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बीएचयू कैंपस लड़कियों के लिए असुरक्षित क्यों हो गया है?

इस साल जनवरी से अब तक वाराणसी के बीएचयू कैंपस में लड़कियों से छेड़खानी के पांच मामले सामने आ चुके हैं

बीएचयू
बीएचयू
अपडेटेड 3 नवंबर , 2023

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में दो नवंबर की तड़के सुबह छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया जब यह बात फैली की एक छात्रा का यौन शोषण हुआ है. आईआईटी-बीएचयू की इस छात्रा ने अपनी शिकायत में जानकारी दी है कि मोटरसाइकिल पर घात लगाकर बैठे तीन अज्ञात लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में उसके साथ छेड़छाड़ की है.

छात्रा का आरोप है कि बदमाशों ने उसे जबरन चूमा और उसे निर्वस्त्र कर वीडियो रिकॉर्ड किया.यह घटना एक नवंबर की देर रात की है. इसकी जानकारी मिलने के बाद सैकड़ों छात्र परिसर में बेहतर सुरक्षा की मांग को लेकर संस्थान निदेशक के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करने जुट गए.

रात को ही संस्थान द्वारा छात्रों को सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का आश्वासन देने के बाद विरोध प्रदर्शन बंद हुआ. छात्रा की शिकायत पर  वाराणसी के लंका पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-बी (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का उपयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.

विरोध प्रदर्शन करते छात्र-छात्रा
विरोध प्रदर्शन करते छात्र-छात्रा

वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन ने बताया कि घटना के बाद लंका पुलिस स्टेशन के एसएचओ अश्विनी पांडे को पुलिस लाइन से अटैच कर दिया गया है और पुलिस की कई टीमें मामले पर काम कर रही हैं. यूपी के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया, "जांच जारी है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संस्थान परिसर में पुलिस बल तैनात किया गया है."

बीएचयू परिसर में छात्रा के साथ छेड़खानी का यह पहला मामला नहीं है. साल 2017 में भी एक छात्रा के साथ इसी तरह छेड़छाड़ की घटना हुई थी जिससे पूरा देश हिल गया था. इसके बावजूद अभी भी बीएचयू परिसर में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं.  इस वर्ष छेड़खानी में पांच मामले सामने आ चुके हैं. आइआइटी-बीएचयू की दो शोध छात्राओं के साथ बीते 16 अक्टूबर की देर रात भी उनके हॉस्टल के पास छेड़खानी हुई थी. इस मामले में चार बाहरी छात्र गिरफ्तार हुए थे. इससे पहले जनवरी और फरवरी में भी आइआइटी समेत बीएचयू की चार छात्राओं से परिसर में छेड़खानी हुई थी. इनमें से एक छात्रा दृष्टिबाधित थी. 

छेड़खानी के मामले लगातार आने से बीएयचू परिसर की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बीएचयू इकाई के परिसर सचिव पुनित मिश्रा कहते हैं, "विश्वविद्यालय परिसर में कमजोर सुरक्षा व्यवस्था ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है."

बीएचयू और आईआईटी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था 1056 पूर्व सैनिकों के हाथों में है. इनमें से 856 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बीएचयू और बाकी की आईआईटी में है. बीएचयू में सुरक्षा से जुड़े एक पूर्व अधि‍कारी बताते हैं, “परिसर में दोनों संस्थानों की व्यवस्थाएं अलग-अलग संचालित हो रही हैं. सुरक्षा के महत्वपूर्ण मसले पर दोनों संस्थानों के बीच कोई तालमेल नहीं है. इस कारण छात्राओं के साथ छेड़खानी के अलावा अन्य घटनाओं को रोकने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है.” 

सि‍र्फ आईआईटी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में 12 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो रहे हैं. बीएचयू परिसर में भी सुरक्षा के लिए पर्याप्त बजट होने के बावजूद कोई इंतजाम नहीं है. बीएचयू परिसर में सुरक्षा व्यवस्था की कलई छात्रा के साथ हुई घटना से खुल गई है. छात्रा ने पुलिस को छेड़खानी करने वाले तीनों युवकों का हुलिया बताया है. घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे खराब होने के कारण पुलिस को आरोपियों की पहचान करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मौजूद बीएचयू जैसे विश्वप्रसिद्ध संस्थान में हुई घटना ने विपक्ष को मुद्दा थमा दिया है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस घटना की निंदा करते हुए राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना की है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, “…एक छात्रा को निर्वस्त्र करने, उसके साथ दुर्व्यवहार करने और उसका वीडियो बनाने की घटना यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर एक तमाचा है. यह अपराध के प्रति भाजपा की जीरो टॉलरेंस नीति के दावे की पोल खोलता है. यूपी की महिलाओं का भाजपा सरकार से भरोसा उठ गया है. अब, इस सरकार से कोई भी उम्मीद बेमानी है.'' कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने ‘एक्स’ पर लिखा है, “…क्या बीएचयू और आईआईटी जैसे प्रमुख परिसर सुरक्षित नहीं हैं? क्या प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में एक छात्रा के लिए अपने ही शैक्षणिक संस्थान में निडर होकर घूमना अब संभव नहीं है? शर्मनाक.”

निदेशक कार्यालय पर धरने पर बैठे छात्रों ने कैंपस में प्रवेश वाली जगहों पर बैरिकेडिंग करने और बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की मांग रखी है. साथ ही यह भी कहा है कि एकल प्रवेश और निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए. छात्रों ने कैंपस के भीतर केंद्रीयकृत सीसी कैमरा सिस्टम लगवाने की मांग की है. सीसीटीवी कैमरों की संख्या के साथ ही इससे जुड़े संसाधन भी बढ़वाने की मांग रखी गई. 

इन मांगों के बीच बीएचयू की सुरक्षा व्यस्था के लिए दरअसल कई चुनौतियां हैं. परिसर में प्रवेश के कई रास्ते हैं जिनसे बाहरी लोगों का दखल परिसर के भीतर बना रहता है. बीएचयू के एक अधिकारी के मुताबिक परिसर में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकना संभव नहीं है. ये अधिकारी बताते हैं, “एक तो यह है कि सर सुंदर लाल अस्पताल बीएचयू (मुख्य) परिसर में है. इस अस्पताल में पूरे पूर्वी यूपी से लोग इलाज के लिए आते हैं. फिर, नया विश्वनाथ मंदिर है जो परिसर के भीतर पड़ता है. यहां पर्यटक, विशेषकर भारत के दक्षिणी भागों से, आते हैं. फिर, बीएचयू की कई इमारतें हैं जो आईआईटी परिसर के अंतर्गत आती हैं और इसके उलट भी व्यवस्था है. उदाहरण के लिए, आईआईटी-बीएचयू के दो विभाग - खनन और धातुकर्म - मुख्य बीएचयू परिसर में आते हैं, जबकि बीएचयू का कृषि विज्ञान विभाग आईआईटी-बीएचयू परिसर के अंतर्गत है.”

बीएचयू प्रशासन ने 2 नवंबर की रात छात्रों को एक बयान जारी कर कहा है - ... आयुक्त, वाराणसी मंडल ने सूचित किया है कि उन्होंने संस्थान के लिए एक चारदीवारी के निर्माण के बारे में शिक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा की है. सीपीडब्ल्यूडी और आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसरों की एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा और उसे चारदीवारी के निर्माण के लिए संस्थान परिसर का सर्वेक्षण करने का काम सौंपा जाएगा... समिति एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और उसके बाद आयुक्त वाराणसी को इसे उचित मंजूरी और फंडिंग के लिए अग्रेषित करेगी.” 

वाराणसी मंडल के आयुक्त कौशल राज शर्मा ने गर्ल्स हॉस्टल सहित संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे जल्द से जल्द लगवाने के आदेश भी दिए हैं. बीएचयू प्रशासन ने एक ग्रीन कॉरिडोर बनाने की योजना को मंजूरी दी है जहां आईआईटी छात्र घूमते हैं. यहां बैरिकेडिंग की जाएगी और आईडी कार्ड की जांच करके प्रवेश दिया जाएगा. 

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