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"अमेरिका तो हमारा फ्यूल खरीद सकता है, लेकिन भारत नहीं" पुतिन ने ट्रंप के दोहरे रवैए को कैसे उघाड़ा?

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अमेरिका खुद रूस से ईंधन खरीद रहा है

रूसी राष्ट्रपति पुतिन (फाइल फोटो)
रूसी राष्ट्रपति पुतिन (फाइल फोटो)
अपडेटेड 5 दिसंबर , 2025

4 दिसंबर को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंचे. इससे पहले मॉस्को में इंडिया टुडे को दिए अपने इंटरव्यू में व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को लेकर कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी.

इस दौरान अमेरिका के जरिए भारत पर रूसी तेल नहीं खरीदने के दबाव पर उन्होंने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अमेरिका खुद रूस से ईंधन खरीद रहा है. इससे पहले भारत सरकार ने भी ऐसा ही दावा किया था. रूसी राष्ट्रपति पुतिन और भारत के ये दावे पूरी तरह सच हैं और अमेरिका के दोहरे रवैए को उजागर करते हैं.

इंडिया टुडे से बातचीत में पुतिन ने क्या कहा है?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चार साल बाद भारत आए हैं. उनके इस यात्रा का उद्देश्य रूसी तेल, मिसाइल प्रणालियों और लड़ाकू विमानों की बिक्री बढ़ाना तथा ऊर्जा और रक्षा उपकरणों से परे व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना है.

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब यूक्रेन पर आक्रमण के कारण अमेरिका भारत पर मॉस्को से दूर रहने का दबाव बना रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तेल खरीदना पूरी तरह से बंद कर दे. हालांकि, इसको लेकर पूछे गए सवाल पर पुतिन ने इंडिया टुडे से कहा, "अमेरिका खुद भी अपने परमाणु रिएक्टर के लिए हमसे यूरेनियम खरीदता है. वह भी ईंधन ही है."

इसके आगे उन्होंने कहा, "अगर अमेरिका को हमारा ईंधन खरीदने का अधिकार है, तो भारत को ऐसा विशेषाधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए? इस सवाल पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है और हम इस पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ भी चर्चा के लिए तैयार हैं."

इससे पहले पुतिन की तरह ही अमेरिका को लेकर भारत ने कब और क्या दावा किया था?

ट्रंप की धमकी पर कड़ा जवाब देते हुए भारत ने 4 अगस्त को कहा था कि हमारी आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ खूब व्यापार कर रहे हैं, वह भी बिना किसी मजबूरी के. भारत सरकार ने कहा कि रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) भारत की आलोचना कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है. हम अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा.

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत को रूस से तेल खरीदना पड़ा, क्योंकि उसका पुराने ऑयल सप्लायर यूरोप को सप्लाई करने लगे थे. उस वक्त अमेरिका ने भारत को ऐसा करने के लिए बढ़ावा दिया था.

भारत ने बताया था कि 2024 में EU ने रूस के साथ करीब 85 अरब यूरो का व्यापार किया. इसी तरह, अमेरिका अपनी न्यूक्लियर इंडस्ट्री के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, उर्वरक और केमिकल इंपोर्ट कर रहा है.

अब आंकड़ों से इन दावों की सच्चाई जानते हैं-

यह बात पूरी तरह से सही है कि एक तरफ ट्रंप रूसी तेल आयात को लेकर भारत पर दबाव बना रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ रूस से अमेरिका में कुछ खास सामानों का आयात चुपचाप बढ़ रहा है.

जनवरी से मई 2025 के बीच अमेरिका का रूस से ईंधन आयात पिछले साल की तुलना में 23 फीसद बढ़ा है. इन पांच महीनों में यह बढ़कर 2.1 बिलियन डॉलर हो गया है. इस बढ़ोतरी में मुख्य रूप से पैलेडियम (37 फीसद बढ़ा), यूरेनियम (28 फीसद बढ़ा), और उर्वरक (21 फीसद बढ़ा) शामिल हैं.

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के दो साल बाद यानी 2024 में अमेरिका का रूस से माल का आयात 2021 की तुलना में 90 फीसद कम होकर 3 अरब डॉलर (कस्टम मूल्य) रह गया. 2021 युद्ध शुरू होने से पहले का साल था.

इन सबके बावजूद 2024 में कई रूसी सामान अमेरिका आते रहे. अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग (USITC) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 2024 में रूस से अमेरिका ने जो सामान खरीदे हैं, उनमें उर्वरक (1.1 अरब डॉलर), पैलेडियम (87.8 करोड़ डॉलर), यूरेनियम (62.4 करोड़ डॉलर) और विमान इंजन के पुर्जे (75 करोड़ डॉलर) शामिल हैं.

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