएंगे कि जब लोगों का पैसा लोगों पर खर्च होता है, तभी देश सही मायने में तरक्की करता है."

लेकिन इंडिया टुडे के संवाददाता अभिषेक जी. दस्तीदार अपनी एक रिपोर्ट में लिखते हैं, "केजरीवाल ने नए मतदाता वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश के तहत मिडिल क्लास मैनिफेस्टो जारी किया है. नए वोट बैंक बनाने के अपने निरंतर प्रयास में केजरीवाल ने इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में किराएदारों के लिए आप के मुफ्त बिजली और पानी के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया. इस तरह मौजूदा लाभ जो केवल मकान मालिकों पर लागू होते हैं, अब किराएदारों तक भी पहुंचेंगे जो शहर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं. इनमें खासकर पूर्वांचल के लोग शामिल हैं."

केजरीवाल ने कहा भी, "मैं जहां भी जाता हूं, वहां मुझे किराए पर रहने वाले लोग मिलते हैं. वे बताते हैं कि उन्हें हमारे अच्छे स्कूल और अस्पताल पसंद हैं, लेकिन उन्हें मुफ्त बिजली और पानी नहीं मिलता." उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुछ इमारतों में 100 तक की संख्या में किराएदार रहते हैं.

दस्तीदार अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि आप के मैनिफेस्टो में शिक्षा के मुद्दे पर डिमांड से यह संकेत मिलता है कि फंडिंग प्राथमिकताओं में बड़ा बदलाव आया है. दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने की आप की अपील प्रदेश के मध्य वर्ग के लोगों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा रहा है. पार्टी निजी स्कूलों पर सख्त निगरानी की मांग इसलिए भी कर रही है क्योंकि वो सरकारी स्कूलों के लिए अधिक समर्थन चाहती है.

वहीं, हेल्थ सर्विस में आप की डिमांड मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए है. हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स हटाने का उद्देश्य अधिक परिवारों को कवरेज के अंतर्गत लाना है, जबकि व्यापक स्वास्थ्य बजट चिकित्सा सुविधाओं में सुधार करेगा. वरिष्ठ नागरिकों को पूर्ण चिकित्सा कवरेज योजना से लाभ होगा.

देश में मध्य वर्ग महंगाई से लेकर बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा पर खर्च और स्वास्थ्य सेवाओं पर लागत जैसे कई मोर्चों पर जूझता रहा है. आप का ये मैनिफेस्टो इस समूह पर बढ़ते आर्थिक दबाव के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है. केजरीवाल ने बताया कि कैसे कई जोड़ों के लिए बच्चे पैदा करना ही 'आर्थिक मसला' बन गया है. मैनिफेस्टो का इरादा आप की मध्य वर्ग की प्रतिबद्धताओं को बताना है, केजरीवाल ने कहा कि वह उनके लिए सड़कों से संसद तक बोलेंगे.

बहरहाल, आप की यह मांग ऐसे समय में आई है, जब दिल्ली में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. उससे पहले 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जाना है. ऐसे में देखना यह है कि देश की राजधानी में वोटिंग से पहले पेश होने वाले केंद्रीय बजट में बीजेपी आप के मैनिफेस्टो को किस तरह से हैंडल करती है. क्या भगवा दल 'आप' की इन मांगों पर विचार करेगा. अगर नहीं तो क्या केजरीवाल इसे बीजेपी के लिए 'एंटी मिडिल क्लास नैरेटिव' में बदल पाएंगे? वैसे 8 फरवरी को जवाब तो दिल्ली की जनता भी देगी!

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