scorecardresearch

केके पाठक बार-बार विवादों से क्यों घिर जाते हैं?

बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने वाले विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक एक बार फिर से विवादों में हैं और इस बार उन पर एक ऑनलाइन मीटिंग में राज्य के शिक्षकों को गाली देने का आरोप लगा है

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक
अपडेटेड 23 फ़रवरी , 2024

अपने तेज तर्रार एक्शन से बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने वाले विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के हिस्से में अक्सर तारीफों से अधिक विवाद आते हैं. वे एक बार फिर से विवादों में हैं और इस बार उन पर एक ऑनलाइन मीटिंग में राज्य के शिक्षकों को गाली देने का आरोप है.

मामला बेहद गरमा गया है और इस बात को लेकर राज्य के विधान परिषद में बहस की नौबत आ गई. बुधवार को बिहार विधान परिषद में सत्ता और विपक्ष दोनों पक्ष के विधायकों ने यह मुद्दा उठाया और शिक्षकों को गाली देने से जुड़ा वीडियो पेन ड्राइव में परिषद के सभापति को सौंपा.

सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने उन्हें आश्वासन दिया कि मामले की जांच होगी. अगले दिन गुरुवार को बिहार विधान सभा में भी यह मुद्दा उठा और गाली वाला वीडियो दिखाने की मांग की गई. मगर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह कहते हुए विधायकों की मांग को अस्वीकार कर दिया कि फिलहाल उस वीडियो वाले मामले को विधान परिषद के सभापति देख रहे हैं, वे जो अनुशंसा करेंगे, स्वीकार किया जाएगा.

इसके बावजूद यह मामला शांत होता नहीं नजर आ रहा. विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी भाजपा के लोग भी केके पाठक के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं.

केके पाठक की पहचान उन अधिकारियों में है, जो मिशन मोड में किसी व्यवस्था में सुधार लाने का काम करते हैं. पिछले साल जुलाई महीने से उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का अभियान शुरू किया था, जिसके कई सकारात्मक नतीजे देखने को मिले. खासकर स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति बेहतर रही.

मगर इसके साथ-साथ वे अपने कई फैसलों और टिप्पणियों के लिए लगातार विवादों में भी रहे हैं. खासकर राज्य के शिक्षक उनके फैसलों को लेकर नाराजगी जताते रहे हैं. केके पाठक के इस तरह के विवादों में फंसने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अगस्त, 2023 में उनका एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वे वैशाली के एक शिक्षक को इडियट और मोटा कहते हुए नजर आ रहे हैं.

इस साल जनवरी महीने में इंडियन मेडिकल एसोशिएशन से जुड़े डॉ. अजय कुमार ने आरोप लगाया था कि केके पाठक ने उन्हें फोन पर भद्दी गालियां दी हैं. उन्होंने इस बात की शिकायत पीएमओ तक की. फरवरी, 2023 में उन पर आरोप लगा कि एक मीटिंग में उन्होंने अधिकारियों को गधा, उल्लू, बंदर, इडियट कहा. इसका भी वीडियो जारी हुआ. हर बार बवाल मचा मगर किसी मामले में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

हालांकि इस बार गाली प्रकरण से राज्य के शिक्षक काफी नाराज हैं. बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मंडल के सदस्य मार्कंडेय पाठक कहते हैं, "इस मामले की जितनी निंदा हो की जानी चाहिए और उन्हें माफी मांगनी चाहिए. साथ ही यह व्यवस्था भी बनाई जानी चाहिए कि वे या कोई भी अधिकारी शिक्षकों या अपने जूनियर अधिकारियों के साथ बदतमीजी या गाली गलौज न करे. पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस बात की शिकायत की है और मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है. अब देखना है कि सरकार इस मसले पर क्या फैसला लेती है."

दरअसल ताजा मामला सरकारी स्कूलों की टाइमिंग को लेकर है. केके पाठक चाहते हैं कि स्कूल नौ बजे से पांच बजे तक चले और शिक्षक सुबह साढ़े आठ बजे स्कूल पहुंच जाएं और शाम साढ़े पांच बजे तक स्कूल में रहें. शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी किया था. इस आदेश का लगातार विरोध हो रहा है. मंगलवार को बिहार विधानसभा में जब टाइमिंग का मसला उठा तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, स्कूल दस से चार बजे तक ही चलेंगे और शिक्षकों को पंद्रह मिनट पहले आना होगा.

मगर ऐसा माना जाता है कि केके पाठक मुख्यमंत्री के इस आदेश से नाखुश थे. जो वीडियो वायरल हुआ है, उसके मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि शाम को मीटिंग में उन्होंने अधिकारियों से कहा कि "@*# (गाली) शिक्षकों को पहले बुलाओ." 21 फरवरी, 2024 का भोजपुर जिला शिक्षा अधिकारी का एक लेटर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सुबह साढ़े आठ से नौ के बीच स्कूलों में जाकर निरीक्षण करने कहा है.

दरअसल विभाग चाहता है कि शिक्षक सुबह साढ़े आठ बजे सुबह स्कूल पहुंच जाएं और निरीक्षण करने वाले अधिकारी वहां सबके साथ ग्रुप सेल्फी लेकर अपलोड करें. ताकि शिक्षकों का सुबह साढ़े आठ बजे स्कूल पहुंचना सुनिश्चित हो सके.

मार्कंडेय पाठक कहते हैं, "अगर कोई शिक्षक सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक स्कूल में रहेगा तो उसका पारिवारिक जीवन खत्म ही हो जाएगा. इसलिए राज्य के शिक्षक इस फैसले से असहमत हैं. क्योंकि स्कूल जाने आने का एक घंटा समय जोड़ दिया जाए तो सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक वह इसी काम में जुटा रहेगा. वैसे भी नई शिक्षा नीति के मुताबिक जो समय पढ़ाई के लिए तय है, वह शिक्षक पूरा करते ही हैं."

मगर हर कोई शिक्षकों के इस तर्क से सहमत नहीं है. बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर बारीक नजर रखने वाले विशेषज्ञ लक्ष्मीकांत सजल कहते हैं, "अब तक सरकारी शिक्षा व्यवस्था में अधिकारी शिक्षकों की सहूलियत का ही ध्यान रखते आएं हैं. राज्य में छह लाख शिक्षक हैं, जबकि छात्र ढाई करोड़. बरसों बाद एक अधिकारी ढाई करोड़ छात्रों के हित की बात कर रहा है. पाठक अगर स्कूल का समय बढ़ाना चाहते हैं तो इसकी वजह है. वे चाहते हैं कि जब साढ़े तीन बजे स्कूल की घंटियां खत्म हो तो उसके बाद मिशन दक्ष के तहत राज्य के 25 लाख कमजोर छात्रों को शिक्षक पढ़ाएं. साथ ही नौवीं से बारहवीं के बीच के छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित हों. वे चाहते हैं कि शिक्षकों को इन छात्रों के लिए थोड़ी असुविधा उठानी चाहिए."

दरअसल स्कूल की टाइमिंग का यह मुद्दा लगातार विवादों में रहा है. पिछले दिनों केके पाठक अचानक लंबी छुट्टी पर चले गए थे, उसमें भी एक महत्वपूर्ण वजह स्कूल की टाइमिंग का ही मसला था. वे किसी भी सूरत में मिशन दक्ष अभियान और विशेष कक्षाओं को बंद नहीं कराना चाहते हैं.

मगर वे गाली-गलौज क्यों करते हैं. इस सवाल पर लक्ष्मीकांत सजल कहते हैं, "जो लोग पाठक जी को नजदीक से जानते हैं वे इस बात को समझते हैं कि इडियट, गधा और साला जैसे शब्द उनकी जुबान पर चढ़े हुए हैं. उन्हें जब गुस्सा आता है तो ऐसा शब्द उनके मुंह से निकलने लगते हैं."

वे कहते हैं, "दरअसल केके पाठक तेज गति से काम करने वाले अधिकारी हैं. आप उन्हें चलते हुए देखेंगे तो पाएंगे कि वे चल नहीं, दौड़ रहे हैं. सचिवालय पहुंच कर अपनी कार से पोर्टिको में उतरते हैं और तीन कदम में अपने केबिन में पहुंच जाते हैं. वे चाहते हैं कि उनके विभाग के लोग, अधिकारी और शिक्षक भी इसी तेजी से काम करें. रिजल्ट समय पर दें. इसकी धुन उन्हें हमेशा रहती है. ऐसे में जो आदमी उन्हें इस अभियान में बाधक लगता है, उसके खिलाफ वे उग्र हो जाते हैं और ऐसे शब्द उनके मुंह से निकलने लगते हैं."

खुद मुख्यमंत्री उनके इस स्वभाव से परिचित हैं, इसलिए उनकी इस तरह की टिप्पणियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती. बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार विधानसभा में खुद केके पाठक के पक्ष में खड़े हो गए और कहा, "जो अधिकारी इधर-उधर का धंधा नहीं सुनता, आप लोग उसके खिलाफ कार्रवाई की बात करते हैं. आप लोगों को पढ़ाई-लिखाई से कोई मतलब नहीं है." उनके एक करीबी अधिकारी कहते हैं, "दरअसल सारी दिक्कत इस बात को लेकर है कि व्यवस्था एक अरसे से रेस्ट में पड़ी है और पाठक जी एक्शन में हैं. इसी वजह से दुर्घटनाएं हो रही हैं."

Advertisement
Advertisement