बिहार विधानसभा 2025 के नतीजों में BJP, JDU, RJD के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. 14 नवंबर की देर शाम तक के नतीजों में चिराग पासवान की पार्टी ने 19 सीटों पर जीत हासिल कर ली है.
पिछले चुनाव में चिराग की पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. ऐसे में साफ है कि चिराग पासवान ने इस विधानसभा चुनाव में 29 में से 19 सीटों पर जीत हासिल कर अपनी क्षमता साबित कर दी है. इस चुनाव में चिराग का स्ट्राइक रेट 65 फीसद से ज्यादा है.
इससे पहले 2005 में उनके पिता रामविलास पासवान के समय में LJP को सर्वाधिक 29 सीटों पर जीत मिली थी. तब LJP राज्य के 178 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. भले ही तब LJP को 29 सीटों पर जीत हासिल हुई हो, लेकिन तब भी पार्टी का स्ट्राइक रेट महज 17 फीसद ही था. हालांकि, इस बार 65 फीसद स्ट्राइक रेट के साथ चिराग ने अपने पिता के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.
इस तरह अपने आलोचकों को करारा जवाब देते हुए चिराग ने दो खेमे में बंटने के बाद एक बार फिर अपनी पार्टी को विधानसभा चुनावों में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तक पहुंचाया है. यह पहली बार नहीं है, जब चिराग ने पार्टी और राज्य की राजनीति में खुद को साबित किया है.
इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में भी चिराग पासवान की पार्टी का 100 फीसद स्ट्राइक रेट रहा था. सभी पांच सीटों पर LJP (रामविलास) पार्टी ने जीत हासिल की थी.
अगर विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद चिराग पासवान की राजनीतिक साख पर सवाल जरूर उठ रहे थे.
2020 में चिराग पासवान ने JDU प्रमुख नीतीश कुमार के साथ मतभेदों के बाद 130 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था. तब उनकी पार्टी इनमें से केवल एक पर ही जीत हासिल कर पाई थी, लेकिन LJP (रामविलास) ने अच्छा वोट शेयर हासिल कर JDU का खेल बिगाड़ दिया था.
चिराग के पिता रामविलास पासवान को बिहार की राजनीति में एक सदाबहार नेता माना जाता था. पिता के निधन और पार्टी के दो हिस्से में बंटने के बाद चिराग पासवान के सामने खुद को साबित करने की चुनौती थी, जिस पर वे खरे उतरते लग रहे हैं.
अब आगे क्या संभावना है?
इस सवाल का जवाब खुद चिराग पासवान ने अपने बयानों और इंटरव्यू में दिया है. चिराग पासवान ने चुनाव से पहले संकेत दिया था कि वे उपमुख्यमंत्री पद के लिए प्रयास करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि पार्टी कार्यकर्ता उन्हें राज्य के सर्वोच्च पद पर देखना चाहते हैं.
हालांकि, अपने इस बयान के कुछ दिनों बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, "2025 में मुख्यमंत्री का पद खाली नहीं है. मैं पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करता हूं. मैं मानता हूं कि उन्हें अपने नेता को सर्वोच्च पद पर देखने की उम्मीद रखनी चाहिए. मुझे लगता है कि अगर आपके कार्यकर्ताओं को विश्वास नहीं है कि आप शीर्ष पद तक पहुंच सकते हैं, तो आप उन्हें प्रेरित करने में विफल रहे हैं. मैं हमेशा चाहता था कि मेरे पिता रामविलास पासवान जी प्रधानमंत्री बनें."
इसके आगे उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन मैं पहले एक स्टेप पार करता हूं और फिर अगली रणनीति तय करता हूं. बिहार चुनाव के बाद मेरी सबसे पहली प्राथमिकता 2027 में उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव हैं. फिर 2029 के लोकसभा चुनावों में मैं पीएम मोदी को चौथी बार निर्वाचित होते देखना चाहता हूं. इसके बाद हम 2030 पर ध्यान केंद्रित करेंगे."

