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दिल्ली चुनाव: कांग्रेस तीसरी कोशिश में भी फेल; केजरीवाल की सीट समेत कैसे 10 जगहों पर किया बड़ा खेल?

जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था कि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस कई अहम सीटों पर AAP के साथ खेल कर सकती है, वो अब नतीजों में साफ होता दिख रहा है

सांकेतिक तस्वीर (ग्राफिक - नीलिमा सचान)
सांकेतिक तस्वीर (ग्राफिक - नीलिमा सचान)
अपडेटेड 8 फ़रवरी , 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपनी तीसरी कोशिश में भी फेल हो गई है. पार्टी ने सभी 70 सीटों पर कैंडिडेट्स उतारे थे, लेकिन रुझानों में अब तक कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल करता नहीं दिखाई दे रहा है.

भले ही कांग्रेस का एक भी कैंडिडेट जीतता नहीं दिख रहा, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के कई सीटों पर ‘खेल’ कर दिया है. इनमें तीन हॉट सीटें भी शामिल हैं.

नई दिल्ली विधानसभा सीट से आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को हार मिली है, वहीं जंगपुरा में मनीष सिसोदिया को हार का स्वाद चखना पड़ा है. हालांकि कालका जी सीट से निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना को जीत मिली है.

इन सीटों पर आप को पीछे रखने में कांग्रेस प्रत्याशियों का अहम रोल देखने को मिल रहा है. दिल्ली की सत्ता में दोबारा लौटने के लिए 2013 के बाद कांग्रेस ने तीन कोशिशें की है.

2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन
2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन

 

2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन
2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन
मौजूदा दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन

कांग्रेस भले कोई सीट नहीं जीती, लेकिन AAP को कितना नुकसान पहुंचाया?

दिल्ली की 70 सीटों के संभावित परिणाम के एनालिसिस से लगता है कि यहां कम-से-कम 10 सीटों पर कांग्रेस को मिले वोट AAP की हार के अंतर से ज्यादा हैं या करीब-करीब बराबर हैं.

इन सभी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार जीते हैं. इसका सीधा मतलब है कि अगर कांग्रेस और AAP उम्मीदवारों को मिले वोट आपस में जुड़ते, तो बीजेपी की कम-से-कम ये 10 सीटें घट सकती थीं. तब इन सीटों पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को जीत मिल सकती थी.

वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में कहा था, "कांग्रेस के पास दिल्ली में खोने के लिए कुछ नहीं हैं. अब अगर कांग्रेस मजबूती से लड़ती है और अपने वोट शेयर में सुधार करती है तो इसका सीधा असर आम आदमी पार्टी पर पड़ सकता है."

अब विनोद शर्मा की ये बात बिल्कुल सही साबित होती दिख रही है. इसकी वजह यह है कि पिछली बार की तुलना में दिल्ली में कांग्रेस के वोट शेयर में करीब 2 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है. और इसकी वजह से AAP को करीब एक दर्जन सीटों पर नुकसान हुआ है.

दिल्ली चुनाव 2025 में इन दस सीटों पर कांग्रेस ने AAP से किया 'खेल'
दिल्ली चुनाव 2025 में इन दस सीटों पर कांग्रेस ने AAP से किया 'खेल'

दिल्ली में जीतने के लिए कांग्रेस ने कितना जोर लगाया?

कांग्रेस ने मौजूदा दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP पर सीधा हमला करते हुए भ्रष्टाचार समेत दूसरे मुद्दों पर निशाना साधने की रणनीति बनाई. कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने खुलकर कहा कि हमने दिल्ली में AAP को जीताने का ठेका नहीं लिया है. मतलब साफ है कि इस बार कांग्रेस AAP से आर-पार के मूड में थी.

यही वजह है कि कांग्रेस को जिन सीटों पर जीतने की उम्मीद नहीं थी, वहां भी उम्मीदवार उतारे. इसका सीधा नुकसान आम आदमी पार्टी को हुआ.

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य राजेश लिलोठिया ने कहा था, "कांग्रेस ने लगातार दिल्ली में पंद्रह साल शासन किया. इस शहर के विकास की नींव रखी. इसे मॉडर्न बनाया. चौबीस घंटे बिजली दी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी 2013 में सत्ता से बाहर हो गई क्योंकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता को झांसा दिया." कांग्रेस ने इस बार सभी 70 सीटों पर अपने मजबूत उम्मीदवार उतारे.

दिल्ली में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत 13 जनवरी को ही कर दी थी. उन्होंने सबसे पहले पूर्वोत्तर दिल्ली (जहां 5 सीटें हैं) की सीलमपुर विधानसभा सीट से चुनाव प्रचार की शुरुआत की. वहीं, एक और अहम नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 31 जनवरी को विधानसभा चुनाव के लिए पहली रैली की.

इन दोनों नेताओं ने दिल्ली के छह जिलों में कुल 11 रैलियां कीं. इनमें सबसे ज्यादा तीन रैलियां उत्तर दिल्ली में कीं. वहीं, पश्चिम दिल्ली में दो, मध्य दिल्ली में दो, पूर्वोत्तर दिल्ली में दो, शहादरा और पश्चिम दिल्ली में एक-एक रैली शामिल रही.

यही नहीं, कांग्रेस ने बीजेपी और AAP की तरह अपने घोषणा पत्र में भी कई 'रेवड़ी' यानी मुफ्त योजनाओं की घोषणा की थी. इन सबका इतना फायदा जरूर हुआ कि दिल्ली में कांग्रेस को पिछली बार से 2 फीसद से ज्यादा वोट मिला है.

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