उत्तर प्रदेश सरकार शासन, शिक्षा और पुलिस व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य सेवा और कृषि तक सभी क्षेत्रों को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) के साथ जोड़ने का महत्वाकांक्षी प्रयास कर रही है. हालिया महीनों में इसने कई पहल शुरू की हैं, जिन पर यदि योजना के मुताबिक अमल हो तो भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य AI इनोवेशन और एप्लीकेशन का एक प्रमुख केंद्र बन जाएगा.
इसमें लखनऊ को देश की पहली 'AI सिटी' के तौर पर विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना भी शामिल है. केंद्र सरकार के IndiaAI Mission के तहत राजधानी में 10,732 करोड़ रुपये की लागत से एक तकनीकी ईको-सिस्टम स्थापित किया जा रहा है, जिसमें एक AI इनोवेशन सेंटर, 10,000 से अधिक जीपीयू और कई भारतीय भाषाओं में काम करने के लिए डिजाइन लैंग्वेज मॉडल शामिल हैं. राज्य सरकार का दावा है कि यह देश में अपनी तरह का सबसे बड़ा तकनीकी बुनियादी ढांचा होगा.
केंद्र के विजन-2047 के अनुरूप राज्य एक मसौदा AI नीति तैयार करने पर भी काम कर रहा है, और 30 से अधिक विभागों के अधिकारियों को AI tools के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया गया है. कल्याणकारी योजनाएं लागू करने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली में किसी भी तरह की अनियमितता या धोखाधड़ी का पता लगाने में भी AI का उपयोग किया जा रहा है.
एक अन्य प्रमुख पहल है ‘AI प्रज्ञा’, जिसके तहत युवाओं, शिक्षकों, ग्राम प्रधानों, सरकारी कर्मचारियों और किसानों सहित 10 लाख से अधिक लोगों को AI और उससे जुड़ी तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाना है. माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इंटेल और गुवी आदि के साथ मिलकर चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम मशीन लर्निंग, साइबर-सुरक्षा और डेटा एनालिटिक्स जैसे व्यावहारिक कौशल पर केंद्रित हैं. इसमें उद्योगों की तरफ से प्रमाणन भी शामिल है. सरकार का लक्ष्य प्रतिमाह 15,0,000 प्रशिक्षुओं का कौशल विकास करना है.
अगर कानून प्रवर्तन और निगरानी क्षेत्र की बात करें तो 17 नगर निगम और गौतम बुद्ध नगर पहले ही एआइ तकनीक की मदद ले रहे हैं. इन प्रणालियों में चेहरे की पहचान, वाहन ट्रैकिंग, सीसीटीवी-आधारित अलर्ट सिस्टम और राज्य की एकीकृत 112 आपातकालीन हेल्पलाइन व्यवस्था शामिल हैं. 70 जेलों में कैदियों पर 24x7 नजर रखने के लिए जार्विस नामक एक AI प्रणाली इस्तेमाल की जा रही है.
कृषि एक अन्य प्रमुख क्षेत्र है, जिसे बेहतर बनाने में AI की मदद ली जा रही है. विश्व बैंक समर्थित और 4,000 करोड़ रुपये के बजट वाली यूपी एग्रीस परियोजना के तहत लगभग 10 लाख किसानों को ड्रोन-आधारित मानचित्रण, कीट पहचान, स्मार्ट सिंचाई और ऑनलाइन बाजार जैसे प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है. इस पहल में प्रमुख भागीदारों के तौर पर 10,000 महिला स्वयं सहायता समूह भी शामिल हैं.
राजस्व और खनन विभागों में AI का इस्तेमाल भूमि अभिलेखों के प्रबंधन, विवाद सुलझाने और अवैध खनन पर नजर रखने में किया जा रहा है. 25 जिलों में संसाधनों के बारे में पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग, आरएफआईडी टैग और AI वेब्रिज जैसी तकनीक इस्तेमाल की जा रही हैं.
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी AI तकनीक मददगार बन रही है. राज्य ने हाल ही में फतेहपुर में देश का पहला AI-आधारित ब्रेस्ट कैंसर जांच केंद्र स्थापित किया है. आइबीएम के साथ एक एमओयू के तहत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले 500 इंजीनियरिंग कॉलेजों में निशुल्क AI और क्लाउड कंप्यूटिंग पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं. यह पता लगाने की कोशिश भी की जा रही है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में दवा अनुसंधान और विश्लेषण के लिए AI कितना कारगर हो सकता है.
राज्य सरकार का दावा है कि वह AI को केवल एक तकनीकी उपकरण के बजाय इसे बेहतर शासन, नागरिक सहभागिता और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने वाले साधन के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती है. हालांकि, कई प्रयास अभी तक शुरुआती या प्रायोगिक चरण में ही हैं लेकिन ये राज्य के विकास में तकनीक-आधारित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बदले नजरिये को दर्शाते हैं.
राज्य में AI पर केंद्रित शासन व्यवस्था की दीर्घकालिक सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि ये AI-आधारित प्रणालियां जमीनी स्तर पर कितने प्रभावी ढंग से काम करती हैं, और छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए कितनी सुलभ हो पाती हैं.