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क्या बिहार में तीसरी ताकत बनकर उभर सकते हैं प्रशांत किशोर?

प्रशांत किशोर ने अपनी कोर टीम को जातिगत गणित के हिसाब से इस साल के बड़े चुनावी मुकाबले के लिए तैयार किया है

प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
अपडेटेड 5 जून , 2025

बिहार में प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी को नए सिरे से जिस तरह तैयार किया है, उसकी उम्मीद मुख्यधारा की किसी पार्टी को नहीं थी.

अक्टूबर 2024 में जन सुराज पार्टी बनाने से प्रशांत किशोर को काफी मेहनत करनी पड़ी थी. उन्होंने पार्टी बनाने से पहले बिहार में लगभग 5,000 किलोमीटर की यात्रा की.

अब इसी साल होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी इस कड़ी मेहनत का नतीजा देखने को मिलेगा. पीके नाम से भी पहचाने वाले प्रशांत किशोर ने विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर ली है.

वे अक्टूबर-नवंबर से पहले अपनी 'बिहार बदलाव यात्रा' के साथ सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने की योजना बना रहे हैं.

18 मई को चिलचिलाती धूप में प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याणबीघा पहुंचे. जब प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने एसडीएम और अधिकारियों पर भड़कते हुए कहा, “यहां कोई ब्रिटिश राज है जो किसी गांव में जाने के लिए आपकी अनुमति चाहिए.?”

पीके का कारवां नीतीश के तीन वादों को उनके ही गांव में परखने के लिए निकला था. उन्होंने गांव पहुंचकर पूछा, “क्या बिहार के जाति सर्वेक्षण में पहचाने गए 94 लाख कम आय वाले परिवारों में से हरेक को वास्तव में 2 लाख रुपये दिए गए थे? क्या महादलितों को जमीन आवंटित की गई थी? क्या भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया गया है और उन्हें भ्रष्ट स्थानीय बाबुओं से मुक्त किया गया है?”

हालांकि, नालंदा दौरा के बाद प्रशांत किशोर वापस पटना लौट गए. इसके दो दिन बाद 20 मई को बिहारशरीफ में उन्होंने एक रैली की, जहां औपचारिक रूप से अपनी बिहार यात्रा 2.0 की शुरुआत की.
प्रशांत किशोर की यात्रा में एक बात जो देखने को मिलती है, वो ये है कि वे हर रैली में लोगों से पूछते हैं, "आप जाति के आधार पर वोट करते हैं या 5 किलो अनाज के लिए. आखिरी बार आपने अपने बच्चों के भविष्य के बारे में कब सोचा था?”

इसके साथ ही वे कहते हैं कि लालू यादव अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की योजना बना रहे हैं, आपको क्या मिला? बिहार के ग्रामीण जब प्रशांत किशोर बोल रहे होते हैं तो मौन होकर उन्हें सुनते हैं.

प्रशांत की शब्दावली जाति-विरोधी राजनीति के वादे से भरी हुई है, लेकिन जैसे-जैसे पीके चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हो रहे हैं, वे शतरंज की तरह नई-नई चालें चल रहे हैं. इससे जाहिर होता है कि आगामी चुनाव में जाति आधारित टिकट बंटवारे को लेकर सभी तरह के संभावनाओं पर उनकी गहरी नजर है.

18 मई को प्रशांत किशोर ने रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ 'आरसीपी' सिंह की ‘आप सबकी आवाज पार्टी’ का जन सुराज में विलय करवा दिया. आरसीपी सिंह एक पूर्व नौकरशाह और नीतीश के पसंदीदा नेता हैं. नीतीश के करीब आने के बाद वे जनता दल यूनाइटेड या जेडी(यू) में कई अहम पदों पर रहे. उन्हें जेडी(यू) की ओर से राज्यसभा सांसद, केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे बड़े ओहदे मिले.  

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे नीतीश की तरह कुर्मी जाति से आते हैं और नालंदा से ही हैं. जन सुराज पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र दावा करते हैं, ''आरसीपी के पार्टी में आने से बिहार का एक बड़ा तबका पार्टी से जुड़ेगा.”

इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने पूर्व सांसद उदय सिंह की भी जनसुराज पार्टी में एंट्री कराई और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. उदय सिंह पूर्व नौकरशाह एन.के. सिंह के छोटे भाई और साधन संपन्न परिवार से आते हैं. वे पूर्णिया से दो बार भाजपा के सांसद रहे और बाद में कांग्रेस से जुड़ गए. हालांकि, कांग्रेस में मतभेद बढ़ने के बाद उदय सिंह जन सुराज पार्टी से जुड़ गए थे. अब पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर बड़ा तोहफा दिया है.

प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी में आईआईटी से पढ़ाई कर आई.एफ.एस. अधिकारी बने मनोज भारती को भी अहम पद दिए हैं. वे इस वक्त पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हैं.  दलित समुदाय से आने वाले मनोज भारती को यह बड़ा पद ऑफर कर प्रशांत किशोर ने दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.  

प्रशांत किशोर लगातार चार दशक से चली आ रही राजद-जेडी(यू) की जोड़ी पर कड़ा प्रहार करना चाहते हैं. 2020 में बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 40 पर जीत का अंतर 3,500 वोटों से कम था. नवंबर 2024 में जनसुराज पार्टी ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और दो सीटों पर तीसरे स्थान पर रही.

इमामगंज विधानसभा सीट पर प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार को 37,103 वोट मिले, जिसने राजद की हार सुनिश्चित की. उपचुनाव में जेएसपी को कुल मिलाकर लगभग 10 फीसद वोट मिले. ऐसे में अगर अगले विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी तीसरी ताकत बनकर उभरे तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.

अब जब प्रशांत किशोर बिहार में धान के खेतों से लेकर धूल भरी गलियों तक, तंग झोपड़ियों से लेकर चहल-पहल वाली चौपालों तक जाकर अपनी बात रख रहे हैं तो सत्ता में बैठी पार्टी के लिए बेचैन होना लाजमी है. अब देखने वाली बात यह है कि विधानसभा चुनाव 2025 में इसका क्या और कितना असर होगा.

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