सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को उत्तर प्रदेश सरकार को मथुरा-वृंदावन कॉरिडोर विकास के लिए मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि अधिग्रहण करने के लिए वृंदावन में बांके बिहारी जी ट्रस्ट के फंड का उपयोग करने की अनुमति दे दी. इसके साथ शर्त यह लगाई है कि अधिग्रहित भूमि देवता के नाम पर पंजीकृत होगी.
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मथुरा के सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) को एक रिसीवर नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जिसके पास पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव, ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक पृष्ठभूमि हो और वह वैष्णव संप्रदाय से संबंधित हो.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, “उत्तर प्रदेश राज्य ने बांके बिहारी कॉरिडोर विकसित करने के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वहन करने की सहमति दी है. हालांकि, वे संबंधित भूमि खरीदने के लिए मंदिर के धन का उपयोग करने का प्रस्ताव रखते हैं, जिसे उच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था. हम उत्तर प्रदेश राज्य को इस योजना को पूरी तरह से लागू करने की अनुमति देते हैं. बांके बिहारी जी ट्रस्ट के पास देवता/मंदिर के नाम पर सावधि जमा है. इस न्यायालय की सुविचारित राय में, राज्य सरकार को प्रस्तावित भूमि का अधिग्रहण करने के लिए सावधि जमा में पड़ी राशि का उपयोग करने की अनुमति है.” हालांकि, मंदिर और कॉरिडोर के विकास के लिए अधिग्रहीत भूमि देवता/ट्रस्ट के नाम पर होगी.
वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर, जिसका निर्माण 1864 में हुआ था, ब्रज क्षेत्र के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है. 162 साल पुराना यह मंदिर 1,200 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है. मंदिर में औसतन प्रतिदिन लगभग 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं. वीकेंड और कुछ छुट्टियों के दौरान, यह संख्या प्रतिदिन 1.5 लाख-2.5 लाख से अधिक हो जाती है. जन्माष्टमी जैसे त्योहार और शुभ दिनों के दौरान भक्तों की संख्या 5 लाख को पार कर जाती है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर के आसपास लगभग पांच एकड़ भूमि खरीदकर मंदिर क्षेत्र को गलियारे के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की और कोर्ट में प्रस्तुत की. अदालत ने कहा, "राज्य द्वारा गठित ट्रस्ट पहले से ही मथुरा-वृंदावन कॉरिडोर के विकास के लिए बहुत बढ़िया काम कर रहा है और उत्तर प्रदेश विधानमंडल द्वारा अधिनियमित अधिनियम, यानी यूपी ब्रज योजना और विकास बोर्ड अधिनियम, 2015 दोनों शहरों के विकास के लिए प्रावधान करता है. मथुरा और वृंदावन का विकास सरकार, ट्रस्ट, मथुरा और वृंदावन के लोगों और अन्य एजेंसियों द्वारा सामूहिक प्रयास से किया जाना चाहिए ताकि इन पवित्र स्थलों पर आने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक यात्रा सुनिश्चित की जा सके."
2022 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वृंदावन के श्रीबांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के दौरान भगदड़ में दो की मौत के बाद कॉरीडोर की नींव रखी गई थी. ताकि भविष्य में ऐसा हादसा न हो सके. हादसे की जांच के लिए योगी सरकार ने आईएएस अधिकारी गौरव दयाल और पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में हादसे की वजह भीड़ का दबीव और वर्तमान परिसर में क्षमता से अधिक श्रद्धालु मौजूद होना पाया गया था.
इस पर कमेटी ने कॉरिडोर बनाने की सिफारिश करते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. राज्य सरकार ने गौरव दयाल कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार किया था. इसके बाद वृंदावन में कॉरिडोर निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था. हालांकि स्थानीय लोगों ने सरकार पर वृंदावन के मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था और कुछ लोग इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए थे. हाइकोर्ट ने नवंबर 2023 में कहा था कॉरिडोर तो बनाया जाना चाहिए लेकिन इसमें मंदिर के फंड का उपयोग ना किया जाए. राज्य सरकार इसका खर्च अपने स्तर पर उठाए. इसपर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया.
मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण का रास्ता साफ करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय आया है जब ब्रज इलाके में ठाकुर बनाम जाटव की जंग ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा रखी है. मथुरा से सटे आगरा जिले के रहने वाले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के जरिए समाजवादी पार्टी (सपा) दलित-जाटव वोटों की लामबंदी की आक्रामक कोशिश कर रही है. बजट सत्र के दौरान सुमन ने राज्यसभा में बोलते हुए आरोप लगाया था कि मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने लोधी शासन को खत्म करने के लिए मुगल वंश के संस्थापक बाबर को न्यौता दिया था, जिसके कारण करणी सेना ने विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद सपा के आक्रामक रवैये से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ब्रज इलाके में बैकफुट पर थी. अब मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण का रास्ता साफ होने से पार्टी अपने हिंदुत्व के एजेंडे को जमकर धार देगी.
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के ब्रज इलाके में बीजेपी को झटका लगा था. फिरोजाबाद और एटा लोकसभा सीटें उसके हाथ से फिसल गई थीं. एटा से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह तो फिरोजाबाद से बीजेपी के विश्वदीप सिंह चुनाव हार गए थे. आगरा सीट पर प्रो.एसपी सिंह बघेल चुनाव जीते, फतेहपुर सीकरी सीट पर पिछले चुनाव में रिकॉर्ड जीत हासिल करने वाले राजकुमार चाहर बमुश्किल सीट बचा पाए, वहीं कान्हा की नगरी मथुरा में हेमामालिनी ने जीत के साथ हैट्रिक लगाई.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी चिंता जाहिर की थी. लोकसभा चुनाव के बाद संघ की बैठक में यह बात रखी गई थी कि बीजेपी अपने मूल हिंदुत्व के एजेंडे से दूर खिसकी, इसलिए लोकसभा चुनाव में उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं आया. खास तौर से यूपी में झटका लगा. ऐसे में यही तय हुआ था कि पार्टी हिंदुत्व के अपने एजेंडे पर बरकरार रहेगी और मथुरा में बांके बिहारी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि दोनों ही मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट रखेगी. संघ ने यूपी में योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताया था.
इसके बाद यूपी में बीजेपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहारे हिंदुत्व के एजेंडे को आक्रामक ढंग से बढ़ा रही है. पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के बाद 25 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव का उद्घाटन करने मथुरा पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना किसी पूर्व सूचना के बांके बिहारी मंदिर में माथा टेका था. मथुरा में राधारानी मंदिर के लिए रोपवे व अन्य विकास योजनाओं की शुरुआत कर योगी ने अपने एजेंडे को स्पष्ट कर दिया था. आगरा के आंबेडकर विश्वविद्यालय में डीन और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. लवकुश पांडेय बताते है, “अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद मथुरा बीजेपी की राजनीति के केंद्र बिंदु में है. मुख्यमंत्री योगी स्वयं कई बार कृष्ण जन्मस्थान पर भव्य मंदिर बनने की बात कह चुके हैं. अब बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता साफ होने से भी यहां विकास के साथ हिंदुत्व की रणनीति को एक नई दिशा मिलेगी.”
भगवा खेमे के लिए मथुरा कितना महत्वपूर्ण हो गया है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष अक्तूबर में मथुरा के परखम में आरएसएस की दस दिवसीय बैठक में संघ के सभी आला पदाधिकारियों ने भाग लिया था. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी इस बैठक में मौजूद थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा आकर संघ प्रमुख से लंबी वार्ता की थी. इसके बाद वे बेहद उत्साहित अंदाज में यहां से रवाना हुए थे.
यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में होना है. संघ की बैठक में मिशन-2027 पर मंथन अहम बिंदु रहा था. दरअसल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद अब संघ और बीजेपी दोनों के ही एजेंडे में मथुरा है. बांके बिहारी कॉरिडोर पर अब रास्ता साफ होने से बीजेपी नेता उत्साहित है. इन दिनों ब्रज में इन दिनो लगाए जा रहे नारे से भी स्पष्ट है--- “आ गए हैं अवध बिहारी, अब आएंगे कृष्ण मुरारी.”