
इस चुनावी साल में 3 मार्च को नीतीश सरकार की तरफ से वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बजट पेश किया. इस बजट में सबसे ज्यादा फोकस महिला केंद्रित योजनाओं पर रहा. बजट भाषण में की गई कुल 52 घोषणाओं में से 12 महिला केंद्रित थीं. इसके बाद सात-सात योजनाएं कृषि और शिक्षा से संबंधित थीं और छह उद्योग से जुड़ी हुई थीं. इनके अलावा कई प्रोत्साहन नीतियों की घोषणाएं भी की गईं, सेहत और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी कई प्रस्ताव रखे गए.
नीतीश सरकार लगातार महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती रही हैं, उसकी छाप इस बजट में भी नजर आई. महिलाओं के लिए हॉस्टल और व्यायामशाला की घोषणा की गई. उनके लिए बाजारों में अलग वेंडिंग जोन बनाने की बात कही गई. उनके लिए महिला चालित पिंक बस, परिचालन के लिए ई-रिक्शा और वाहन प्रशिक्षण केंद्र खोलने की बात बजट में कही गई. महिला पुलिसकर्मियों के लिए पुलिस थानों के पास आवास उपलब्ध कराने की बात कही गई.
राज्य के सभी शहरों में पिंक टॉयलेट खोलने का प्रस्ताव रखा गया. इसके अलावा गरीब कन्याओं के विवाह के लिए कन्या विवाह मंडप की भी घोषणा की गई.
बिहार की अर्थव्यवस्था पर पुस्तक लिखने वालीं और तलाश पत्रिका की संपादक मीरा दत्ता कहती हैं, "ये ऐसी योजनाएं हैं जो कभी ठीक से लागू नहीं होतीं और इनसे बड़े बदलाव नहीं आते. बिहार में महिलाएं सबसे अधिक खेती के रोजगार से जुड़ी हैं इसलिए जब तक खेती की व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं होंगे, महिलाओं की स्थिति नहीं सुधरेगी. इसके अलावा हम उम्मीद कर रहे थे कि बिहार सरकार स्कीम कामगारों का मानदेय बढ़ाएगी, राज्य में स्कीम वर्कर्स लगातार आंदोलन कर रही हैं. मगर बजट में इन पर कोई बात नहीं हुई. इसलिए इन तमाम योजनाओं से मुझे किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं."
महिलाओं के बाद इस बजट में सबसे अधिक फोकस किसानों पर रहा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद एक कृषक जाति से आते हैं और तीन कृषक जातियां कुर्मी, कुशवाहा और धानुक उन्हें समर्थन देती रही हैं, ये जदयू का कोर वोट बैंक मानी जाती हैं. इस लिहाज से कृषि पर बजट का फोकस चुनावी साल के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
बजट की पहली ही घोषणा बिहार में उपेक्षित कृषि बाजार समिति के पुनरुद्धार की है. यही वजह है कि 21 बाजार समितियों के आधुनिकीकरण के लिए 1289 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि नीतीश सरकार ने सरकारी खरीद के लिए पैक्स का गठन किया था, जिसके बाद ये बाजार समितियां प्रभावहीन हो गई थीं. किसान आंदोलन के वक्त भी इन बाजार समितियों के निष्क्रिय होने पर सवाल उठे थे. अब सरकार क्रमवार तरीके से इन सभी समितियों को सक्रिय करेगी.

इसके अलावा सरकार दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर उसकी सरकारी खरीद, सब्जियों की बिक्री के लिए तरकारी सुधा केंद्र, गुड़ के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की घोषणा की गई. साथ ही सिंचाई के लिए कई योजनाओं की घोषणा की गई.
इन प्रस्तावों पर बातचीत करते हुए किसानों के मसले पर सक्रिय इश्तियाक अहमद कहते हैं, "सारी योजनाएं किसानों के हित में हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि नीतीश सरकार ने एपीएमसी एक्ट को लेकर अपना हठ छोड़ा है. एक बात यह जरूर खटक रही है कि जैविक उत्पादों की बिक्री के अलग प्रावधान की बात नहीं की गई है, साथ ही गुड़ के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस खोलते वक्त यह ध्यान देने की जरूरत है कि इनकी कानूनी बाधाओं को भी दूर किया जाए."
उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों की पेंशन राशि में बढ़ोतरी करेगी जो अभी काफी कम है. बजट से एक दिन पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी यह मांग की थी. सरकार ने वह तो नहीं किया मगर छात्रों के लिए स्कॉलरशिप राशि को जरूर दुगुना कर दिया. इससे सबसे अधिक लाभ अनुसूचित जाति के छात्रों को होगा, जिनकी प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति, छात्रावास अनुदान आदि की राशि दोगुनी हो गई. इसके अलावा उनके लिए 14 नए आवासीय विद्यालयों को खोलने की भी घोषणा की गई है. माना जा रहा है कि ये योजनाएं दलित युवकों को लुभा सकती हैं.
नीतीश सरकार पहले भी दलित युवाओं के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलाती रही हैं. इनमें विकास मित्र और टोला सेवकों की बहाली प्रमुख है. इन्हें अच्छा मानदेय मिलता है. महिलाओं, किसानों और दलितों को आकर्षित करने के अलावा सरकार ने बजट में स्वास्थ्य, उद्योग और विभिन्न प्रोत्साहन नीतियों का भी बजट में प्रस्ताव किया है.
बेगूसराय में कैंसर अस्पताल के साथ एक बिहार कैंसर केयर सोसायटी की घोषणा भी गई है. शहरी क्षेत्रों में 108 नए चिकित्सा केंद्र, बड़े अनुमंडलों में अतिरिक्त रेफरल अस्पताल आदि घोषणाएं हैं. साथ ही मेडिकल शिक्षा में निजी कॉलेजों को बढ़ावा देने की बात कही गई है. इसके साथ फार्मा और चिकित्सा उपकरण निर्माण केंद्र खोले जाने का भी प्रस्ताव रखा गया है.
बजट में कई नीतियों की भी घोषणाएं हैं, जैसे बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, बिहार बायो फ्यूल उत्पादन प्रोत्साहन नीति, बिहार खाद्य प्रसंस्करण नीति, बिहार फार्मा प्रमोशन पॉलिसी, बिहार प्लास्टिक निर्माण प्रोत्साहन नीति.
इसके अलावा 2027 तक राज्य के किसी कोने से चार घंटे में राजधानी पटना पहुंचने के वादे को नए तरीके से पेश किया गया है. पूर्णिया में तीन महीने में एयरपोर्ट के साथ कई नए एयरपोर्ट की शुरुआत का भी वादा है.
बिहार के बजट पर प्रतिक्रिया जाहिर करने हुए ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डी एम दिवाकर कहते हैं, चुनावी साल के हिसाब से यह चुनावी बजट जैसा है. घोषणाएं काफी लुभावनी है. मगर सवाल यह है कि क्या मार्केटिंग को बढ़ावा देने से किसानों की आय बढ़ जाएगी? क्या महिलाओं के लिए कॉस्मेटिक योजनाओं के जरिए उनकी स्थिति सुधर जाएगी? बजट में ठोस योजनाओं का अभाव दिखता है. साथ ही शिक्षा के निजीकरण की कोशिश भी.