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न युवा, न आधी आबादी का दबदबा, विवादित चेहरों से भी परहेज नहीं, ऐसी है नीतीश की दसवीं सरकार!

नीतीश कुमार का नया मंत्रिमंडल पीएम मोदी के M-Y(महिला-युवा) के नए फार्मूले और अमित शाह की विवादित चेहरों को जगह नहीं देने की घोषणा पर खरा उतरता नहीं दिखता

नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
अपडेटेड 20 नवंबर , 2025

बिहार में भारी बहुमत से बनी NDAसरकार को लेकर लोगों के मन में यह उम्मीद थी कि नई सरकार में युवाओं, अति पिछड़ों और महिलाओं को विशेष प्रतिनिधित्व मिलेगा. यह उम्मीद इसलिए जताई जा रही थी कि NDAकी भारी जीत के आधार यही तीनों थे. मगर नीतीश कुमार की नई सरकार में इन तीनों तबकों का प्रतिनिधित्व खाने में नमक जैसा ही है. यही नहीं, विपक्षी महागठबंधन पर 'जंगलराज’ का बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली NDA की इस सरकार में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप झेल रहे नेताओं से भी परहेज नहीं किया गया है.

20 नवंबर, 2025 को गांधी मैदान में शपथ लेने वाली नीतीश कुमार की इस सरकार में तीन महिलाओं, दो युवाओं और अति पिछड़ा समुदाय से पांच लोगों को मंत्री बनाया गया है. जबकि इस सूची में सवर्ण आठ, पिछड़े आठ, दलित पांच और एक अल्पसंख्यक को मंत्री बनाया गया है. पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने जिन चार मंत्रियों- सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल, अशोक चौधरी और मंगल पांडेय पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे, उन्हें भी मंत्रीमंडल में शामिल रखा गया है.

नई सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत 27 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है. इनमें 14 BJP से, 9 JDU से, दो LJP (R) से और एक-एक 'हम' और रालोमो से हैं. JDU ने अपने कोटे के कुछ मंत्रियों को नाम फिलहाल रोक रखा है. खबर है कि कुल 35 मंत्री सरकार में रह सकते हैं. इनमें BJP और JDU को 15-15, LJP (R) को तीन और हम और रालोमो को एक-एक मंत्री पद मिलना है. BJP ने अपने कैबिनेट कोटे के 14 मंत्रियों को आज शपथ दिला दी. उनके कोटे में अब एक जगह बच रही है. JDU के कोटे में छह और LJP (R) कोटे में एक जगह बची है.

JDU ने अपने कोटे के जिन नौ मंत्रियों को शपथ दिलाई है, उनमें से सभी पहले की नीतीश सरकार में रह चुके हैं. कोई नया चेहरा नहीं है. हालांकि पिछली सरकार में JDU के जो मंत्री थे, उनमें से चार इस सूची से बाहर नजर आ रहे हैं. उनमें शीला मंडल, रत्नेश सदा, महेश्वर हजारी और जयंत राज हैं. चूंकि JDU के कोटे की छह सीटें अभी खाली हैं, इसलिए ऐसा लगता है कि इनमें से कुछ को आगे जगह मिल सकती है. चकाई से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले सुमित कुमार सिंह को भी JDU अपने कोटे से मंत्री बनाता रहा है. मगर इस बार वे चुनाव हार गए हैं.

BJP ने अपनी सूची में बड़ा फेरबदल किया है और आठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. हालांकि इनमें प्रेम कुमार के विधानसभा अध्यक्ष बनने की बात कही जा रही है. मगर बाकी सात में रेणु देवी, नीतीश मिश्रा, नीरज कुमार बबलू, जनक राम और हरि सहनी जैसे कद्दावर नाम हैं. इनके अलावा कृष्णानंद पासवान और संतोष कुमार सिंह को भी मंत्री नहीं बनाया गया है. इनके बदले आठ नए चेहरों को BJP ने मंत्रियों की सूची में जगह दी है. इनमें रामकृपाल यादव, श्रेयसी सिंह, रमा निषाद, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद, नारायण प्रसाद, लखींद्र रौशन और प्रमोद कुमार हैं.

हम ने एक बार फिर से अपनी इकलौती सीट पर जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को मंत्री बनाया है. इसी तर्ज पर रोलोमो ने भी उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को अपने कोटे से मंत्री बनाया है. जबकि दीपक अभी न तो विधान सभा के सदस्य हैं, न विधान परिषद के. पहले माना जा रहा था कि इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता को जगह दी जाएगी.
एक लंबे अरसे के बाद बिहार की सरकार में शामिल LJP ने अपने कोटे की तीन सीटों में से दो पर संजय को मंत्री बनाया है. इनमें एक संजय कुमार सिंह वे हैं, जो महुआ से पार्टी की टिकट पर जीतकर आए हैं. दूसरे संजय कुमार पासवान बखरी से चुनाव जीते हैं. इस तरह इस नई सरकार में 11 नए चेहरे नजर आ रहे हैं.

मंत्रिमंडल से महिलाएं और युवा किनारे हुए

20 नवंबर को 11.30 बजे पटना के गांधी मैदान में नीतीश कुमार की दसवीं सरकार का शपथ ग्रहण हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  गृहमंत्री अमित शाह, BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत NDAशासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे. शपथ ग्रहण के बाद पीएम मोदी ने गमछा हिलाकर वहां भारी संख्या में मौजूद दर्शकों का उत्साह बढ़ाया. इस मौके पर राज्य के अलग-अलग इलाकों से बड़ी संख्या में BJP के समर्थक और जीविका दीदियां पहुंची थीं.

NDA की भारी जीत के बाद 14 नवंबर की शाम BJP मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, "कुछ दलों ने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए MY बनाया था. लेकिन आज बिहार ने एक नया सकारात्मक MY दिया है- M मतलब महिला, Y मतलब युवा.” ऐसे में उम्मीद थी कि NDAकी नई सरकार में महिलाओं और युवाओं को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा.

मगर 27 मंत्रियों की इस पहली सूची में सिर्फ तीन महिलाएं हैं. लेसी सिंह, श्रेयसी सिंह और रमा निषाद. इस चुनाव में महिलाओं जिस तरह बढ़-चढ़कर मतदान किया और वोट डालने में पुरुषों से आगे निकल गईं, इस लिहाज से आधी आबादी के लिए कम से कम एक तिहाई मंत्री पद की उम्मीद रखी जा रही थी. मगर अभी हर आठ पुरुष मंत्री के बाद एक महिला मंत्री हैं. उसी तरह युवाओं को भी बहुत कम भागीदारी मिली है. फिलहाज 40 साल से कम उम्र के सिर्फ दो मंत्री हैं. श्रेयसी सिंह (34) और दीपक प्रकाश(35). ये दोनों राजनीतिक परिवार से आते हैं. अगर सभी 27 मंत्रियों की औसत उम्र देखें तो यह 59 साल है.

मंत्री पद बांटने में परिवारवाद से भी कोई परहेज नहीं किया गया. फिलहाल सात ऐसे मंत्री हैं, जो राजनीतिक परिवारों से संबंध रखते हैं. इनमें अशोक चौधरी, सम्राट चौधरी, नितिन नवीन, रमा निषाद, श्रेयसी सिंह, दीपक प्रकाश और संतोष कुमार सुमन हैं.

इस सूची में अति पिछड़ा समुदाय की भागीदारी भी उम्मीद से कम है. सिर्फ पांच अतिपिछड़ों को मंत्री बनाया गया है, जिनमें दो निषाद जाति से हैं. 36 फीसदी अति पिछड़ी जातियों के बारे में माना जाता है कि वे नीतीश के पक्के वोटर हैं. माना जा रहा था कि उन्हें इस सरकार में आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व मिलेगा या डिप्टी सीएम का पद मिलेगा. मगर हमेशा की तरह से इस बार भी उनका प्रतिनिधित्व अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा.

19 नवंबर को पटना पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देर रात कहा था कि विवादित चेहरों को मंत्रियों की सूची में जगह नहीं दी जाएगी. इन नामों में सबसे ज्यादा चर्चा सम्राट चौधरी, दिलीप कुमार जायसवाल और मंगल पांडेय की थी. जन सुराज ने चौधरी पर उम्र घटाकर सजा से बचने के आरोप लगाया था, वहीं दिलीप जायसवाल पर सिख अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज पर कब्जा जमाने का आरोप लगया था और मंगल पांडेय के बारे में कहा था कि उन्होंने गलत फायदा दिलाने की नीयत से दिलीप जायसवाल से पैसे लिए थे. BJP के साथ ही JDU ने भी गलत तरीके से 200 करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित करने का आरोप झेल रहे अशोक कुमार चौधरी को मंत्री बनाया है.

नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण कुमार बागी कहते हैं, “जो उम्मीद थी, उस हिसाब से मंत्रिमंडल में नया कुछ नहीं दिख रहा. लग रहा था कि इतनी बड़ी सफलता के बाद नए और युवा चेहरों की प्रधानता होगी. नए चेहरे तो खासकर BJP ने पेश किए हैं, मगर युवाओं की कमी है. JDU ने तो सभी पुराने मंत्रियों को रिपीट किया है. चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार के कम से कम तीन मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाए थे. वे सारे चेहरे वापस सरकार में आ गए हैं. जबकि नीतीश कुमार ने पहले महागठबंधन से सिर्फ इसी बिना पर संबंध तोड़ा था कि तेजस्वी अपने खिलाफ लगे आरोपों पर स्पष्टीकरण नहीं दे रहे हैं.”

प्रवीण नीतीश सरकार की वापसी में महिलाओं की भूमिका को अहम मानते हुए यह भी कहते हैं कि मंत्रिमंडल में उनकी हिस्सेदारी इस अहमियत के मुकाबले कुछ भी नहीं है. वे अपनी बात आगे बढ़ाते हैं, "मुसलमान RJD से बिदककर NDAकी तरफ आए हैं, उसका इनाम भी उन्हें मिलना चाहिए था. उनकी भी कमी दिखती है. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि उपेंद्र कुशवाहा ने परिवारवाद का सबसे बुरा उदाहरण पेश किया है. उनके बेटे न किसी सदन के सदस्य हैं, न कोई उनकी राजनीतिक सक्रियता रही है. फिर भी वे मंत्री बन गए. इनके अलावा भी परिवादवाद के कई उदाहरण इस मंत्रिमंडल में हैं.”  

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