अक्टूबर की तीन तारीख को जब हरियाणा के महेंद्रगढ़ की सभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भाषण पूरा हो गया तो सभा में मौजूद लोग बाहर निकलने के लिए खड़े हो गए. इसी बीच मंच से एक घोषणा हुई और जाने के लिए तैयार लोगों को दो मिनट और रुकने के लिए कहा गया. तभी मंच के पीछे से अशोक तंवर आते दिखे, वे राहुल गांधी से मिले और इसी समय तंवर की घर वापसी की घोषणा हुई.
अशोक तंवर की कांग्रेस में नाटकीय ढंग से हुई इस वापसी का एक मजेदार पहलू ये भी है कि कुछ घंटे पहले तक वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सफीदों सीट से उम्मीदवार रामकुमार गौतम के लिए वोट मांगते फिर रहे थे. इससे पहले तंवर ने कुछ महीने पहले हुए आम चुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई, लेकिन उन्हें हार नसीब हुई थी.
अशोक तंवर 2014 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 2021 में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए, फिर आम आदमी पार्टी में और इसी साल बीजेपी आए थे. तंवर को पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था. सफीदों के बाद तीन अक्टूबर को ही उन्हें दूसरे बीजेपी प्रत्याशी के प्रचार के लिए झज्जर जाना था, लेकिन उन्होंने महेंद्रगढ़ जाना तय किया जहां राहुल गांधी ने उनकी कांग्रेस में वापसी कराई.
बहरहाल, यहां एक सवाल मौजूं हो उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कुछ ही घंटों के अंदर अशोक तंवर कांग्रेस में शामिल हो गए? इस बारे में जानकारी रखने वाले उनके एक करीबी बताते हैं, "सफीदों में ही उनके पास एक फोन आया. इसमें उन्हें बताया गया कि आप जल्दी से जल्दी महेंद्रगढ़ पहुंचें. उन्हें बताया गया कि कांग्रेस में उनकी वापसी को लेकर जब राहुल गांधी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अशोक को मैं खुद कांग्रेस में शामिल कराना चाहता हूं. आम तौर पर राहुल गांधी बहुत कम लोगों को खुद पार्टी में शामिल कराते हैं. इसके बाद आनन-फानन में अशोक तंवर महेंद्रगढ़ के लिए रवाना हुए. दूरी तकरीबन 150 किलोमीटर की थी. जिस जनसभा में वे कांग्रेस में शामिल हुए, उसमें अंत में उनकी घर वापसी की घोषणा भी इसलिए ही हुई क्योंकि सभा शुरू होने तक वे वहां पहुंचे ही नहीं थे. राहुल गांधी के भाषण के दौरान ही वे महेंद्रगढ़ पहुंचे."
तो क्या अशोक तंवर की घर वापसी का फैसला आनन-फानन में हुआ? इस सवाल के जवाब में तंवर के एक करीबी बताते हैं, "पिछले तीन हफ्ते से बहुत गंभीरता से इस बारे में बात चल रही थी. इसमें प्रमुख भूमिका अशोक तंवर की पत्नी अवंतिका माकन की रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन की सगी बहन अवंतिका ने अपने भाई से बात की. अजय माकन ने इसके लिए कई स्तर पर प्रयास किया. उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बात की. जब हुड्डा के स्तर पर सहमति बन गई तो फिर अजय माकन ने राहुल गांधी से बातचीत की और वहां से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद तंवर की कांग्रेस में वापसी की रास्ता साफ हुआ."
वे आगे बताते हैं, "राहुल गांधी के साथ पहले भी उन्होंने काम किया है और उस दौर के रिश्तों की वजह से भी राहुल गांधी ने तंवर की वापसी पर तुरंत सहमति दी होगी. पहले अशोक तंवर को भूपेंद्र हुड्डा और अजय माकन की मौजूदगी में पार्टी में शामिल कराने की योजना बनी थी लेकिन आज अंतिम समय में राहुल गांधी की जनसभा में उनकी घर वापसी का निर्णय लिया गया." कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि तीन अक्टूबर, हरियाणा में चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है. हरियाणा में पांच अक्टूबर को विधानसभा की 90 सीटों के लिए मतदान होना है.
अशोक तंवर के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी की तरफ से ट्वीट किया गया, "कांग्रेस ने लगातार शोषितों, वंचितों के हक की आवाज उठाई है और संविधान की रक्षा के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ाई लड़ी है. हमारे इस संघर्ष और समर्पण से प्रभावित होकर आज बीजेपी के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद, हरियाणा में बीजेपी की कैंपेन कमेटी के सदस्य और स्टार प्रचारक श्री अशोक तंवर कांग्रेस में शामिल हो गए. दलितों के हक की लड़ाई को आपके आने से और मजबूती मिलेगी. कांग्रेस परिवार में आपका पुनः स्वागत है, भविष्य के लिए शुभकामनाएं."
इस ट्वीट के जरिए कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अशोक तंवर को आगे करके पार्टी दलितों के बीच अपनी पैठ को मजबूत बनाने का काम करेगी. बीजेपी के नेता भी अनौपचारिक बातचीत में यह मान रहे हैं कि चुनाव प्रचार के बिल्कुल आखिरी दौर में तंवर का कांग्रेस में जाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. इस बारे में प्रदेश बीजेपी के एक नेता कहते हैं, "हरियाणा में एक ऐसा माहौल बन गया है कि बीजेपी मुश्किल में है. ऐसे में तंवर या किसी और ऐसे नेता का कांग्रेस में जाना माहौल खराब करेगा और करीबी मुकाबले वाले चुनावों में इससे फर्क पैदा हो जाता है."
कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि अशोक तंवर के पार्टी में आने से सिरसा और हिसार जिले के उन विधानसभा सीटों पर दलित वोटों का विभाजन नहीं होगा जहां इस समाज के लोगों की संख्या अच्छी-खासी है. हरियाणा कांग्रेस के एक नेता का तो यह भी दावा है कि हुड्डा ने तंवर की वापसी कराके पार्टी की दिग्गज दलित नेता और सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा के खिलाफ पार्टी के अंदर उसी समाज से एक विकल्प खड़ा करने की पटकथा भी लिख दी है.
इसी साल पांच जनवरी को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तंवर को बीजेपी में शामिल कराया था. बीजेपी में शामिल होने से पहले तंवर आम आदमी पार्टी (आप) में भी रहे थे. युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे तंवर सिरसा से 2009 में लोकसभा सांसद रहे हैं और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं.