जून की पहली तारीख को गृहमंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर थे. यहां उन्होंने साधु-संतों और भिक्षुओं के साथ बंद कमरे में बातचीत की. इस बातचीत में अमित शाह ने कहा, “पश्चिम बंगाल पर शासन करने की बीजेपी की महत्वाकांक्षा राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित नहीं है, बल्कि एक बड़ी अनिवार्यता है. हमें राष्ट्रीय सुरक्षा को चाक-चौबंद करना ही होगा.”
शाह ने यह टिप्पणी एक निजी बैठक में की, जिसमें विभिन्न संप्रदायों के लगभग 150 साधु-संतों ने भाग लिया था. गृहमंत्री की यह टिप्पणी अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव से पहले बीजेपी की तैयारी की ओर इशारा करता है.
31 मई को दो दिवसीय दौरे पर अमित शाह पश्चिम बंगाल पहुंचे थे. इन दो दिनों में उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, जिनमें कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक सभा भी शामिल थी.
भिक्षुओं के साथ बातचीत स्वामी विवेकानंद के पैतृक निवास पर हुई, जिसे अब रामकृष्ण मिशन द्वारा संचालित किया जाता है. मुख्य रूप से विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित यह बैठक राजनीतिक हो गई.
बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, हालांकि शाह ने कई बार दोहराया कि उनका संबोधन राजनीतिक प्रकृति का नहीं है. उन्होंने वहां मौजूद साधुओं को समाज का नैतिक और आध्यात्मिक पथप्रदर्शक यानी रास्ता दिखाने वाला बताया.
साथ ही शाह ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय एकीकरण का मार्ग जितना राजनीतिक है, उतना ही आध्यात्मिक भी है. शाह ने कथित तौर पर कहा, "विविध पूजा पद्धतियों के बावजूद, सभी धर्मों के मार्ग अंततः भारत को मजबूत बनाने की ओर ले जाने के लिए होना चाहिए."
शाह की टिप्पणियों में सबसे महत्वपूर्ण बात थी 'राष्ट्र चिंता' पर जोर देना. अमित शाह ने अपने भाषण में कहा, “राष्ट्र के लिए चिंता का स्वभाव हम सभी भारतीयों के जनमानस में समाया हुआ है, लेकिन पड़ोसी देशों में इसकी कमी की वजह से वहां आंतरिक अव्यवस्था की स्थिति पैदा हुई है.”
हालांकि, ऐसा बोलते वक्त शाह ने किसी देश का नाम लेने से परहेज किया, लेकिन वहां मौजूद कई लोगों ने इसे बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल से जोड़कर देखा. दरअसल, इसकी शुरुआत पिछले वर्ष अगस्त में एक जन आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार को हटाए जाने से हुई थी.
बीजेपी और उससे जुड़े संगठन लंबे समय से बंगाल की खुली सीमा से होकर आने वाले अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा उठाते रहे हैं. वे अवैध तरीके से भारत आने वाले बांग्लादेशियों को जनसांख्यिकीय और सुरक्षा दोनों तरह का खतरा बताते हैं.
अमित शाह का दावा किया कि बीजेपी "राजनीतिक कारणों से अन्य राज्यों में चुनाव जीतना चाहती है, लेकिन हम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बंगाल में जीतना चाहते हैं." अमित शाह का यह बयान बीजेपी की उस पुरानी चिंता को दिखाता है, जिसके तहत ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार को पार्टी एक विद्रोही राज्य के रूप में स्थापित करना चाहती है.
इतना ही नहीं ये दिखाने की भी कोशिश है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का आगे बढ़ाती हैं. बीजेपी का आरोप ये भी है कि ममता सरकार में सीमा पार से अवैध घुसपैठ को प्रशासन की कथित मिलीभगत के जरिए सुविधाजनक तरीके से राज्य में एंट्री मिल रही है.
नेताजी इंडोर स्टेडियम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने ममता पर आतंकवादियों से सहानुभूति रखने और चुनावी फायदे के लिए केंद्र के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विरोध करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा, "ममता दीदी ने अपने मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विरोध किया. ऐसा करके उन्होंने देश की माताओं और बहनों का अपमान किया है."
शाह की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में अलीपुरद्वार में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी पर किए गए तीखे हमले के बाद आई है. ममता बनर्जी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम के राजनीतिकरण पर आपत्ति जताई थी, लेकिन शाह ने इस मामले को और बढ़ा दिया है.
उन्होंने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले और हाल ही में हुई पहलगाम घटना का भी जिक्र किया, जिसमें पीड़ित बंगाल के लोग भी शामिल हैं. शाह ने कहा, "जब बंगाल के पर्यटकों को उनके धर्म के कारण मारा गया, तो ममता दीदी चुप रहीं. लेकिन अब उन्हें ऑपरेशन सिंदूर से परेशानी हो रही है. 2026 में बंगाल की माताएं और बहनें उन्हें (तृणमूल कांग्रेस को) सबक सिखाएंगी."
गृहमंत्री ने अप्रैल में मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा में तृणमूल नेतृत्व की मिलीभगत का भी आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तैनाती में बाधा डाली, जिसके कारण हिंसा को रोकने में समस्या आई.
उन्होंने वक्फ कानून में संशोधन को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, "मुर्शिदाबाद दंगे राज्य प्रायोजित थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय दंगों के दौरान बीएसएफ की तैनाती पर जोर देता रहा, लेकिन यहां की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया. अगर बीएसएफ की तैनाती होती तो हिंदुओं की रक्षा होती."
अमित शाह की बयानबाजी ने तृणमूल शासन के तहत पश्चिम बंगाल की एक निराशाजनक तस्वीर पेश की. उन्होंने जनता को यह बताने की कोशिश की है कि पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जो घुसपैठ, भ्रष्टाचार, बम विस्फोटों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों से त्रस्त है.
शाह ने चेतावनी दी, "बंगाल चुनाव राज्य का भविष्य तय करेगा, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. ममता बनर्जी बांग्लादेशियों के लिए बंगाल की सीमाएं खुली रहने देती हैं. केवल भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ही इसे खत्म कर सकती है."
हाल की चुनावी सफलताओं से उत्साहित शाह ने दावा किया कि बीजेपी पहले ही बंगाल में 40 फीसद वोट शेयर तक पहुंच चुकी है. 2021 में 77 विधानसभा सीटों पर जीतने वाली बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में 97 सीटों पर बढ़त मिली. उन्होंने कहा कि वोटों में मात्र 4-5 फीसद की बढ़ोतरी 2026 में जीत सुनिश्चित कर देगी.
तृणमूल कांग्रेस ने शाह के बयानों और दावे पर तीखा जवाब दिया है. शाह का जवाब देने के लिए टीएमसी की ओर से तीन सीनियर महिला नेताओं- वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, सांसद काकोली घोष दस्तीदार और राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने मोर्चा संभाला. तीनों महिला नेताओं ने शाह के 'सिंदूर' वाले बयान का जवाब दिया.
वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, “अमित शाह, ममता पर घुसपैठ का आरोप लगाकर अपनी अक्षमता साबित कर रहे हैं. सीमा पर बीएसएफ तैनात है और इसपर केंद्र का नियंत्रण है तो ममता बनर्जी कैसे घुसपैठ को बढ़ावा दे सकती हैं.” उन्होंने आगे कहा, "पुलवामा हमले में जिन महिलाओं का सुहाग खत्म हुआ, उसका उचित जवाब सरकार अब तक नहीं दे पाई है."
सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने शाह की बंगाल जीतने की महत्वाकांक्षाओं को एक "कोरी कल्पना" करार देते हुए कहा कि तृणमूल 250 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी. घोष ने आगे कहा कि शाह की टिप्पणी विभाजनकारी और देशद्रोही है. उन्होंने कहा, "अमित शाह और उनका गिरोह ही असली देशद्रोही है, जो विभाजन के अपने राजनीतिक जहर से भारत को कमजोर कर रहे हैं."
अकर्मय दत्ता मजूमदार