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बिहार में कैसे एक बार फिर ताकतवर नेता बनकर उभरे नीतीश, किन 3 फैक्टर से NDA को मिली ऐतिहासिक बढ़त?

बिहार विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझान बताते हैं कि NDA को इस बार राज्य में ऐतिहासिक जीत मिलने जा रही है. नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मजबूत नेता बनकर उभरे हैं

नीतश कुमार (फाइल फोटो)
नीतश कुमार (फाइल फोटो)
अपडेटेड 14 नवंबर , 2025

बिहार चुनाव परिणाम 2025 के ताजा रुझानों में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA को ऐतिहासिक जीत मिलती दिख रही है. नीतीश कुमार की JDU शुरुआती रुझानों में 80 सीटों पर आगे चल रही है.

2020 विधानसभा चुनाव में JDU को 43 सीटों पर जीत मिली थी. इस हिसाब से देखें तो इस बार JDU को 37 नई सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है. जबकि BJP को पिछली बार की तुलना में महज 19 नई सीटों पर बढ़त मिल रही है.

BJP इस बार 92 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि पिछली बार BJP ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसका मतलब साफ है कि इस बार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को सबसे ज्यादा फायदा मिला है. नीतीश एक बार फिर राज्य के सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं. 3 मजबूत फैक्टरों को NDA की ऐतिहासिक जीत की मुख्य वजह माना जा रहा है-

पहला फैक्टर- महागठबंधन में फूट: इस चुनाव में NDA के बढ़त की बड़ी वजह महागठबंधन में नेतृत्व का अस्थिर ढांचा रहा है. चुनाव के शुरुआती दौर में राजद और कांग्रेस के बीच नेतृत्व व समन्वय और चेहरे को लेकर जो विवाद हुए, उसे जनता और मतदाताओं ने भी महसूस किया.

चुनाव के पहले जब राजनीतिक दलों को सीटों के तालमेल से लेकर प्रचार की रणनीति तक पर काम करते हैं, उस वक्त महागठबंधन के तमाम सहयोगी दल सीटों की खींचतान, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के फेस जैसे मामलों को लेकर आपस में उलझे रहे. कई सीटों पर कांग्रेस और RJD दोनों के उम्मीदवार थे. इससे जनता के बीच महागठबंधन की इमेज खराब हुई.

दूसरा फैक्टर- लोगों के मुद्दों के बजाय SIR और वोट चोरी में फंसे रही RJD-कांग्रेस: महागठबंधन चुनावी एजेंडा तय करने में पूरी तरह असफल रहा. RJD और कांग्रेस के बड़े नेता SIR और वोट चोरी के मुद्दे को उठा रहे थे, जबकि बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा मजबूती से उठाना चाहिए था. 

हालांकि, बाद में विपक्ष की ओर से रोजगार, महंगाई, शिक्षा और कृषि जैसे बड़े मुद्दे जरूर उठाए गए, लेकिन जो नैरेटिव बनना चाहिए था, वह नहीं बन पाया. इसके उलट NDA ने विकास, कानून-व्यवस्था और स्थिर सरकार के माडल को आक्रामक तरीके से जनता तक पहुंचाया. 

तीसरा फैक्टर- जातिगत अंकगणित और महिलाएं: चिराग पासवान की LJP (रामविलास) और उपेंद्र कुशवाहा की RLM को साथ लेकर NDA ने जातिगत गणित में बढ़त बना ली. इस तरह दलित, कुशवाहा, वैश्य, सवर्ण के अलावा NDA को लगभग सभी समुदायों का वोट हासिल हुआ.

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने लालू यादव की राजनीति को मात दिलाने के लिए यादव, मुस्लिम, मल्लाह समीकरण के जवाब में अति पिछड़ा वर्ग, महादलित और गैर-यादव OBC वोट को एकजुट करने का प्रयास किया. इसके अलावा, जीविका के सहारे नीतीश ने हर समुदाय की महिला वोटरों में घुसपैठ किया है.

महिलाओं के वोट ने इस चुनाव में अहम भूमिका निभाई है. नीतीश कुमार ने बड़ी चालाकी से महिलाओं का वोट हासिल करने का प्रयास किया है. जीविका समूहों के माध्यम से राज्य की करोड़ों महिलाओं के खाते में 10 हजार भेजकर नीतीश ने बाजी पूरी तरह से पलट दिया था.

इसके पहले भी महिलाओं के लिए नीतीश ने कई बड़े फैसले लिए. शराबबंदी और सरकारी नौकरी में 33 प्रतिशत आरक्षण इसका उदाहरण है. लड़कियों को साइकिल से लेकर बैचलर की पढ़ाई करने पर स्कॉलरशिप देकर नीतीश ने महिलाओं को अपने पक्ष में कर लिया है. यही उनकी जीत की असल वजह भी बताई जा रही है.

कमाल की सोशल इंजीनियरिंग के दम पर नीतीश बने सबसे ताकतवर नेता

तमाम फैक्टर के अलावा इस चुनाव में नीतीश कुमार के जीतने की एक बड़ी वजह उनकी सोशल इंजनीयरिंग है. बिहार के अनुभवी और लोकप्रिय नेता नीतीश कुमार NDA की दीर्घकालिक राजनीतिक पूंजी हैं. उन्हें बिहार की राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग का मास्टर समझा जाता है.

महज 3 फीसद जाति वाले कुर्मी समाज से आने वाले नीतीश कुमार अपने सोशल इंजीनियरिंग के कारण ही 31 फीसद वोट बैंक (मुस्लिम और यादव समुदाय का वोटबैंक) वाले RJD को मात दे पाते हैं.

हालांकि, इस चुनाव में इस बात की परीक्षा भी थी कि क्या वह अपने गठबंधन के भीतर सबसे ताकतवर नेता हैं या नहीं? एक बार फिर नीतीश ने साबित किया है कि वह गठबंधन में सबसे बड़े और प्रधान नेता हैं.

महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर उन्होंने हर समुदाय की महिलाओं का अटूट समर्थन हासिल किया. यह नीतीश कुमार की पार्टी और NDA के लिए बोनस की तरह है.

यही वजह है कि कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों न हों, नीतीश कुमार ने हमेशा सत्ता की चाबी अपने हाथ में रखी. इस बार फिर JDU ने शानदार प्रदर्शन दोहराकर NDA गठबंधन में नीतीश कुमार के मजबूत नेतृत्व पर मुहर लगा दी है.

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