
अप्रैल की 21 तारीख को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली के मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया. सरदार राजा इकबाल सिंह मेयर पद के लिए, वहीं जय भगवान यादव डिप्टी मेयर पद पर बीजेपी की तरफ से चुनावी ताल ठोक रहे हैं.
इकबाल सिंह की मेयर पद पर ताजपोशी तय मानी जा रही है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) ने मेयर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. एमसीडी में संख्याबल के लिहाज से भी AAP की हालत पस्त दिखती है. मेयर का चुनाव 25 अप्रैल को होना है.
21 अप्रैल को मेयर पद के लिए बीजेपी उम्मीदवारों के एलान से कुछ ही घंटे पहले AAP ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने मेयर चुनाव के लिए कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की. सौरभ ने आरोप लगाया कि बीजेपी सत्ता तक पहुंचने के लिए AAP के पार्षदों को डरा-धमकाकर, लालच देकर तोड़ने का प्रयास कर रही थी.
वहीं आतिशी ने कहा कि एमसीडी मेयर चुनाव में AAP इस बार अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. बीजेपी ने पहले भी MCD का चुनाव रुकवा दिया था. परिसीमन के दौरान वार्डों को इधर-उधर किया गया. परिसीमन के दौरान जबरदस्त गड़बड़ी और भ्रष्टाचार किया गया. इसके बावजूद बीजेपी चुनाव हारी और AAP की सरकार बनी.
MCD मेयर चुनाव में AAP इस बार नहीं उतारेगी अपना उम्मीदवार‼️
— AAP (@AamAadmiParty) April 21, 2025
👉 BJP ने पहले भी MCD का चुनाव रुकवा दिया था। परिसीमन के दौरान वार्डों को इधर-उधर किया गया
👉 परिसीमन के दौरान जबरदस्त गड़बड़ी और भ्रष्टाचार किया गया। इसके बावजूद BJP चुनाव हारी और AAP की सरकार बनी
👉 इसके बाद भी… pic.twitter.com/RQzIzk9OE2
आतिशी ने कहा, "AAP एमसीडी में भी मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएगी. हम तोड़फोड़ और खरीद-फरोख्त की राजनीति नहीं करते. अब बीजेपी अपनी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाए और बिना किसी बहाने के दिल्लीवालों से किए अपने वादे पूरा करे."
AAP के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जब दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान किया, तो उन्होंने AAP को भी आड़े हाथों लिया. सचदेवा ने कहा कि जो ये बोलकर आए थे कि हमें एमसीडी दे दो, हम दिल्ली को साफ कर देंगे. ऐसा कहने वालों ने एमसीडी में भी भ्रष्टाचार किया. उन्होंने कहा कि अब वे (AAP) मुंह छिपाते फिर रहे हैं.
सचदेवा ने कहा, "उन्हें (AAP) पता है कि संख्या उनके पास नहीं है. संख्याबल नहीं है और शायद यही वजह है कि वे चुनाव प्रक्रिया से भाग रहे हैं." बहरहाल, 21 अप्रैल मेयर चुनाव के नामांकन के लिए आखिरी दिन था. AAP की तरफ से कोई उम्मीदवार नहीं उतारे जाने के बाद बीजेपी उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय है. लेकिन आइए एक बार चुनावी गणित को समझ लेते हैं.
बीजेपी के पास 135 वोट, AAP के पास सिर्फ 119
पिछली बार दिल्ली मेयर पद का चुनाव तय समय (जो अमूमन अप्रैल में होता है) पर न होकर 14 नवंबर को हुआ था. ऐसा इसलिए क्योंकि अप्रैल 2024 में तब के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के चलते समय पर मंजूरी नहीं मिल पाई थी. उस चुनाव में AAP के महेश खिंची मेयर निर्वाचित हुए.
महेश को 133 वोट मिले थे और बीजेपी के किशन लाल को 130. तब बीजेपी उम्मीदवार को सदन में पार्टी के संख्याबल से 10 वोट अधिक मिले थे. तब से अब तक निगम सदन की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है. 250 सदस्यों वाले निगम सदन के 11 सदस्य अब विधायक निर्वाचित हो चुके हैं. एक सदस्य पहले से ही लोकसभा के लिए चुनी जा चुकी हैं.
इस तरह, दिल्ली नगर निगम की कुल 250 में से 12 सीटें खाली हैं. निगम सदन की स्ट्रेंथ इस समय 238 है. पिछले कुछ समय में AAP के कई पार्षदों ने पार्टी का साथ छोड़ा है, और बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इससे सदन में बीजेपी का संख्याबल बढ़ा है, जबकि एमसीडी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी AAP अब दूसरे नंबर पर खिसक चुकी है.
आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय बीजेपी के 117, AAP के 113 और कांग्रेस के आठ पार्षद हैं. दिल्ली के सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसदों के साथ ही राज्यपाल की ओर से मनोनीत 14 विधायकों को भी मिला लें तो सदन की स्ट्रेंथ 262 पहुंच जाती है.
ध्यान देने की बात है कि जब सामान्य एमसीडी पार्षद के चुनाव होते हैं तब दिल्ली के सभी पंजीकृत मतदाता वोट डालते हैं. लेकिन जब मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव होते हैं तब सिर्फ सभी निर्वाचित पार्षद, दिल्ली के सभी सात लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसद के अलावा राज्यपाल की ओर से मनोनीत विधायक वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं. राज्यपाल की ओर से मनोनीत विधायकों की कुल संख्या 14 है.
फिलहाल निगम सदन की स्ट्रेंथ 262 है, यानी अपना मेयर बनाने के लिए किसी भी दल को 132 वोट की जरूरत होगी. बीजेपी के पास 117 पार्षद हैं और सात लोकसभा सांसदों के साथ ही राज्यपाल की ओर से मनोनीत 14 में से 11 विधायक हैं. कुल मिलाकर देखें तो पार्टी का संख्याबल 135 पहुंचता है जो जरूरी 132 से तीन वोट ज्यादा है.
वहीं, AAP के पास राज्यपाल की ओर से मनोनीत तीन विधायक हैं, इसके अलावा उसके तीन राज्यसभा सांसद भी हैं. इस तरह, फिलहाल एमसीडी की सत्ता पर काबिज AAP के पास कुल 119 वोट ही हैं. अगर कांग्रेस के आठ पार्षद उसके पक्ष में मतदान कर भी दें, तो भी निगम सदन के नंबर गेम में AAP 127 तक ही पहुंचेगी, जो जीत के लिए जरूरी 132 से पांच वोट कम है.
कौन हैं सरदार राजा इकबाल सिंह?

निगम सदन में चुनावी गणित को अपने पाले में करने के बाद यह काफी हद तक तय है कि बीजेपी उम्मीदवार सरदार राजा इकबाल सिंह के सिर पर ही मेयर का ताज सजेगा. लेकिन राजा इकबाल सिंह आखिर हैं कौन, जिन्हें बीजेपी दिल्ली का मेयर बनाना चाहती है?
दरअसल, राजा इकबाल सिंह पहले अकाली राजनीति से जुड़े हुए थे, बाद में वे बीजेपी में शामिल हुए. भगवा दल में उनका उभार तेजी से हुआ है. उनके ससुर जीटीबी नगर से पार्षद रह चुके हैं. वहीं उनके साले अभी भी अकाली राजनीति में सक्रिय हैं.
राजा इकबाल सिंह भी जीटीबी नगर से पार्षद रह चुके हैं. वे सितंबर 2020 तक निगम के सिविल लाइंस जोन के प्रमुख भी रहे. सितंबर 2020 में ही, शिरोमणी अकाली दल ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कृषि कानूनों के विरोध में अपना समर्थन वापस ले लिया था.
इसके बाद अकाली दल ने राजा इकबाल सिंह को अपने पदों से इस्तीफा देने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. इसके नौ महीने बाद ही बीजेपी ने उन्हें उत्तर दिल्ली नगर निगम (2022 में सभी तीन नगर निगमों को मिलाकर एक कर दिया गया) का मेयर बना दिया. यह वही दौर था जब दिल्ली में अकाली राजनीति कमजोर हो रही थी और उसके नेता एक-एक कर बीजेपी में शामिल हो रहे थे. राजा इकबाल सिंह ने भी इसी मौके का फायदा उठाया.
16 अप्रैल 2020 को हनुमान जयंती के दिन हिंदू-मुस्लिम दंगा भड़क गया. पुलिस ने इस मामले में करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें से पांच आरोपियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया. बीजेपी ने एक चिट्ठी लिखकर आरोपियों के अवैध निर्माण की जानकारी उत्तरी दिल्ली नगर निगम को दी थी. उस समय उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर राजा इकबाल सिंह ही थे.
फिर निगम के अधिकारियों ने 20 अप्रैल को जहांगीरपुरी इलाके में कई अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था. इनमें से ज्यादातर कंस्ट्रक्शन मुसलमानों के थे. बहरहाल, राजा इकबाल सिंह की गिनती बीजेपी के उन नेताओं में होती है, जो काफी कम बोलते हैं. यह बात जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ अभियान के दौरान देखने को मिली.
अन्य बीजेपी नेताओं के विपरीत, जो "दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई" की मांग को लेकर मुखर थे, सिंह ने कोई बयान नहीं दिया था. मीडिया में उनके बयान तभी सामने आए जब एक रात पहले ही तोड़फोड़ करने का फैसला लिया गया था. और जब उन्होंने बात की तो उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि यह पार्टी के रुख के अनुरूप हो.
20 अप्रैल को, यानी तोड़फोड़ की सुबह वे मौके पर मौजूद थे और बाद में अभियान का समर्थन करते हुए मीडिया से लंबी बातचीत की. उन्होंने कहा, "यह अतिक्रमण विरोधी अभियान है...इसे धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. यह अस्थायी प्रकृति के अतिक्रमण के खिलाफ अभियान है और हमें आरडब्ल्यूए और स्थानीय लोगों से बहुत सारी शिकायतें मिली हैं."
दिल्ली में कब होता है मेयर का चुनाव?
दिल्ली में मेयर का चुनाव हर वित्त वर्ष की पहली बैठक में होता है. यह बैठक आमतौर पर अप्रैल में आयोजित की जाती है. चुनाव होने तक मौजूदा मेयर ही पद पर बने रहते हैं.
मौजूदा समय में AAP के महेश खींची दिल्ली के मेयर हैं. इस साल 11 अप्रैल को जारी आदेश में एमसीडी सचिव ने चुनाव की तारीखों का एलान किया था. दिल्ली में मेयर का पिछला चुनाव नवंबर 2024 में हुआ, क्योंकि अप्रैल 2024 में तब के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के कारण समय पर मंजूरी नहीं मिल पाई थी.
इस साल मेयर पद सभी पार्षदों के लिए खुला है, क्योंकि पहले कार्यकाल में महिलाओं और तीसरे कार्यकाल में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण लागू होता है. इस बार कोई आरक्षण लागू नहीं है.