
11 नवंबर को जारी हुए नौ एग्जिट पोल के मुताबिक BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के बिहार में फिर से सत्ता में आने का अनुमान है. पोल सर्वेक्षकों ने BJP को 2020 में मिली 125 सीटों की तुलना में और भी बड़े जनादेश की भविष्यवाणी की है.
इन्हीं एग्जिट पोल के मुताबिक RJD की अगुवाई वाला महागठबंधन तीन अंकों का आंकड़ा पार करता नहीं लगा रहा और उसके पाले में 90 सीटें आने का अनुमान है.
पोल ऑफ पोल्स यानी जो भी एग्जिट पोल आए हैं, उनके औसत के अनुसार, एनडीए 147 से ज़्यादा सीटें जीत सकता है, जो 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 122 सीटों के बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार कर जाएगा.
एग्जिट पोल मतदाताओं के रुझान का अनुमान पेश करते हैं, लेकिन पिछले चुनावों ने दिखाया है कि पोल सर्वेक्षक अक्सर गलत साबित होते हैं. इसलिए, इन आंकड़ों पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जाना चाहिए.
इंडिया टुडे समूह ने बिहार चुनाव के लिए कोई एग्जिट पोल नहीं किया है और यहां दिए गए आंकड़े अलग-अलग एजेंसियों की तरफ से आए सर्वे का संकलन.
दैनिक भास्कर एग्जिट पोल में एनडीए को 145 से 160 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जबकि मैट्रिज ने 147 से 167 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में जादुई संख्या 122 है.

हालांकि, नए चेहरे प्रशांत किशोर, पोल सर्वेक्षकों को प्रभावित करने में नाकाम रहे हैं. मैट्रिज ने जन सुराज पार्टी को 0 से 2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जबकि दैनिक भास्कर ने इसे 0 से 3 बताया है.
चाणक्य स्ट्रैटेजीज़, दैनिक भास्कर, जेवीसी, मैट्रिज़, पी-मार्क और पीपुल्स इनसाइट सहित सभी पोल सर्वेक्षकों ने प्रशांत किशोर की पार्टी के दहाई अंक को पार करने का अनुमान नहीं लगाया है.
जेवीसी के एग्जिट पोल के अनुसार, एनडीए को 135 से 150 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि पीपुल्स पल्स और पीपुल्स इनसाइट ने भविष्यवाणी की है कि बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन कम से कम 133 सीटें जीतेगा.
महागठबंधन दूसरे स्थान पर है, दैनिक भास्कर ने इंडिया ब्लॉक के लिए 73 से 91 सीटें, जेवीसी ने 88 से 103 और मैट्रिज़ ने 147 से 167 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है.
न्यूज़24 के एग्जिट पोल के अनुमानों के अनुसार, एनडीए बिहार में अगली सरकार बनाएगा, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन को 133 से 159 सीटें मिलने की उम्मीद है.
नतीजे चाहे जो भी हों, ये चुनाव बिहार के लिए एक युग का अंत साबित हो सकते हैं क्योंकि माना जा रहा है कि यह जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव होगा. वे 19 साल से ज़्यादा समय से मुख्यमंत्री हैं.
उनके RJD समकक्ष लालू प्रसाद यादव पहले ही अपनी पार्टी की कमान अपने बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को सौंप चुके हैं, जो विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

