राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) की मुख्य परीक्षा की तारीख में बदलाव को लेकर पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे परीक्षार्थियों को आखिरकार 18 जनवरी को सरकारी सौगात मिल ही गई. मुख्यमंत्री भजनलाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की पहली बैठक में परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की मांग मान ली गई है. यह फैसला चाहे पूरी कैबिनेट का रहा हो, लेकिन वाह-वाही अकेले कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के खाते में आई.
राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर धरना देकर बैठे परीक्षार्थियों के बीच जैसे ही परीक्षा तिथि आगे बढ़ने की सूचना आई, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के समर्थन में नारे गूंजने लगे. किरोड़ी मीणा भी कहां पीछे रहने वाले थे. कैबिनेट की बैठक खत्म होते ही वो भी परीक्षार्थियों के बीच पहुंच गए और तिथि आगे बढ़ने के जश्न में शरीक हुए. छात्रों के बीच माइक थामकर किरोड़ी लाल मीणा बोले, "आरएएस के परीक्षार्थियों की मांग इसलिए जायज थी क्योंकि इसमें 40 प्रतिशत परीक्षार्थी ऐसे हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में ड्यूटी दी थी. इस कारण उनको परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला. बार-बार ऐसी मांग नहीं उठे इसके लिए सरकार आरपीएससी को निर्देश देगी कि वह यूपीएससी की तर्ज पर परीक्षाओं का कैलेंडर जारी करे."
आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद आरएएस परीक्षार्थियों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री भजनलाल से भी मिला और तिथि आगे बढ़ाने पर सरकार का आभार व्यक्त किया.
राजस्थान में आरएएस मुख्य परीक्षा 27 व 28 जनवरी को होने वाली थी जिसकी तारीख आगे बढ़ाने की मांग को लेकर परीक्षार्थी पिछले कुछ अरसे से आंदोलन कर रहे थे. करीब 20 विधायकों ने इन परीक्षार्थियों के समर्थन में सरकार को पत्र लिखे. राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने आंदोलन कर रहे छात्रों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याएं सुनीं.
परीक्षा आगे बढ़ाने के तीन कारण
1. प्रिंटिंग प्रेस पर शक
परीक्षा आगे बढ़ाने की मांग कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में कुछ परीक्षाओं में पेपर बनाने वाले विशेषज्ञों और प्रश्नपत्र छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस की मिलीभगत सामने आई थी. नई सरकार आने के बाद भी उसी प्रिंटिंग प्रेस से पेपर छपवाए जा रहे हैं और पेपर बनाने वाले विशेषज्ञ भी वही हैं. ऐसे में आरएएस मुख्य परीक्षा में भी धांधली की संभावना है. ऐसे में सरकार नए विशेषज्ञों की कमेटी बनाए और किसी दूसरी विश्वसनीय प्रिंटिंग प्रेस से पेपर छपवाए जाएं.
2. 40 प्रतिशत परीक्षार्थी चुनाव ड्यूटी में शामिल थे
आरएएस मुख्य परीक्षा की तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे छात्रों का एक तर्क यह भी था कि करीब 40 प्रतिशत परीक्षार्थी ऐसे हैं जो पहले से सरकारी सेवा में कार्यरत हैं और विधानसभा चुनाव में ड्यूटी का कार्य संभाल रहे थे. चुनाव खत्म होते ही परीक्षा की घोषणा हो गई जिसके कारण उन्हें तैयारी का पर्याप्त अवसर नहीं मिला. प्रारम्भिक परीक्षा का परिणाम घोषित होने के सिर्फ 3 महीने बाद ही मुख्य परीक्षा ली जा रही है. यह अब तक का सबसे कम समय है.
3. प्रारंभिक परीक्षा की आंसर शीट को हाईकोर्ट में चुनौती
परीक्षार्थियों का तर्क था कि बीते दिनों जारी हुई आरएएस प्रारंभिक परीक्षा की आंसर शीट में कई त्रुटियां हैं जिसे लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई गई हैं. ऐसे में आंसर शीट की त्रुटियों के संबंध में फैसला आने के बाद ही मुख्य परीक्षा की तिथि घोषित हो ताकि बार-बार परीक्षा परिणाम में संशोधन नहीं करना पड़े.