scorecardresearch

ईरान में 31 साल की सजा पाने वालीं नरगिस को नोबल क्यों मिला?

ईरान सरकार के खिलाफ आंदोलनों की वजह से नरगिस को करीब 13 बार जेल में बंद किया गया और 154 कोड़े भी मारे गए

नरगिस मोहम्मदी को 2011 में पहली बार जेल भेजा गया था
नरगिस मोहम्मदी को 2011 में पहली बार जेल भेजा गया था
अपडेटेड 6 अक्टूबर , 2023

"अपने जन्मदिन से कुछ दिन पहले मैं फिर जेल जा रही हूं. जन्मदिन और जेल एक साथ आए. लेकिन फिर भी मैं मुस्कुरा रही हूं और ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं देती हैं. हमारी लड़ाई जारी रहेगी." 51 साल की हो चुकीं नरगिस मोहम्मदी ने अपने 50वें जन्मदिन के मौके पर ये बात कही थी. जन्मदिन से कुछ दिनों पहले ही उन्हें ईरान सरकार ने जेल भेज दिया था. ये बीते साल अप्रैल महीने की बात है. जेल में बंद नरगिस को अब शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है.

नोबेल प्राइज कमेटी के प्रमुख ओसलो ने शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, "नरगिस मोहम्मदी को ये सम्मान उनके संघर्ष के लिए दिया जा रहा है. ईरान में महिलाओं के शोषण के खिलाफ उनकी लड़ाई को सम्मानित किया जा रहा है. साथ ही दुनिया भर में मानवाधिकारों की बात करने और सभी के लिए आजादी की वकालत करने के लिए ये पुरस्कार दिया जा रहा है."

नरगिस मोहम्मदी ईरान में महिला अधिकारों के पक्ष में न सिर्फ बोलती रही हैं बल्कि देश भर में आंदोलन का नेतृत्व भी कर चुकी हैं. सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शनों की वजह से नरगिस को करीब 13 बार जेल में बंद किया गया. 2022 में जब उन्हें सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए गिरफ्तार किया गया तब उन्हें 8 साल की सजा सुनाई गई थी. नरगिस ऐवान की जेल में सजा काट रही हैं.

31 साल जेल, 154 कोड़े की सजा

अलग-अलग मामलों में नरगिस को करीब 31 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है. और ये अभी भी जारी है. ईरान की अदालतों ने उन्हें अलग-अलग मामलों में 154 कोड़े मारे जाने की सजा भी सुनाई. उन्हें 2011 में पहली बार जेल तब भेजा गया जब जेल में बंद एक्टिविस्टों और उनके परिवारों की मदद का आरोप लगा. नरगिस पर इनकी रिहाई की कोशिश के भी आरोप लगे. जिसके बाद ईरान सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. हालांकि 2 साल बाद उन्हें जमानत मिल गई. 

नरगिस मोहम्मदी हमेशा से महिला अधिकार कार्यकर्ता नहीं थीं. उनका जन्म 1972 में ईरान के जंजन शहर में हुआ. फिजिक्स विषय के साथ उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद वो इंजीनियर बनीं. इसके साथ ही नरगिस कई अखबारों में महिला अधिकारों की वकालत करते हुए कॉलम भी लिखने लगी थीं. शिरीन एबदी ने ईरान में एक संगठन बनाया था, डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स. शिरीन एबदी को 2003 में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने की वजह से शांति का नोबेल प्राइज़ मिला था. इसी साल इस संगठन के तेहरान सेंटर में नरगिस ने काम करना शुरू कर दिया.

सबसे ज्यादा मृत्युदंड की सजा देने वाले देशों में एक नाम ईरान भी है. नोबेल प्राइज की वेबसाइट के मुताबिक जनवरी, 2022 से अब तक 860 कैदियों को मौत की सजा दी गई है. देश में मौत की सजा के खिलाफ भी नरगिस ने आंदोलन शुरू कर दिया. नतीजतन 2015 में दूसरी बार उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. जेल से बाहर आने के बाद नरगिस ने जेल में बंद राजनैतिक कैदियों (खासकर महिलाओं) के साथ यौन हिंसा का आरोप लगाया. नरगिस मोहम्मदी ने अपनी किताब व्हाइट टॉर्चर में ईरान की जेलों में कैदियों के खिलाफ हो रही हिंसा को दर्ज किया है.

Advertisement
Advertisement