झारखंड के ब्यूरोक्रेसी के ठहरे हुए पानी में किसी ने जोर से पत्थर मार दिया है. जाहिर है हलचल भी जोरदार हुई है. 4 नवंबर शाम को राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) रहे अनुराग गुप्ता ने अचानक इस्तीफा दे दिया. हालांकि 6 नवंबर शाम तक इसे स्वीकार नहीं किया गया था. फिर देर शाम घोषणा हुई कि 1994 बैच की आईपीएस तदाशा मिश्रा को नया DGP नियुक्त किया गया है. उनकी नियुक्ति भी चर्चा में आ गई है. क्योंकि वे अगले महीने ही यानी 31 दिसंबर 2025 को ही रिटायर हो रही हैं.
जबकि उनसे सीनियर तीन आईपीएस अधिकारी DGP बनने की कतार में थे. जिसमें 1990 बैच के अनिल पालटा, 1992 बैच के प्रशांत सिंह और 1993 बैच के एमएस भाटिया शामिल हैं. कहा ये जा रहा है कि राज्य के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी एमएम भाटिया के समर्थन में थे, लेकिन मुख्यमंत्री के दूसरे करीबी लोग इसके पक्ष में नहीं थे. दरअसल भाटिया के DGP बनने से ये प्रशासनिक अधिकारी सुपर सीएम की हैसियत में आ जाते. ऐसे में किसी तीसरे को मौका मिल गया. तब तक ये विचार करने का समय मिल जाएगा कि राज्य के पुलिस की बागडोर आगे किसे सौंपी जाए.
बहरहाल यह कोई पहली बार नहीं है जब अनुराग गुप्ता चर्चा या विवादों में आए हों. वे सबसे अधिक चर्चा में तब आए जब साल 2016 में झारखंड में राज्यसभा के चुनाव हुए. गुप्ता उस वक्त तत्कालीन सीएम रघुबर दास के खास माने जाते थे और सीआईडी के एडीजी की भूमिका में थे. उस चुनाव के ठीक एक साल बाद पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने गुप्ता पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया. तब मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे. उन्होंने 2017 में एक सीडी जारी कर आरोप लगाया था कि गुप्ता ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को वोट देने से रोकने के लिए उनके पति और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को दो दिन में 26 बार फोन कर लालच और धमकियां दीं. कथिततौर पर सीडी में एक जगह योगेंद्र साव से गुप्ता ने कहा था कि अभी तीन-चार साल रघुवर सरकार रहेगी, आपको बहुत ऊंचाई तक ले जाएंगे, बात न मानने पर दिक्कत होगी.
मरांडी की शिकायत पर उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ. इसी बीच साल 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार बनते ही उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाई करने का भी निर्देश दिया गया. गुप्ता कुल 2 साल 4 महीना सस्पेंड रहे. इस दौरान वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए भी कोशिश करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली.
हेमंत सरकार में हुई वापसी, विवाद जारी
अनुराग गुप्ता खराब समय बीता और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश के बाद साल 2022 में उन्हें बहाल किया गया. फिर हेमंत सरकार में उनकी वापसी का रास्ता खुला. पहले उन्हें पुलिस प्रशिक्षण एडीजी का प्रभार सौंपा गया. रघुबर दास के बाद वे हेमंत सोरेन के भी खास बने और फिर सीआईडी और उसके बाद एसीबी के एडीजी बनाया गया. इस बीच राज्यसभा वाले मामले में भी क्लीन चिट मिल गई.
1990 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे अनुराग गुप्ता को साल 2022 में डीजी रैंक में पदोन्नति दी गई. इसके बाद उन्हें पहली बार 26 जुलाई 2024 को झारखंड का प्रभारी DGP बनाया गया. चीजें पटरी पर आई ही थीं, कि वे एक बार फिर विवादों में आए. चुनाव आयोग की अनुशंसा पर बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें पद से हटा दिया गया. हालांकि वनवास जल्दी खत्म हुआ और हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर 2024 को अपने शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद उन्हें दोबारा प्रभारी DGP नियुक्त किया. बाद में तीन फरवरी 2025 को उन्हें नियमित DGP के रूप में कार्यभार सौंपा गया था.
बीते 30 अप्रैल 2025 को वे रिटायर हो गए. लेकिन फिर चहेता अधिकारी होने का फायदा मिला और नया नियम बनाकर कर उन्हें एक्सटेंशन दिया गया. इसके बाद उनका कार्यकाल फरवरी 2027 तक के लिए निर्धारित था. हालांकि, 22 अप्रैल 2025 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर अनुराग गुप्ता की DGP पद पर नियुक्ति को "नियम सम्मत" न मानते हुए इस पर सवाल उठाया. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से भी गृह मंत्रालय को पत्राचार किया गया था, जिसमें DGP पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को सही बताया गया था. इस प्रकरण के बाद से ही लगातार DGP का पद विवादों में चल रहा था.
राज्य के मुखिया और पुलिस के मुखिया के बीच ट्यूनिंग सही चल रही थी. बावजूद इसके, उन्हें अचानक इस्तीफा क्यों देना पड़ गया? दबी जुबान ही सही, चर्चा ये चल रही है कि सीएम हेमंत सोरेन के पास अनुराग गुप्ता के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थी. कहा ये भी जा रहा है कि राज्य के उसी सबसे बड़े अधिकारी ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. अब ये अंदाजा लगाना सहज है कि उन्होंने इस्तीफा दिया है या फिर लिया गया है.
पद पर बने रहने के दौरान भी अनुराग गुप्ता बाबूलाल मरांडी सहित पूरे विपक्ष के निशाने पर लगातार बने रहे. वे लगातार उनकी नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाते रहे. इस इस्तीफे के तत्काल बाद BJP नेता और रांची के विधायक सीपी सिंह ने कहा, "यह स्वागत योग्य कदम है. DGP रहकर सारा खेला होता है. कहीं किसी डील में गड़बड़ी हो गई होगी. भगवान न करे कि इन्हें भी जेल जाना पड़े. इसकी मैं कामना करता हूं.’’ पार्टी के प्रवक्ता अजय शाह ने कहा, ‘’हमने बार-बार यह मुद्दा उठाया कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन है. न आयु सीमा का पालन हुआ, न UPSC की पैनल प्रक्रिया का. हेमंत सरकार ने हर नियम को ताक पर रखकर अपनी मनमानी की.’’
DGP की नई नियुक्ति भले हो गई हो, लेकिन नए साल की शुरुआत तक तीन आईपीएस अधिकारी प्रशांत सिंह, एमएस भाटिया और अनिल पालटा के बीच जरूर एक होड़ होगी कि किसे 31 दिसंबर के बाद यह पद मिलता है.

