
आजकल देश-विदेश में खेलों से जुड़े जितने भी छोटे-बड़े आयोजन होते हैं, उनमें अन्य बातों के अलावा पर्यावरण संबंधी चिंताओं का भी बखूबी खयाल रखा जाता है. फ्रांस की राजधानी पेरिस को जब ओलंपिक 2024 खेलों की मेजबानी सौंपी गई, तो इस फैसले में एक प्रमुख कारक के तौर पर पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं भी थीं.
दुनिया में फैशन के सबसे आधुनिक ट्रेंड सबसे पहले अपनाने वाला यह शहर पर्यावरण से जुड़े इस चलन को भी अपनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा. ओलंपिक आयोजन के दौरान कम-से-कम कार्बन फुटप्रिंट का उत्सर्जन हो, इसके लिए वह तमाम तरह की कोशिशें कर रहा है.
इनमें इको-फ्रैंडली खेल स्थल का निर्माण तो शामिल है ही. इसके अलावा वह खिलाड़ियों और खेल देखने आने वाले विजिटर्स के मेन्यू से मांस, पनीर और डेयरी उत्पादों को कम कर रहा है, और इनकी जगह शाकाहारी भोजनों को बढ़ावा दे रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक, पेरिस ओलंपिक में करीब एक करोड़ तीस लाख प्लेट खाने और नाश्ते का इस्तेमाल होगा. इनके उपयोग से कम-से-कम कार्बन फुटप्रिंट का उत्सर्जन हो, इसके लिए इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी ने 60 फीसद प्लांट बेस्ड फूड के इस्तेमाल करने की बात कही है.
कार्बन फुटप्रिंट से मतलब ग्रीनहाउस गैसों की कुल मात्रा से है जो हमारे कामों से पैदा होती है. इन गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन भी शामिल हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेरिस ओलंपिक के दौरान एथलीटों, कर्मचारियों और मीडिया कर्मियों को भरपूर मेन्यू परोसा जाएगा, लेकिन इनमें मांस, पनीर और डेयरी जैसे उत्पाद बहुत सीमित मात्रा में रहेंगे.

इसके अलावा पेरिस ने ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए सेंट-डेनिस शहर में एक नया एक्वेटिक्स सेंटर बनाया है. यहां खेलों के लिए ज्यादातर बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं. इसका हॉल पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित है, और इस सेंटर की एक और खास बात यह है कि इसे रीसाइकल्ड और बायो-बेस्ड बिल्डिंग मटेरियल से बनाया गया है.
इन उपायों के जरिए पेरिस ने ओलंपिक 2024 के दौरान करीबन 1.58 लाख मीट्रिक टन कार्बन फुटप्रिंट के उत्सर्जन का अनुमान लगाया है. पेरिस के लिए यह एक महत्वाकांक्षी योजना हो सकती है क्योंकि इससे पहले कोविड-प्रभावित टोक्यो ओलंपिक में 1.96 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन हुआ था. इस लिहाज से सबसे बुरी स्थिति 2012 में थी, जब लंदन ओलंपिक के दौरान CO2 उत्सर्जन 3.4 लाख मीट्रिक टन रहा था.
पर्यावरण को लेकर पेरिस ओलंपिक के आयोजकों को कितनी चिंता है, यह उनके प्रयासों में देखी जा सकती है. इसके आयोजकों ने फ्रांस के इर्द-गिर्द के चार देशों (नीदरलैंड, ब्रिटेन, बेल्जियम और स्विटजरलैंड) को वाया ट्रेन पेरिस तक यात्रा करने के लिए राजी किया. साथ ही, यूरोपीय उपमहाद्वीप से पेरिस में मैच देखने आने वाले लोगों से भी ट्रेन से ही यात्रा करने का आग्रह किया है. यूरोप में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था काफी मजबूत है, और लोकल यात्रा करने के लिए वहां साइकिल का इस्तेमाल आम बात है.
लेकिन इन सब उपायों में सबसे ज्यादा ध्यान मांसाहारी भोजन और पशु प्रोटीन पर दिया गया है. यहां सवाल उठ सकता है कि ऐसा क्यों? दरअसल, ये सभी उत्पाद कार्बन उत्सर्जन में बड़ा योगदान देते हैं. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक, लाइवस्टॉक फार्मिंग (भोजन के लिए मवेशियों का पालन) वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन में 15 फीसद का योगदान देता है, जो एक तरह से परिवहन उद्योग के समान ही है.
वहीं, विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2024 बताती है कि जब लोगों का एक बड़ा समूह प्लांट-बेस्ड भोजन को प्राथमिकता देता है, यातायात के लिए सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करता है और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प चुनता है, तब वह व्यावसायिक घरानों को मजबूर करता है कि वे भी इस बदलते ट्रेंड के अनुरूप ही अपने व्यवसायों को आकार और दिशा प्रदान करें.
प्लांट-बेस्ड भोजन और शाकाहार को बढ़ावा देना निश्चय ही पर्यावरण के लिहाज से अच्छा कदम है. लेकिन एक ऐसे देश फ्रांस में, जहां लोगों के रोजमर्रा के जीवन में मांस, पनीर और डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है, वहां शाकाहार को बढ़ावा देना एक दिलचस्प मामला हो सकता है. एक अनुमान के मुताबिक, विश्व में जहां प्रति व्यक्ति सालाना 28.1 किलोग्राम मांस की खपत होती है, वहीं फ्रांस में यह मात्रा 83.5 किलोग्राम तक बढ़ जाती है.
फ्रांस के लोगों के लिए खाने की आदतों को बदलना मुश्किल रहा है. इस विचार को मजबूती उस एक घटना से भी मिलती है कि साल 2022 तक देश में एक मिशेलिन स्टार रेस्टोरेंट हुआ करता था. यह एक वीगन रेस्टोरेंट था. वीगन के बारे में कहें तो यह एक तरह का शाकाहारी रेस्टोरेंट ही है, जो प्लांट-बेस्ड व्यंजन परोसता है और पशु उत्पादों से परहेज करता है. बहरहाल, वह मिशेलिन स्टार रेस्टोरेंट एक साल के भीतर ही बंद हो गया.
इस बार पेरिस ओलंपिक के दौरान खाद्य और पेय पदार्थों की जिम्मेदारी फिलिप वुर्ज संभाल रहे हैं. मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में वे कहते हैं, "हम शाकाहारी विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे. इसमें आम जनता के लिए 60 फीसद व्यंजन शाकाहारी होंगे. हमें पूरा भरोसा है कि इन खेलों के साथ हमारे पास चीजों को अलग तरीके से करने और यह दिखाने का एक बेहतरीन अवसर है कि कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाने वाले व्यंजनों के उलट एक और मॉडल संभव है."
पेरिस ओलंपिक से जुड़ी कुछ अहम और बुनियादी जानकारियां

ओलंपिक खेलों का आयोजन हर चार साल पर होता है. पिछली बार यह जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित हुआ था. COVID-19 महामारी के चलते इसमें एक साल की देरी हो गई थी और इसे बड़े पैमाने पर दर्शकों के बिना ही आयोजित किया गया. इस बार के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी फ्रांस की राजधानी पेरिस कर रहा है, जहां ये खेल 26 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेंगे.
हालांकि 19 दिनों तक चलने वाले इस खेल महाकुंभ में कुछ खेल आधिकारिक उद्घाटन समारोह से पहले शुरू हो जाएंगे. उद्घाटन समारोह 26 जुलाई को स्थानीय समयानुसार शाम 7:30 बजे (भारतीय समयानुसार 17:30 GMT) होगा. इसी दिन से खेल भी शुरू हो जाएंगे. इस दौरान दर्जनों नावें खिलाड़ियों को सीन नदी में करीब 6 किलोमीटर की सैर कराएंगी.
पेरिस ओलंपिक 2024 में इस साल 206 देशों के कुल 10,500 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इस दौरान कुल 32 खेल खेले जाएंगे, जिनमें एथलीट 329 स्वर्ण पदकों के लिए मुकाबला करेंगे. ओलंपिक खेलों के लिए इस बार कुल 35 जगहों को चिह्नित किया गया है. इनमें से ज्यादातर खेल स्थल पेरिस में या उसके आसपास ही हैं, लेकिन कुछ खेल अन्य शहरों में भी आयोजित किए जाएंगे.
पेरिस ओलंपिक में अगर भारत की बात करें तो भारतीय दल 25 जुलाई को अपने अभियान की शुरुआत करेगा. भारत की तरफ से 16 खेलों में कुल 117 एथलीट भाग लेंगे. इन खेलों में तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, घुड़सवारी, गोल्फ, हॉकी, जूडो, नौकायन, निशानेबाजी, तैराकी, टेबल टेनिस और टेनिस जैसे खेल शामिल हैं. भारतीय खिलाड़ी कुल 69 पदक स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे.
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खेमा रिकॉर्ड पदकों के साथ वतन लौटा था. भारत ने एक स्वर्ण सहित कुल सात पदक अपनी झोली में डाले थे. इस बार पेरिस ओलंपिक में भारत की नजरें इन पदक तालिकाओं को और भारी बनाने की होगी.