2024 की पहली तारीख से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामभक्तों और श्रद्धालुओं को निमंत्रण देने का आगाज हुआ है. अयोध्या में रामलला के दरबार में पूजा किए गए अक्षत के वितरण अभियान का शुभारंभ मतगजेंद्र मंदिर से श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने किया.
साधु-संतों की मौजूदगी में गाजे-बाजे के साथ भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के स्वरूपों से सजी शोभायात्रा अक्षत वितरण के लिए निकली. पूजित अक्षत वितरण अभियान की शुरुआत अयोध्या की वाल्मीकि (दलित) बस्ती से की गई. मातगैड़ स्थित वाल्मीकि बस्ती में घर-घर अक्षत, रामलला के विग्रह का चित्र और आमंत्रण पत्र देकर 22 जनवरी को आनंदोत्सव मनाने की अपील की गई.
संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक देशभर में 45 प्रांत और 11 क्षेत्रों में एक साथ अक्षत वितरण का कार्यक्रम शुरू किया है. देशभर में करीब एक लाख से अधिक टोलियां अक्षत वितरण का कार्य करेंगी, प्रत्येक टोली में पांच से छह सदस्यों को शामिल किया है.
टोली के सदस्य प्रत्येक परिवार से आग्रह करेंगे कि 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएं बल्कि अपने घर, गांव, गली मोहल्ले में ही किसी न किसी धार्मिक कार्यक्रम के जरिये प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ें. देशभर के पांच लाख से अधिक गांवों और चार हजार से अधिक शहरी इलाकों में अक्षत वितरण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और भाजपा सहित संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों के करीब चार लाख से अधिक कार्यकर्ता राम का निमंत्रण देने घर-घर जाएंगे. इस तरह नए वर्ष का सूरज निकलते ही अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शंखनाद भी हो गया.
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और इसके अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और भाजपा की रणनीति वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक के साथ क्षेत्रीय समीकरण भी दुरुस्त करने की है. इसी रणनीति के तहत अयोध्या में दलित बस्ती से अक्षत वितरण की शुरुआत की गई तो 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के पहले अयोध्या के एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखने की घोषणा की गई.
अयोध्या में एयरपोर्ट के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में महर्षि वाल्मीकि को केंद्र में रखकर दलित समाज को संदेश देने की भरसक कोशिश की. अयोध्या में ही मोदी ने निषाद परिवार से मुलाकात की. उन्होंने रवींद्र माझी को अपने हाथ से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र सौंपा. विश्व हिदू परिषद ने प्राण प्रतिष्ठा के लिए आमंत्रित अतिथियों की सूची में सभी जाति और धर्मों के लोगों को शामिल किया है.
अयोध्या के एक बड़े स्कूल के प्रबंधक संजय तिवारी बताते हैं, "भगवान राम ने जिन जातियों को साथ लेकर सीता माता की खोज की थी उन्हीं जातियों को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से जोड़कर संघ और भाजपा अपने जनाधार को मजबूत करने का प्रयत्न कर रहे हैं." इन्हीं पिछड़ी जातियों को साधने के लिए ही योगी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य 25 दिसंबर से अयोध्या पहुंचकर इलाके में विशेष सफाई अभियान का नेतृत्व कर रहे थे. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा ने राम मंदिर पर केंद्रित अपने अभियान के लिए एक योजना तैयार की है. इसके लिए 2 जनवरी को वरिष्ठ भाजपा नेताओं की एक उच्च-स्तरीय समिति ने नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में बैठक की.
भाजपा ने राम मंदिर मुद्दे पर जश्न मनाने और प्रचार करने के लिए एक पखवाड़े का कैलेंडर तैयार किया है. देशभर के भाजपा नेताओं को पार्टी सदस्यों की निगरानी करने के लिए कहा गया है जो 14-27 जनवरी के दौरान अपने क्षेत्रों में स्थानीय मंदिरों की सफाई में लगे रहेंगे, जिसके लिए छोटी टीमें गठित की जाएंगी और जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी. 22 जनवरी को, जिस दिन पीएम मोदी अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे, भाजपा कार्यकर्ताओं को यह देखना होगा कि हर घर में शाम को पांच दीये- जिन्हें 'राम ज्योति' कहा जा रहा है- जलाकर दीवाली की तरह मनाया जाए.
एक भाजपा नेता बताते हैं, "राम ज्योति जलाने से वैसा ही माहौल बनेगा और सकारात्मक भावनाएं पैदा होंगी जैसा कि 1989 में लाखों पवित्र ईंटों ने किया था. तब पार्टी ने अपना राम मंदिर आंदोलन शुरू किया था और मंदिर निर्माण के लिए देश भर से लाखों ईंटें इकट्ठी कर अयोध्या लाई गई थीं." भाजपा नेतृत्व ने पार्टी कार्यकर्ताओं को 25 जनवरी से 25 मार्च तक अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को संगठित करने और उनकी सहायता करने की भी सलाह दी है. भाजपा कार्यकर्ताओं से इस कार्यक्रम के दौरान पार्टी के झंडे नहीं ले जाने के लिए भी कहा गया है.