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गुजरात: कुत्ता पालने पर पड़ोसियों की सहमति से लेकर ब्रीडिंग बैन तक! कुत्तों की 'आफत' से कैसे निपट रही सरकार?

अहमदाबाद नगर निगम ने 500 रुपए शुल्क के साथ पालतू जानवरों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. इसी तरह सूरत में भी प्रशासन ने कुत्ता पालने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है.

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 15 जुलाई , 2025

सूरत नगर निगम (SMC) ने जून 2025 में एक सख्त नियम लागू किया, जिसके तहत पालतू जानवर पालने का लाइसेंस लेने के लिए किसी व्यक्ति को अपने 10 पड़ोसियों या हाउसिंग सोसाइटी की सहमति लेनी होगी. 

इस नए नियम का उद्देश्य यह है कि लोग जिम्मेदारी के साथ पालतू जानवर रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि मई महीने में अहमदाबाद के हाथीजन मोहल्ले में एक पालतू कुत्ते ने एक बच्ची पर हमला कर दिया था.

दरअसल, 12 मई को चार महीने की बच्ची पर हमला कर एक रॉटवीलर कुत्ते ने उसकी जान ले ली. वहीं, इस घटना में बच्ची की 17 वर्षीय बुआ उसे बचाने की कोशिश में गंभीर रूप से घायल हो गई. 

एक आवासीय सोसाइटी में हुए इस हमले ने शोक और आक्रोश की आग भड़का दी और राज्य में यह मांग उठने लगी कि पालतू जानवरों के मालिकों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.

मिल रही जानकारी के मुताबिक रॉटवीलर नस्ल के कुत्ते का पंजीकरण नहीं हुआ है और यह दिलीप गणपत पटेल नाम के शख्स का कुत्ता है. विवेकानंद नगर पुलिस स्टेशन में बच्ची के दादा, दशरथ जसु चौहान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, पड़ोसियों ने उन्हें बच्ची के घायल होने की जानकारी दी. 

इस घटना में घायल लड़की की उसी दिन अस्पताल में मौत हो गई. वहीं, उसकी बुआ भी कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गई. बच्ची के बुआ के कमर और पेट पर गहरे जख्म हैं.  

14 मई को कुत्ते के मालिक गणपत पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उनपर अपने पालतू कुत्ते को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप था, जिसके कारण बच्ची को जान से हाथ धोना पड़ा. अहमदाबाद नगर निगम (AMC) ने रॉटवीलर को अपने कब्जे में लेकर  उसे कुत्तों के आश्रय स्थल पर भेज दिया. 

बच्ची की मौत पर सदमे और दुःख के बावजूद पालतू जानवरों की निगरानी के लिए सूरत प्रशासन के नए नियम को लेकर पशु प्रेमियों के अलग-अलग राय हैं. पशु पालन से जुड़े नए नियमों की वजह से जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस नियम के खिलाफ कुत्तों के मालिकों ने सूरत कलेक्टर कार्यालय तक मार्च किया और नए नियम में पड़ोसी की सहमति की 'कठोर' आवश्यकता के खिलाफ ज्ञापन सौंपा.

चार कुत्तों को पालने वाले रक्षित ने इस नियम के विरोध में कहा, "मैं अपने पालतू जानवरों को घर नहीं तो कहां सड़कों पर रखूं?” शहर की कुत्ता मालिक कल्याण समिति ने तर्क दिया समस्या का हल व्यर्थ के नियम-कानून बनाकर लोगों को तंग करना नहीं वरन यह है कि लोग अपने पालतू जानवरों को लेकर जिम्मेदारी भरा रवैया अपनाएं. 

पेटा इंडिया ने राज्य से पिटबुल टेरियर, रोटवीलर, पाकिस्तानी बुली कुत्ता, डोगो अर्जेंटीनो, पेरो डी प्रेसा कैनारियो, फिला ब्रासीलेरो, बुल टेरियर और एक्सएल बुली जैसी कुत्तों की नस्लों के प्रजनन, बिक्री या पालन पर प्रतिबंध लगाने वाली नीति लागू करने की मांग की है. 

ऐसा माना जाता है कि ये सभी आक्रामक माने जाते हैं और अक्सर जानबूझकर हमला करवाने के लिए पाले जाते हैं. पेटा ने दावा किया कि ऐसे कुत्तों को अक्सर अनजान खरीदारों को बेच दिया जाता है, जो खुद हमला करवा बैठते हैं या जानवरों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं. 

इस पूरे मामले पर गुजरात सरकार ने सतर्कता से प्रतिक्रिया दी है. स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने साफ किया है कि रॉटवीलर को "जंगली कुत्ते" की श्रेणी में नहीं रखा गया है. साथ ही उन्होंने ऐसा संकेत दिया है कि खतरनाक कुत्तों की नस्लों को लेकर नई नीति बनाई जाएगी.

अहमदाबाद नगर निगम ने भी पालतू जानवरों के पंजीकरण पर जोर देते हुए इसकी समय सीमा 31 जुलाई तक बढ़ा दी है. 500 रुपये के शुल्क पर निर्धारित पंजीकरण के लिए पालतू जानवरों के टीकाकरण रिकॉर्ड और नस्ल का विवरण आवश्यक है.

अब तक, 18,000 से ज्यादा पालतू कुत्तों का पंजीकरण उनके मालिकों ने कराया है. निगम का अनुमान है कि शहर में पालतू कुत्तों की संख्या लगभग 50,000 है. मतलब साफ है कि अब भी लगभग 32,000 कुत्ते अपंजीकृत रह गए हैं. पंजीकरण में पश्चिमी अहमदाबाद सबसे आगे रहा, जहां जर्मन शेफर्ड और लैब्राडोर जैसी नस्लों के कुत्तों का एक बड़ा हिस्सा रहता है. 

सूरत में पंजीकरण आवश्यकताओं में मालिक का आधार, संपत्ति कर भुगतान प्रमाण, नोटरी के जरिए शपथपत्र और पड़ोसियों की सहमति शामिल है. नियमों का पालन न करने पर अदालतों के जरिए दंड का नियम बनाया गया है.

गुजरात का पालतू पंजीकरण ढांचा, जो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के तहत नगर निगमों द्वारा नियंत्रित है, टीकाकरण प्रमाण, नस्ल पहचान और जरूरत पड़ने पर पालतू जानवरों पर नजर रखने के लिए माइक्रोचिप लगाना अनिवार्य बनाता है.

राष्ट्रीय स्तर पर मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने लोगों पर हमलों के बढ़ते मामलों के कारण रॉटवीलर सहित कुत्तों के 23 "खूंखार" नस्लों पर प्रतिबंध लगा दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश और पेटा की वकालत से प्रेरित होकर इस प्रतिबंध ने उनके आयात, बिक्री और प्रजनन पर प्रतिबंध लगा दिया. मौजूदा मालिकों के लिए अपने पालतू जानवरों की नसबंदी और पंजीकरण कराना अनिवार्य बना दिया है. 

सुरक्षा बढ़ाने के लिए, गुजरात और उपाय तलाश रहा है. अहमदाबाद नगर निगम पालतू पशुओं से जुड़े व्यापक नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए पशु कल्याण समूहों और पशु चिकित्सकों से परामर्श कर रहा है. इनका कहना है कि खतरनाक कुत्तों का मुंह बांधकर रखा जाना चाहिए.

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशानिर्देश इस बात की हिमायत करते हैं कि हाउसिंग सोसायटियां पालतू पशुओं पर रोक न लगाएं. इसके बजाय कुत्तों को पालते समय जिम्मेदारी बरतने के लिए कहें. 

मुंह बांधने पर कुत्ते आक्रामक हो सकते हैं, इसलिए इसे अनिवार्य न बनाया जाए. ट्रैकिंग के लिए माइक्रोचिपिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं जागरूकता अभियान हमलों को रोकने के लिए प्रशिक्षण पर केंद्रित है.

हाथीजन की इस घटना के बाद भारत में पालतू जानवरों के मालिकों और सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई. गुजरात में कड़े नियमों पर विचार के साथ, यह बहस जारी है. क्या जन-जागरूकता और लोगों में जिम्मेदारी की भावना ऐसी भयावह घटनाओं को रोक सकती है या खूंखार नस्ल के कुत्तों पर प्रतिबंध और मोहल्ले के लोगों की सहमति ही एकमात्र उपाय है?
 

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