लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने के कुछ घंटे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव फैजाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. रुदौली विधानसभा क्षेत्र के मवई चौराहे पर आयोजित जनसभा को संबोधित करने के दौरान पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद का परिचय कराते हुए सपा मुखिया के मुंह से अचानक पूर्व विधायक निकल गया.
उनके ठीक बगल में खड़े अवधेश प्रसाद ने अखिलेश को तत्काल टोकते हुए कहा, "अरे हम विधायक हैं." इसके फौरन बाद अखिलेश यादव ने सफाई देते हुए कहा, "आप अब सांसद बनने जा रहे हो, इसलिए पूर्व विधायक कहा." इस पर मंच पर बैठे नेतागण मुस्कुराने लगे और युवा नारेबाजी करने लगे थे. नारेबाजी को रोकते हुए अखिलेश ने कहा कि अब सांसद बनाने की जिम्मेदारी आपकी है, जुबान खाली मत जाने देना.
4 जून को अखिलेश यादव की बात सच साबित हुई. 4 जून को जब फैजाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव नतीजे आए तो सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने भाजपा को 54 हजार पांच सौ 67 मतों से पराजित कर दिया. अयोध्या को समाहित करने वाली फैजाबाद संसदीय सीट पर भाजपा के लल्लू सिंह हैट्रिक नहीं बना सके.
लल्लू सिंह 2014 और 2019 में भाजपा से सांसद चुने गए थे, लेकिन इस बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. संसदीय इतिहास में यह दूसरा अवसर है, जब सपा ने फैजाबाद लोकसभा सीट पर विजय प्राप्त की है. अवधेश से पहले 1998 में फैजाबाद के दिग्गज नेता रहे मित्रसेन यादव ने सपा से विजय प्राप्त की थी. अवधेश प्रसाद को पांच लाख 54 हजार 289 मत और भाजपा के लल्लू सिंह को चार लाख 99 हजार 722 मत प्राप्त हुए. अवधेश प्रसाद छह बार राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं. उनकी गिनती सपा के अनुभवी नेताओं में होती है.
अवधेश प्रसाद नौवीं बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सात बार वे सोहावल (सुरक्षित) विधानसभा सीट और दूसरी बार मिल्कीपुर (सुरक्षित) सीट से निर्वाचित हैं. पहली बार वह सांसद चुने गए हैं. चुनाव के दौरान सपा का एक नारा खूब चर्चा में रहा, "मथुरा न काशी, अबकी बार अवधेश पासी." इस नारे के बदौलत सपा ने एक साथ कई समीकरण साधे. इसने पूरी चुनावी बाजी ही पलट कर रख दी.
अयोध्या के साकेत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य वीएन अरोड़ा बताते हैं, "सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सामान्य श्रेणी की फैजाबाद लोकसभा सीट पर दलित उम्मीदवार उतारकर एक मास्टर स्ट्रोक खेला था. इसके बाद मथुरा न काशी, अबकी बार अवधेश पासी, नारा फैजाबाद लोकसभा सीट पर मौजूद दलित बिरादरी को छू गया. सबसे ज्यादा फायदा अवधेश प्रसाद के पासी (रावत) बिरादरी के होने के संदेश का रहा, जो कि पूरी तरह काम कर गया. सपा के मूल यादव, मुस्लिम मतों के साथ दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग के मत मिले तो पहली बार में ही अवधेश पासी संसद पहुंच गए."
अखिलेश के इस अनोखे प्रयोग ने भगवा गढ़ में भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को परास्त कर सपा के 25 वर्ष से चल रहे जीत के इंतजार के सूखे को दूर कर दिया. अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी से आते हैं. पिछले कई चुनाव से यह बिरादरी भाजपा के पक्ष में खड़ी होती रही है.
हालांकि सपा के सामने स्वजातीय यादव मतों में बिखराव रोकने की कठिन चुनौती भी थी. सामान्य सीट से अवधेश प्रसाद को प्रत्याशी बनाने से अखिलेश के चयन को लेकर पार्टी में कानाफूसी भी खूब हुई. नाराज पूर्व मंत्री आनंद सेन ने अवधेश प्रसाद के चुनाव प्रचार से ही दूरी नहीं बनाई बल्कि अखिलेश यादव की मवई व मिल्कीपुर की सभाओं में भी हिस्सा नहीं लिया.
आनंद सेन के बड़े भाई अरविंद सेन अपने पिता मित्रसेन यादव की विरासत पाने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे. माना जा रहा था कि यादव मतों में सेंध लगाने से वह सपा का खेल बिगाड़ सकते हैं लेकिन अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को मिल्कीपुर में सक्रिय कर यादव मतों में बिखराव को पूरी तरह रोक दिया. नतीजा अरविंद सेन यादव 20,000 वोट भी नहीं हासिल कर सके और सपा को कोई खास नुकसान नहीं हुआ. इस तरह वह सीट जिसपर सबकी नजरें गड़ी थीं वहां सबसे बड़े उलटफेर की नींव पड़ गई थी.
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाले पांच विधानसभा सीटों में से दो समाजवादी पार्टी ने जीती थीं, जिसमें एक अवधेश प्रसाद भी थे, जो इस बार सांसद निर्वाचित हुए हैं. पार्टी के दूसरे विधायक अभय सिंह पार्टी से दूरी बढ़ा कर अघोषित तौर पर भाजपा के पाले में खड़े हो गए थे. अयोध्या ही एक ऐसी विधानसभा सीट रही जिसमें भाजपा प्रत्याशी इंडिया गठबंधन के मुकाबले 46 सौ मत से आगे रहे.
भगवा गढ़ की यह बढ़त भी भाजपा को प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर जीत नहीं दिला सकी. अवधेश के सपा उम्मीदवार बनते ही पासी बिरादरी अपने स्वजातीय उम्मीदवार के लिए एकजुट होने लगी थी. यही वजह रही कि अयोध्या विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर संसदीय सीट की अन्य सभी विधानसभा सीटों मिल्कीपुर, बीकापुर, रुदौली व बाराबंकी जिले को दरियावाद सीट पर सपा को भाजपा से बढ़त मिली.
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के चार महीने बार रामनगरी को समाहित करने वाली फैजाबाद लोकसभा सीट पर भगवा खेमे की हार ने सबको चौंका दिया है. वह भी तब जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दलितों को सकारात्मक संदेश देने का पूरा जतन किया गया था.
अयोध्या में भाजपा नेता दिनेश कुमार बताते हैं, "हमने वास्तव में कड़ी मेहनत की, हमने राम मंदिर लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन राम मंदिर का अभिषेक वोटों में परिवर्तित नहीं हुआ." इसकी वजह क्या रही? इस प्रश्न का जवाब अयोध्या में लता मंगेशकर चौराहे पर चाय-नाश्ते की दुकान चलाने वाले विजय सिंह देते हैं. वे कहते हैं, "सच तो यह है कि बहुत कम अयोध्यावासी मंदिर जाते हैं, यहां के अधिकांश भक्त बाहरी लोग हैं. राम हमारे आराध्य हैं लेकिन अगर आप हमारी आजीविका छीन लेंगे तो हम कैसे जीवित रहेंगे? राम पथ के निर्माण के दौरान, स्थानीय लोगों से वादा किया गया था कि उन्हें दुकानें आवंटित की जाएंगी पर ऐसा नहीं हुआ."
विजय के मुताबिक राम मंदिर की भव्यता ने बाहरी लोगों को प्रभावित किया है, लेकिन शहर के निवासी यहां होने वाली असुविधा से नाखुश थे. विजय कहते हैं, "राम पथ समेत कई मार्गों पर पहले हम लोग बिना रोकटोक जाते थे अब यहां जगह जगह बैरियर लगा दिए गए हैं. बच्चों को स्कूल तक आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. नाराजगी तब और बढ़ गई है जब प्रशासन समस्या का समाधान करने की बजाय हम लोगों को ही धमकाने लगता है."
राम पथ पर मूर्तियों की दुकान चलाने वाले रमेश कहते हैं कि पूर्व भाजपा सांसद और उम्मीदवार लल्लू सिंह के खिलाफ बहुत ज्यादा सत्ता विरोधी लहर थी. उन्होंने अयोध्या के लोगों के लिए कोई काम नहीं किया. जो भी काम किया वह बाहरी लोगों के लिए था. भाजपा अयोध्या के लोगों के लिए काम करना भूल गई.
अयोध्या के ही दलित जाति से आने वाले रमेश का कहना है कि लल्लू सिंह ने पूरे अहंकार से कहा था कि संविधान बदलने के लिए भाजपा को 400 सीटों की जरूरत है. इससे लोग बहुत नाराज हो गए. सिंह को लगता था कि वे अजेय हैं, लेकिन वे भूल गए कि लोकतंत्र ही अजेय है.
संविधान बदलने की लल्लू सिंह की बात को ही इंडिया गठबंधन के नेताओं ने पकड़ लिया और भाजपा के खिलाफ जनमत खड़ा करने में इसे अचूक हथियार के रूप में प्रयोग किया. अयोध्या के लिए अपनी योजनाओं के बारे में सपा के विजयी उम्मीदवार अवधेश प्रसाद कहते हैं, "भाजपा सरकार ने (मंदिर तक जाने वाली सड़कों के चौड़ीकरण के काम के दौरान) बहुत से लोगों को उजाड़ दिया है. मैं उन्हें फिर से बसाने का काम करूंगा. मैं उन लोगों को उचित मुआवजा दिलाने का भी काम करूंगा जिनकी जमीनें छीन ली गई हैं." अब देखना है कि अयोध्या में अवधेश किस तरह भगवा दल से बड़ी लकीर खींच पाते हैं?