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छत्तीसगढ़: लोकसभा की सभी 11 सीटें जीतना चाहती है बीजेपी, लेकिन 5 पर क्यों है खास नजर?

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार कहे जाने वाले अमित शाह ने 22 फरवरी से छत्तीसगढ़ के लिए लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज कर दिया है

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में बीजेपी के एक आयोजन में
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में बीजेपी के एक आयोजन में
अपडेटेड 23 फ़रवरी , 2024

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करते ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी मुद्दे तय कर दिए हैं. राज्य में बीजेपी विष्णुदेव साय सरकार के कामकाज और ‘मोदी की गारंटी’ पर वोट मांगने वाली है. 22 फरवरी को अमित शाह जब जांजगीर के हाई स्कूल मैदान में पार्टी के विजय संकल्प सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. तब एक-एक कर उन्होंने लोकसभा के चुनावी मुद्दों को जनता के सामने रखा. शाह ने रैली में धार्मिक भावना, राष्ट्रवाद और आरक्षण के मुद्दे को साधने की कोशिश की. 

इस दौरान अमित शाह का कहना था, '' बीजेपी की केंद्र सरकार ही सर्जिकल स्ट्राइक करके दुश्मन के घर में घुसकर मारने की क्षमता रखती है. साढ़े पांच सौ सालों की प्रतीक्षा को पूरा कर राम मंदिर का शिलान्यास करना बीजेपी के बस की बात है. ओबीसी संवैधानिक आयोग बनाना और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देकर बीजेपी ने सभी वर्गों का ध्यान रखा है.''

अमित शाह की चिंता इस बात लेकर भी नजर आई कि, बीजेपी हर आम चुनाव में छत्तीसगढ़ में एक-दो सीटों पर चूक क्यों जाती है.  जांजगीर में रैली को संबोधित करने से पहले अमित शाह ने 2019 में हारी हुई बस्तर लोकसभा सीट के कोंडागांव में बैठक करके पार्टी नेताओं के सामने सभी 11 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य दोहराया. 

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से 4 अनुसूचित जनजाति. 1 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जबकि 6 सीटें सामान्य हैं.  छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से हुए 4 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 80 फीसदी सफलता मिली है. 2004, 2009,2014 के चुनाव में पार्टी ने 10—10 सीटें जीती, जबकि 2019 के चुनाव में उसे 9 सीटों पर जीत हासिल हुई. 

इस बार बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जीत के लिए बड़ा लक्ष्य रखा है.  इस लिहाज से वह एक-दो सीटों का नुकसान भी नहीं उठाना चाहती. राज्य में बस्तर, कोरबा, राजनांदगांव, कांकेर और महासमुंद पांच ऐसी सीटें हैं जहां, या तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है, या जीत का अंतर बहुत कम रहा है, इसलिए पार्टी का फोकस इन 5 सीटों पर सबसे अधिक है. 

बीजेपी के 11 सीटें जीतने के लक्ष्य को लेकर वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार कहते हैं, '' बीजेपी ने 11 में से 9 लोकसभा सीटें पहले ही जीती हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 90 विधानसभा में 15 सीटों पर सिमट गई थी, ऐसे दौर में भी उसने 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. फिलहाल विधानसभा के वोटों के आधार पर जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 8 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं, लेकिन यह लोकसभा में जीत का आधार नहीं है.  2018 के चुनाव में भी लोकसभा के अंदर आने वाली 8 में से 5 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास होने के बावजूद बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. इस समय मोदी की शोहरत है, राज्य में बीजेपी की सरकार और कार्यकर्ताओं में उत्साह है इसलिए पार्टी सभी 11 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य जायज तौर पर तय कर सकती है.''

लोकसभा चुनाव में फिलहाल बीजेपी बेहतर चेहरों की तलाश पर मंथन कर रही है.  जातीय समीकरण को साधकर पार्टी पहले के चुनाव में कमजोर रही सीटों को भी इस बार हासिल करने कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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