
बिहार के जहानाबाद के सिद्धेश्वरनाथ मंदिर की तरफ जाने वाली सीढ़ियों के पास कबूतरी देवी हताश चेहरे के साथ हर आने-जाने वाले से अपने समधी कलिका यादव के बारे में पूछ रही हैं. कलिका यादव 11 अगस्त की रात इस मंदिर में जल चढ़ाने आए थे, तब से उनका कोई पता नहीं है. कबूतरी देवी कहती हैं, "उनके परिवार के लोग अलग-अलग ठिकानों पर उन्हें ढूंढ रहे हैं. कोई जहानाबाद सदर अस्पताल गया है तो कोई गया मेडिकल कॉलेज. कुछ लोग पटना की तरफ भी गए हैं, जहां कुछ मरीजों को पीएमसीएच अस्पताल में रेफर किए जाने की सूचना है."
कबूतरी देवी की तरह ही कई और लोग भी अपने परिजनों की तलाश में यहां-वहां भटक रहे हैं. जहानाबाद के पोस्टमार्टम हाउस के पास ऐसे कई लोग नजर आते हैं, जिन्हें सिद्धेश्वरनाथ मंदिर से गुम हुए अपने परिजनों की तलाश है. इन्हें मालूम नहीं कि इनके परिजन जिंदा हैं या नहीं, घायल हैं तो उनका इलाज कहां हो रहा है. 11-12 अगस्त की दरम्यानी रात एक बजे सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में हुए भगदड़ के बाद 18 घंटे बीतने के बाद भी स्थानीय प्रशासन की तरफ से न मृतकों की सूची जारी हुई है, न ही घायलों की.

जहानाबाद सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. ए.के. नंदा बताते हैं कि मखदुमपुर अस्पताल से उनके पास सात मृतक और 18 घायलों को लाया गया था. मृतकों का पोस्टमार्टम हो गया है. 18 में से तीन गंभीर घायलों को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना भेज दिया गया है और दस ठीक होकर घर लौट गए हैं. अभी सिर्फ पांच घायल हमारे यहां इलाज करा रहे हैं. हालांकि अस्पताल में घूमने पर इस संवाददाता को छह घायल मिलते हैं, जिनमें चार बच्चे और दो बुजुर्ग महिलाएं थीं.
डॉ. नंदा से जब मृतकों के नाम की सूची मांगी गई तो उन्होंने अपने एक सहयोगी से मिलने को कहा. उस सहयोगी ने कहा, "सूची आपदा प्रबंधन विभाग को भेज दी गई है, अभी मैं काम में व्यस्त हूं." जबकि अस्पताल के एक अन्य कर्मी ने हमें 19 घायलों की सूची उपलब्ध करा दी.
इस घटना के बाद घायलों और मृतकों को सबसे पहले सुखदेव प्रसाद वर्मा रेफरल अस्पताल, मखदुमपुर लाया गया था, वहीं से उन्हें अलग-अलग जगह रेफर किया गया. इस अस्पताल के फार्मासिस्ट अरविंद कुमार ने अलग ही आंकड़ा दिया. उन्होंने कहा, "हमारे अस्पताल में कुल 16 घायल पहुंचे थे, जिनमें से चार को हमने मगध मेडिकल कॉलेज, गया रेफर किया और शेष 12 को जहानाबाद रेफर कर दिया." मगर जहानाबाद सदर अस्पताल के अधीक्षक ने हमें 18 घायलों के बारे में बताया था, यह पूछने पर वे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए.
हालांकि उनके पहुंचने से पहले अस्पताल के एक चतुर्थ वर्गीय व्यक्ति ने हमें रजिस्टर दिखाया, जिसमें इस हादसे के बाद वहां पहुंचे 27 घायल लोगों के नाम दर्ज थे. वह सूची इंडिया टुडे के पास है. इस सूची में किसी मृतक का नाम नहीं है.
इस बारे में जिला प्रशासन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक कहानी यह है कि 11-12 अगस्त की दरम्यानी रात एक बजे हुए इस हादसे में स्थानीय विवाद और पथ संकरा होने की वजह से सात श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई और 16 घायल हो गए. इनमें दस को कम चोटें आईं थीं, जिस वजह से उन्हें इलाज के बाद घर जाने दिया.
बहरहाल, प्रशासन द्वारा सूची जारी नहीं किए जाने की वजह से लोग परेशान होकर अपने परिजनों को ढूंढ रहे हैं. इस बीच शाम पौने सात बजे तक (12 अगस्त) प्रशासन की तरफ से कोई सूची जारी नहीं हुई. इस वक्त जब हम जिला प्रशासन से बात करने कलेक्टरेट पहुंचे तो वहां न डीएम उपलब्ध थे, न एसपी और न ही आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी. फोन पर संपर्क करने के प्रयास भी असफल रहे.